Sharad Purnima-हर साल के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णीमा मनाई जाती है। क्या आप जानते हैं शरद पूर्णिमा की कथा क्या है। क्या आप यह भी जानते हैं कि इस पूर्णिमा पर खीर का महत्व क्या और क्यों है। आइए इस लेख में आपके इन दोनो सवालों का जवाब तलाशते हैं। पूर्णीमा का व्रत क्यों किया जाता है इस पर भी इस लेख में चर्चा होगी।
Sharad Purnima in Hindi
पौराणिक कथा के मुताबिक इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी विष्णु भगवान के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक का भ्रमण करती हैं। कहा जाता है कि इसीलिए जो लोग इस दिन का व्रत रखते हैं माता लक्ष्मी उन पर कृपा बरसाती हैं। इसीलिए व्रत करने वाले इस दिन पूजा पाठ कर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
इस दिन व्रत कथा भी सुनने का प्रचलन है। कहते हैं कि ये सब करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इससे जुड़ी कहानी कुछ इस तरह है। किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी दो बेटियां हर महीने की पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। बड़ी बेटी तो सारे विधि विधान से व्रत करती थी जबकि छोटी विधि विधान को नहीं मानती थी। बड़ी होने पर दोनो की शादी हुई। बड़ी बेटी को स्वस्थ संतान हुआ जबकि छोटी बेटी का संतान होने के कुछ देर बाद ही मर गया। दो तीन बार ऐसा होने पर छोटी बेटी ने ब्राह्मण को बुलाकर वजह पूछी तो पता चला कि उस पर अधूरे व्रत का दोष लग रहा है। उसने तय किया कि विधि विधान से व्रत करेगी। लेकिन पूर्णिमा आने से पहले ही उसे बेटा हुआ लेकिन उसकी भी मौत हो गई।
छोटी बेटी ने इस बार बेटे की मौत की बात सबसे छिपा ली और एक पीढ़े पर बेटे के शव को रखकर उसे इस तरह से ढक दिया कि किसी को पता ना चले। उसी दिन बड़ी बहन उसके पास पहुंची तो छोटी ने उससे उसी पीढ़े पर बैठने के लिए कहा। जैसे ही वह बैठने लगी उसके स्पर्श से बच्चा रोने लगा। यह देखर बड़ी बहन को गुस्सा आया तो छोटी ने उसे बताया कि बच्चा मरा हुआ था तुम्हारे स्पर्श से जिंदा हो गया। इसी घटना के बाद छोटी ने भी विधि विधान से व्रत करना शुरू कर दिया।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली रोशनी अमृत वर्षा के समान होती हैं इसीलिए इस दिन खीर बनाकर रखा जाता है। मान्यता है कि खीर में पड़ने वाली चंद्रमा की रोशनी से खीर अमृत के समान हो जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी से अमृत के समान हो गए खीर को खाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
अस्वीकरण-लेख विभिन्न माध्यमों से मिली जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है।