दिल्ली पुलिस के हर शख्स के लिए यह जानकारी है जरूरी

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आलोक वर्मा
आलोक वर्मा

नई दिल्ली। यह 26 सितंबर 2020 की बात है। दिल्ली पुलिस में काम करने वाले

सबइंस्पेक्टर दिनेश बेनिवाल के लिए यह दिन जीवन का अहम दिन बन गया। उस दिन

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के सवाल ने दिनेश बेनिवाल की अहमियत बढ़ा दी।

मौका था दिल्ली पुलिस कमिश्नर की क्राइम रिव्यू मीटिंग का। ई कार्ट कंपनी की भार भरकम

रकम पर डकैती डालकर फरार हो रहे बदमाशों की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाने वाले दिनेश बेनिवाल से

सीपी ने अचानक ही पूछ लिया कि वह औऱ उनके सहयोगियों ने बदमाशों को कैसे पकड़ा। दिनेश बेनिवाल ने

पूरी कहानी बताई जिसे सुनने के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने खुद ताली बजाकर उनकी

हौसला आफजाई की।

लगभग पूरी दिल्ली पुलिस के सामने एक सबइंस्पेक्टर को पुलिस कमिश्नर की ताली का महत्व औऱ मतलब पुलिस में काम करने वाला हर शख्स जानता है। दिनेश बेनिवाल दिल्ली के अकेले ऐसे पुलिसवाले नहीं हैं जिन्हें वर्तमान सीपी एस एन श्रीवास्तव की तालियों ने स्वागत किया हो। बल्कि 1 मार्च 2020 से 28 सितंबर 2020 तक दिल्ली में हजारो पुलिसवालों को रिवार्ड के रूप में 5, 78, 56, 618 रूपये वितरित किए जा चुके हैं। इस प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ रिवार्ड का तमगा अपने आप में बड़ा है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान 4,55,26, 950 रुपये वितरित हुए थे। यानि इस साल प्रोत्साहन के रूप में दी जाने वाली रिवार्ड की राशि में 27 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

उपरोक्त उल्लेख इसलिए नहीं कर रहा हूं कि रिवार्ड की राशि बतानी हो बल्कि इसका जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि जो बताने जा रहा हूं उसकी शुरूआत में

आपको  ये पता लग सके कि दिल्ली पुलिस की मौजूदा प्रबंधन हरेक पुलिसवाले के मनोबल को कैसे उंचा

रखा जाए इसके लिए प्रयासरत् है।

अब आगे की लाइनों में दी गई जानकारी दिल्ली पुलिस में काम करने वाले हर शख्स के लिए अहम है। अहम

इसलिए क्योंकि वर्तमान पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव उनके लिए क्या कर रहे हैं उनके कार्यकाल में पुलिस

के लिए क्या मिलने जा रहा है, यह बात हर पुलिसवाला जानना चाह रहा है। जानने का उसे अधिकार भी है। बस

इसी लिहाज से indiavistar.com पहुंच गया दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के पास। मकसद

पुलिस वेलफेयर को लेकर उठाए जा रहे कदमों की जानकारी लेना था। जो बातें पता लगी उसे आप सब भी जानिए।

पुलिस की सेहत

इस महामारी के दौर में पुलिस की सेहत सबसे अहम मुद्दा है। इसलिए भी क्योंकि पुलिस का काम तो हम सब

जानते ही हैं। दिल्ली पुलिस में काम करने वाले की सेहत को लेकर सीपी एस एऩ श्रीवास्तव काफी गंभीर हैं। उन्हें

अहसास है कि काम के अत्यधिक घंटे और दवाब शरीर में कई विकृतियां लाता है। हाई ब्लडप्रेशर, शूगर जैसी

बीमारियां पुलिसकर्मियों के शरीर को आसानी से ठिकाना बना लेती हैं। खासकर कोरोना काल में इतना काम का

दवाब बढ़ा कि  सेहत के लिए समय निकालना नामुमकिन हो गया। लेकिन आला स्तर पर इसका अहसास था,

इसीलिए कोरोना काल में इस तरफ विशेष ध्यान दिया गया।

योगा, कसरत के शिविर थाना और पुलिस कालोनी स्तर पर आयोजित किए गए।ऐसे कार्यक्रम को प्रोत्साहित किए गए। आयुर्वेदिक दवा 3-3 बार दी गई। अनिश्चितता का माहौल मानसिक तैर पर भारी ना पड़े इसके मद्देनजर काउंसलिंग की गई। दिल्ली के सीपी एस एन श्रीवास्तव खुद ग्राउंड स्तर पर जाकर जायजा लेते रहे। पीएचक्यू वेलनेस श्रृंखला की शुरूआत हुई। वेबिनार के जरिए सेहत के टिप्स दिए गए। इन वेबिनार में डाक्टर, विशेषज्ञों के माध्यम से पुलिसकर्मियों को सेहत के गुर बताए गए। यही नहीं वन टू वन काउंसलिंग भी शुरू हुई। इसके तहत कोई भी पुलिसकर्मी अपने निजी सेहत समस्याओं को लेकर डाक्टर से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सलाह ले सकता है। ऐसी काउंसलिंग को सार्वजनिक नहीं किया जाता।

आयुष मंत्रालय के साथ दिल्ली पुलिस का एक समझौता भी हुआ है जिसके तहत एक धनवतंरी रथ दिल्ली पुलिस के हर कालोनी में जाती है।

दिल्ली पुलिस वेलनेस सेंटर खुलने शुरू हो चुके हैं। अब तक 6 कालोनियों में वेलनेस सेंटर खोले जा चुके हैं।

हाल ही में सीपी एस एन श्रीवास्तव ने द्वारका वेलनेस सेंटर का उद्घाटन करते हुए खुद व्यायाम भी किया। ऐसे

वेलनेस सेंटर में व्यायाम के लिए ओपन जिम, डॉक्टर आदि की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। एस एन श्रीवास्तव

के मुताबिक ऐसे वेलनेस सेंटर हर पुलिस कालोनी में खोलने की योजना है।

यह भी पढ़ें-दिल्ली पुलिस में ऑनलाइन बदलावों के अलावा भी बदल रही हैं कई चीजें, जानें क्या है आपके काम की बातें https://indiavistar.com/apart-from-online-changes-in-delhi-police-many-things-are-changing-know-what-is-for-you/

आवास की आत्मनिर्भरता –

अगर आप दिल्ली पुलिस में काम करते हैं तो ये तो पता ही होगा कि दिल्ली पुलिस में आवास को लेकर संतोष

यानि स्तर सटीसफैक्सन लेबल सिर्फ 19 प्रतिशत है। जाहिर है दिल्ली पुलिस के लिए आवास भी बड़ा मुद्दा है।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव भी मानते हैं कि इस समस्या पर काम करते की जरूरत है।

पुलिस कालोनियों में जो घर मौजूद भी हैं वह अच्छी हालात में नहीं हैं।  मरम्मत की जिम्मेवारी पीड्ब्लूयूडी यानि

लोक निर्माण विभाग की है। लेकिन समय पर काम नहीं होता। इसके लिए दिल्ली पुलिस के हर जिले में इस्टेट

अफसर बनाया गया है जो इस समस्या को फौरी तौर पर देख रहा है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव

की पहल पर साल 2006 में बने दिल्ली पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन को फिर से सक्रिय किया जा रहा है।

इसमें 5 कर्माचारियों की नियुक्ति स्वीकृत हो गई है।

नियुक्ति होते ही यह टीम सबसे पहले मरम्मत के काम में लग जाएगी। लोक निर्माण विभाग पर निर्भरता समाप्त

होते ही मौजूदा आवासो के मरम्मत आदि का काम होने लगेगा। एस एन श्रीवास्तव के मुताबिक लंबी अवधि की

योजना भी बनाई जा रही है। दिल्ली विकास प्राधिकरण से फ्लैट लिए गए हैं। दिल्ली पुलिस की जमीन को पुर्नविकास

औऱ उस पर स्वयं निर्माण करने की योजनाओं पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए बजट जुटाने का काम खुद

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव कर रहे हैं।

पदोन्नति का सवाल-

दिल्ली पुलिस में काम करने वाला हरेक शख्स  की जुबान पर पदोन्नति का सवाल मुंह बाए खड़ा रहता है। हालात

यह है कि चार साल पहले दिल्ली पुलिस में (आलोक वर्मा के पुलिस आयुक्त कार्यकाल) लागू हुई पदोन्नति की

15-25-30 नीति  भी पूरी तरह अमल में नहीं लाई जा पा रही है। दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस में  पदोन्नति नीति

में 10-20-30 साल के फार्मूला को अपनाने की मांग जोरों पर है। दिल्ली सीपी एस एन श्रीवास्तव ने इस मुद्दे को

गंभीरता से लिया है। पदोन्नति नीति में आ रही तकनीकी खामियों के बारे में एक विस्तृत नोट दिल्ली के उपराज्यपाल

के पास भेजा जा रहा है। ताकि उपराज्यपाल अनिल बैजल से चर्चा करके इसे ठीक से लागू किया जा सके।

उपराज्यपाल के पास सिर्फ रिपोर्ट ही नहीं भेजा जा रहा बल्कि दिल्ली पुलिस मुख्यालय के संयुक्त पुलिस आयुक्त

को इसके बारे में फॉलोअप करने के लिए जिम्मेवारी दी गई है। पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के मुताबिक हरेक

स्तर के पुलिसकर्मी को पदोन्नति का लाभ मिले इसका प्रयास किया जा रहा है।

पहले लागू हुई पदोन्नति नीति में कांस्टेबल को 15 साल में पदोन्नति देकर हवलदार तो बना दिया गया। लेकिन उसके

बाद के स्तरों पर काम करने वाले पुलिसवालों के इस नीति का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पा रहा। सीधे भर्ती होने वाले

भी इससे वंचित हैं। इसी विसंगति को दूर करने के उद्देश्य से उपराज्यपाल के पास विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है।

जीने के साथ भी मरने के बाद भी

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव चाहते हैं कि डयूटी पर किसी भी कारण से मौत होने पर पुलिसकर्मी के परिवार को इतनी राशि मिल जाए कि उसका जीवन आसान हो सके। वो कहते हैं कि किसी व्यक्ति के ना होने की कीमत कोई नहीं चुका सकता ना उस परिवार का दुख कम किया जा सकता है। लेकिन जो कल तक हमारे साथ था हम उसके परिवार के साथ खड़े तो हो ही सकते हैं। इसके लिए कई बैंक औऱ बीमा कंपिनयों से बातचीत की जा रही है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव चाहते हैं कि किसी भी वजह से डय़ूटी पर मौत की एवज में पुलिसकर्मी के परिवार को मोटी रकम मिले।

 

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