घोष्ट विलेज की यह सत्य कथा जानकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे, वीडियो भी

घोष्ट विलेज (Ghost village) की कई कहानियां आपने देखी सुनी होंगी। लेकिन जिस घोष्ट विलेज के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो हिंदुस्तान की आखरी सड़क के पास स्थित है। यहां रात में क्या दिन में ही इस तरह की विरानगी है कि आप सकते में आ जाएंगे।

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घोष्ट विलेज

घोष्ट विलेज (Ghost village) की कई कहानियां आपने देखी सुनी होंगी। लेकिन जिस घोष्ट विलेज के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो हिंदुस्तान की आखरी सड़क के पास स्थित है। यहां रात में क्या दिन में ही इस तरह की विरानगी है कि आप सकते में आ जाएंगे। हमारे देश में कई ऐसी सारी जगहें हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। ऐसी ही एक जगह है धनुषकोडी।

धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के किनारे पर स्थित है। इसे भारत का अंतिम छोर भी कहा जाता है। ये वो जगह है, जहां से श्रीलंका दिखाई देता है। यहां भले ही आपको विरानगी दिखाई दे रहा हो मगर ऐसा नहीं है कि ये जगह पहले सी वीरान थी। एक समय यहां ढेर सारे लोग रहते थे।इस खास जगह पर दिन के वक्त लोग खूब घूमने आते हैं। लेकिन रात होने से पहले ही सभी लोगों को वापस भेज दिया जाता है। क्योंकि यहां रात के वक्त घूमना बिल्कुल मना है। लोग शाम होने से पहले रामेश्वरम लौट जाते हैं। इस जगह का नाम ही घोष्ट विलेज हो चुका है। दूर दूर तक लोग इसे घोष्ट विलेज के नाम से जानते हैं।

आपको बता दें कि धनुषकोडी से रामेश्वरम का रास्ता 15 किलोमीटर लंबा है और बेहद सुनसान है। यहां किसी को भी डर लग सकता है। क्योंकि इस इलाके को बेहद रहस्यमयी माना जाता है। कई लोग तो इस जगह को भूतहा भी मानते हैं। साल 1964 में आए खतरनाक चक्रवात से पहले धनुषकोडी भारत का एक बेहतरीन पर्यटन स्थल था। उस दौरान धनुषकोडी में रेलवे स्टेशन, अस्पताल, चर्च, होटल और पोस्ट ऑफिस बना हुआ था। लेकिन साल 1964 में आए चक्रवात ने सबकुछ खत्म कर दिया। कहा जाता है कि इस दौरान सौ से अधिक यात्रियों वाली एक रेलगाड़ी समुद्र में डूब गई थी। तब से यह जगह सुनसान हो गई। ऐसा कहा जाता है कि धनुषकोडी वो जगह है, जहां से समुद्र के ऊपर रामसेतु का निर्माण शुरू किया था। कहा जाता है कि इसी जगह पर भगवान श्रीराम ने हनुमान को एक पुल का निर्माम करने का आदेश दिया था, जिसपर से होकर वानर सेना लंका में प्रवेश कर सके। धनुषकोडी में भगवान राम से जुड़े कई मंदिर आज भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि विभीषण के निवेदन करने पर भगवान राम ने अपने धनुष के एक सिरे से सेतु को तोड़ दिया था। इस कारण से इसका नाम धनुषकोटि पड़ गया। कमिल में कोटि का मतलब सिरा होता है। इसलिए इसे धनुषकोडी नाम दिया गया है। 

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