Bhikhari Thakur-उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता था। वह दुनिया भर में मशहूर थे। जानवर चराते समय ही गाने गुनगुनाने वाले भिखारी ठाकुर भोजपुरी गीत संगीत के दुनिया के सबसे बड़े आयकन बने। हाल ही में बिहार सरकार ने छपरा में उनके नाम पर सारण के जिला मुख्यालय, छपरा में निर्मित सभागार-सह-आर्ट गैलरी का नाम भिखारी ठाकुर के नाम पर रखने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सभागार में 600 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। इसमें एक अलग आर्ट गैलरी भी है।
Bhikhari Thakur जयंती मनाई गई कुछ इस तरह
बिहार के विरासत तथा बिदेसिया के जनक भिखारी ठाकुर की जयंती (18 दिसंबर) के अवसर पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार के सौजन्य से भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र के द्वारा “ भिखारी द किंग नामक दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के सभागर में 18-19 दिसम्बर को किया गया ।
दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उदघाटन कला संस्कृति कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री श्री जितेन्द्र कुमार राय, अपर मुख्य सचिव, श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा, नाच कला के लब्ध प्रतिष्ठित कलाकर लखिचंद मांझी, निदेशक, श्रीमती रूबी एवं अन्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वल्लित कर किया गया । इस अवसर पर सभी अतिथियों ने स्वर्गीय भिखारी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण किया।
मंत्री श्री जितेन्द्र कुमार राय ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व कि बात है कि मैं भिखारी ठाकुर के गृह जिले से हूँ। अपने समय में ही भिखारी ठाकुर जी ने स्वस्थ और समतामूलक समाज का निर्माण कैसे हो, इसपर केंद्रित नाटक और गीत रचे थे । उनके द्वारा रचे गए नाटक और गीत आज के सन्दर्भ में भी प्रासंगिक हैं जो उनकी दूरदर्शी सोच को दर्शाता है।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि आज भिखारी ठाकुर जी के 136 वी जयंती पर भिखारी द किंग नामक इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। भिखारी ठाकुर जी ने सामाजिक कुरीतियों पर लगभग दर्जन भर से ज़्यादा नाटक एवं गीत लिखे हैं। उन्होंने नाटक भी ऐसे रचे हैं, जो आम लोगों के लिए सहज, सरल सीधी भाषा में हैं। उनके नाटकों ने लोगों की मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंनें स्त्रियों के मन, उनके भाव, वियोग और उनकी व्यथाओं का चित्रण बहुत ही सुन्दर और सहज ढंग से किया था। इस अवसर पर भिखारी ठाकुर जी के शिष्य एवं उनके साथ कार्य कर चुके श्री लखिचन्द माँझी जी को नाच कला में जीवनपर्यंत उत्कृष्ट योगदान के लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग (बिहार सरकार) द्वारा “बिहार कला पुरस्कार” के तहत लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार (प्रदर्श कला) से सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम के दौरान श्री लखिचन्द माँझी को बिहार कला सम्मान के तहत एक लाख रुपये की राशि एवं प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने भिखारी ठाकुर रचित सोहर गाया। कार्यक्रम के दौरान “नई पीढ़ी और भिखारी ठाकुर” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। तिगोला सांगितिक प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध गायिका कल्पना पटवारी, पद्मश्री रामचंद्र माँझी जी की शिष्या प्रसिद्ध लोकगायिका सरिता साज़ एवं भोजपुरी विरासत के ठेंठ गायक रामेश्वर गोप के द्वारा किया।
इस डरूँ इन तीनों कलाकरों की मनमोहर प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भिखारी ठाकुर कृत गबरघिचोर नाटक का मंचन डॉ. जैनेन्द्र दोस्त के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत पूर्वांचल के प्रसिद्ध जाँघिया नाच की प्रस्तुति श्री बृजनाथ सिंह एवं दल के द्वारा से हुई । यह पूर्वांचल का एक प्रसिद्ध नाटकीय विधा है जिसमे नृत्य, संगीत एवं नाटक का प्रदर्शन किया जाता है ।
इस नाच में करतब और कलाबाज़ी, जैसे दांतों से साइकिल नचाना, फ़र्री और गुलाटी मारना इसे रोचक और मनोरंजक बना देता है । इसमें नाचने वाले कलाकारों ने सफ़ेद बनियान, सफ़ेद बनियान और धोती के ऊपर रंग- बिरंगी जांघिया पहना था एवं उनके जांघिये में 3 से 5 किलों तक के घुंघरू लगे थे, जिसने इनकी प्रस्तुति को रोचक और मनमोहक बना दिया । इसके बाद इनके द्वारा गाए गीत रतिया के झुलानिया ले गईल चोर मोरी ननदी ने लोगों को खूब झुमाया ।
Bhikhari Thakur के नाटक
इसके बाद भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाटक बिदेसिया का मंचन देश के प्रसिद्ध रंग निर्देशक श्री संजय उपाध्याय के निर्देशन में किया गया । बिदेसिया का मुख्य विषय रोजी -रोटी की तलाश में विस्थापन, घर में अकेली औरत का दर्द और नायक का लौट कर अपनी मिट्टी की तरफ वापस आना है । ए लीजिये जनाब, दोस्त ने कलकत्ता की तारीफ कर दी तो नायक मचल उठे कलकत्ता देखने को लेकिन अभी नायिका के पैरों का महावर भी नहीं सुखा की जुदाई की बात और उसपर से सुन रखा है कि “ पूरब देस में टोना बहुत बेसी बा, पानी बहुत कमजोर” ।
Bhikhari Thakur certificate
नाटक के मंचन के दौरान पिया कह्लन बाहर जाइब, कुछ दिन में लौट के आइब, जीने नहीं दिहली कबहूँ, आहो मोरे रामा जैसे गीतों की प्रस्तुति ने समां बांधा । कार्यक्रम के दौरान कला, संस्कृति और युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र एवं प्रतिक चिह्न देकर सम्मानित किया ।