Bihar Diwas-बिहार दिवस पर जानिए 1857 के पहले हुए इन आंदोलन के बारे में

बिहार दिवस पर इस अंक में जानिए 1857 में हुई आजादी के आंदोलन से पहले बिहार के उनआंदोलन के बारे में जिन्होंने देश में अंग्रेजो के खिलाफ माहौल तैयार करने में मदद की। वहाबी आंदोलन के प्रवर्तक अब्दुल-अल-वहाब थे

0
87
बिहार दिवस

Bihar Diwas- बिहार दिवस पर इस अंक में जानिए 1857 में हुई आजादी के आंदोलन से पहले बिहार के उन आंदोलन के बारे में जिन्होंने देश में अंग्रेजो के खिलाफ माहौल तैयार करने में मदद की। वहाबी आंदोलन के प्रवर्तक अब्दुल-अल-वहाब थे। उन्होंने अरव क्षेत्र में इसको प्रारंभ किया था। भारत में इसको सैयद अहमद बरेलवी (रायबरेली) ने नेतृत्व प्रदान किया। प्रारंभ में इस विद्रोह का उद्देश्य धार्मिक सुधार था परंतु बाद में राजनीतिक सुधार एवं आंदोलन के रूप में बदल गया।

यह भी पढें-https://indiavistar.com/know-these-important-facts-about-bihar-special-on-the-foundation-day/

Bihar Diwas details

भारत में इस विद्रोह के दो केन्द्र थे। प्रथम केन्द्र सितना (पश्चिमोत्तर सीमा पर) तथा दूसरा केन्द्र पटना में था। पटना केन्द्र से धन एवं स्वंयसेवकों को ‘सितना’ भेजा जाता था। सैयद अहमद बरेलवी ने पटना में अपने चार प्रतिनिधि चुने- इनायत अली, विलायत अली, फरहत अली एवं मुहम्मद हुसैन। बंगाल का ‘फरायजी आंदोलन’ वहाबी आंदोलन से ही प्रेरित था।वहाबी आंदोलन के दमन के लिए 1863 ई० में अम्बाला तथा 1865 ई० में पटना अभियान चलाया गया। वहाबी नेताओं को कारावास और मृत्युदंड की सजा दी गई औऱ अंततः आंदोलन दबा दिया गया।

https://amzn.to/42tDO5U

नोनिया विद्रोह (1770-1800 ई०)

बिहार के शोरा उत्पादक वर्ग नोनिया द्वारा यह विद्रोह किया गया था। शोरा का उपयोग बारूद बनाने में किया जाता था। बिहार में शोरा उत्पादन मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर, पूर्णिया आदि क्षेत्रों में होता था। बिचौलिये कच्चा शोरा ब्रिटिश कारखाने को देते थे तथा मुनाफा स्वयं रख लेते थे। परिणामस्वरूप नोनिया समुदाय ने गुप्त रूप से शोरा बेचना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने इस पर रोक लगाई जिसके विरोध में नोनिया समुदाय ने विद्रोह कर दिया। अंतत: अंग्रेजों द्वारा विद्रोह को दबा दिया गया।

लोटा विद्रोह (1856 ई० )

यह विद्रोह मुजफ्फरपुर जेल के कैदियों द्वारा किया गया था। जेल में कैदियों को पहले पीतल का लोटा दिया जाता था। बाद में सरकार ने मिट्टी का लोटा देने का निर्णय लिया।

कैदियों ने इसका कड़ा विरोध किया और 1856 ई० में विद्रोह कर दिया। परिणामस्वरूप अंग्रेजी सरकार को पुनः कैदियों को पीतल का लोटा देना पड़ा।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now