चम्पारण सत्याग्रह ऐसे और इसलिए हुआ था

बिहार दिवस के उपलक्ष्य में बिहार से जुड़े तथ्य आप तक पहुंचाने का हमारा प्रयास जारी है। आज की कड़ी में चम्पारण सत्याग्रह से जुड़े वो तथ्य आपके लिए पेश हैं जिनके बारे में आपमें से कई लोग जानते भी नहीं होंगे।

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बिहार दिवस के उपलक्ष्य में बिहार से जुड़े तथ्य आप तक पहुंचाने का हमारा प्रयास जारी है। आज की कड़ी में चम्पारण सत्याग्रह से जुड़े वो तथ्य आपके लिए पेश हैं जिनके बारे में आपमें से कई लोग जानते भी नहीं होंगे। तब चम्पारण में किसानों के लिए तीनकठिया प्रणाली प्रचलित थी। इसके तहत किसानों को प्रत्येक 20 कट्ठे में से 3 कट्ठे में नील की खेती करना अनिवार्य था। इस व्यवस्था के प्रति किसानों में काफी आक्रोश था क्योंकि नील की फसल भूमि को बंजर बना रही थीं, वहीं आर्थिक रूप से शोषक भी थी। 1916 ई० में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में मुरली भरहवा गाँव के राजकुमार शुक्ल ने इस समस्या पर कांग्रेस नेतृत्व का ध्यान आकृष्ट किया। ब्रजकिशोर प्रसाद ने एक प्रस्ताव पेश किया। राजकुमार शुक्ल ने महात्मा गाँधी जी को बिहार आकर किसानों की समस्या सुनने के लिए आमंत्रित किया।

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चम्पारण सत्याग्रह की नींव

गाँधी जी कलकत्ता से 10 अप्रैल 1917 ई० को पटना पहुंचे तथा 15 अप्रैल 1917 ई० को वे चम्पारण (मोतिहारी) पहुंचे। उन्होंने प्लांटर्स एसोसिएशन के सचिव जे. एम. विल्सन से जाँच कार्य में सहयोग करने का अनुरोध किया। चम्पारण के जिला मजिस्ट्रेट डब्ल्यू. जे. हार्डकॉक ने 16 अप्रैल 1917 ई० को गांधी जी के चम्पारण छोड़ने संबंधी अधिसूचना जारी की। धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में 21 अप्रैल 1917 ई० को उन्हें रिहा कर दिया गया। गाँधी जी ने स्वतंत्र जाँच कर 13 मई 1917 ई० को अपनी जाँच रिपोर्ट बिहार – उड़ीसा के मुख्य सचिव को सौंपी। परिणामस्वरूप कृषकों की स्थिति की जाँच के लिए ‘चम्पारण एग्रेरियन समिति’ का गठन किया गया। इस समिति के अध्यक्ष मध्य प्रदेश के आयुक्त एफ.जी. स्लाई थे तथा महात्मा गाँधी, एल.सी. अदामी, राजा हरिहर प्रसाद, नारायण सिंह, डी. जे. रीड एवं जी. रैनी आदि इसके अन्य सदस्य थे।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीनकठिया प्रणाली समाप्त करने की अनुशंसा की । इस प्रकार गाँधी जी का भारत में प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग सफल रहा। चम्पारण सत्याग्रह में गाँधी जी के प्रमुख सहयोगी राजेन्द्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंह, धरणीधर, मजहरूल हक, राजकुमार शुक्ल, रामनवमी प्रसाद, शंभू शरण आदि थे। चम्पारण सत्याग्रह गाँधी जी द्वारा भारत में चलाया गया प्रथम सत्याग्रह था। चम्पारण सत्याग्रह से प्रेरित होकर जून 1919 ई० में मधुबनी जिले के किसान ने स्वामी विद्यानंद के नेतृत्व में दरभंगा राज के विरूद्ध आंदोलन किया।

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