Delhi Crime-मोबाइल फोन लुटेरों के इस इंटरनेशनल गैंग को जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे

Delhi Crime-मोबाइल फोन लुटेरों के जिस इंटरनेशनल गैंग के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मोबाइल फोन लुटेरों का यह इंटरनेशनल गैंग दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा है।

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Delhi Crime-मोबाइल फोन लुटेरों के जिस इंटरनेशनल गैंग के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मोबाइल फोन लुटेरों का यह इंटरनेशनल गैंग दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा है। गैंग के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से पुलिस ने 473 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। दिल्ली एनसीआर के 91 केस सुलझाए गए हैं। 1 साल से पुलिस इस गैंग की जड़ उखाड़ने में लगी थी और अब तक 1 हजार फोन बरामद किए जा चुके हैं।

Delhi Crime-मिलिए गैंग के इन सदस्यों से

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक गैंग के पकड़े गए पांच सदस्यों की पहचान उत्तराखंड निवासी पारस जोशी, नेपाल निवासी इंद्र बहादुर, मान सिंह, दिल्ली निवासी रविन्द्र मदान और सतीश उर्फ सोनू के रूप में हुई है। पारस जोशी मे कुमाउं यूनिवर्सिटी से एमए कर रखा है और वह उत्तराखंड में पोल्ट्री फार्म चलाता है।
मान सिंह नेपाल के महेन्द्र नगर का रहने वाला है। उसने 8वीं तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह नेपाल में इलेक्ट्रानिक की दुकान चलाता है। इसी तरह नेपाल के बागमती का निवासी इंद्र ने 8वीं में पढ़ाई छोड़ दी थी। सतीश भी 8वीं कक्षा में ड्रापआउट है औऱ दिल्ली का रहने वाला है। वह बैट्री रिक्शा और मोबाइल फोन रिपेयर की दुकान अपने घर से ही चलाता है। गैंग के पांचवे सदस्य रविन्द्र मदान ने बीए कर रखा है। वह दिल्ली का निवासी है और नजफगढ़ में इलेक्ट्रीक सामानों की फैक्टरी चलाता है।

ऐसे पकड़ा गया यह इंटरनेशनल गैंग

क्राइम ब्रांच डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक पुलिस पिछले एक साल से चोरी या लूट के मोबाइल फोन के गैंग की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। जांच के दौरान पता लगा था कि ये लोग चोरी या लूट के मोबाइल फोन नेपाल भेजते हैं। यह भी पता लगा था कि ये लोग उत्तराखंड औऱ उत्तर प्रदेश के बार्डर से फोन नेपाल भेजते हैं।

इसके पहले पुलिस के हत्थे गैंग के कई सदस्य चढ़ चुके थे। जांच के दौरान पता लगा कि पारस उत्तराखंड से दिल्ली आता है और उसी दिन वापस भी जाता है। नेपाल के मेन रिसीवर उमेश का आदमी इंद्र और रविन्द् मदान आपस में संपर्क में थे। दो मौकों पर रविन्द्र नेपाल बार्डर गया और उमेश के साथ वापस आया। यह भी पता लगा कि इंद्र दिल्ली आकर होटल में एक दो दिन रूकता है।

सारी जांच के बाद पुलिस ने उपरोक्स सभी गैंग सदस्यों पर नजर रखनी शुरू की। जांच मे यह भी पता लगा कि रविन्द्र और इंद्र दिल्ली से चोरी और लूट के फोन नेपाल ले जाने के लिए टाटा पंच और इनोवा कार का इस्तेमाल करते हैं। पूरे गैंग को दबोचने के लिए एसीपी रमेश लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर शिवराज सिंह बिष्ट के नेतृत्व मे एसआई रविन्द्र हुड्डा, राकेश, सिमरजीत कौर, एएसआई विरेन्द्र, हेडकांस्टेबल नेमीचंद, राम हरी, रविन्द्र और नरेन्द्र कुमार के साथ कांस्टेबल प्रवीण की टीम बनाई गई।

पुलिस ने जाल बिछाकर होटल के पास रविन्द्र और इंद्र को दबोचने की कोशिश की मगर वो कार सहित फरार हो गए। इसके बाद पुलिस ने पीछा कर लेडी हार्डिंग अस्पताल के पास उन्हें दबोचा गया। तलाशी के दौरान पहले 120 फिर 168 मोबाइल फोन बरामद हुए। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने छापेमारी कर 160 और मोबाइल जब्त किए।

इनसे पूछताछ के बाद सतीश के घर छापेमारी कर 25 औऱ फोन जब्त किए गए। उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पारस ने बताया कि वह मान सिंह नामक शख्स के माध्यम से उमेश से मिला था। इसके बाद वह फोन दिल्ली से नेपाल पहुंचाने का काम करता था। इसके बदले प्रति ट्रिप उसे 10 हजार रुपये मिलते थे। पुलिस ने इनकी पंच और इनोवा कार भी जब्त कर ली है।

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