दिल्ली पुलिस में ऑनलाइन बदलावों के अलावा भी बदल रही हैं कई चीजें, जानें क्या है आपके काम की बातें

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लेखक
आलोक वर्मा

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के साथ विशेष भेंट पर आधारित

नई दिल्ली। किसी संगठन का मुखिया चाहे तो कई ऐसे बदलाव ला सकता है जो सबके काम की हो। दिल की पुलिस बन कर कोरोना काल की सभी चुनौतियों का सामना करने वाली दिल्ली पुलिस में कुछ ऐसा ही हो रहा है। कोरोना महामारी में ऑनलाइन हो रही दिल्ली पुलिस में बदलावों का दौर जारी है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभालने के बाद एस एन श्रीवास्तव ने पुलिस के आधुनिकीकरण की रूपरेखा बदल दी है। लगभग सभी कामकाज में ऑनलाइन हो रही दिल्ली पुलिस में बदलावों का दौर जारी है। बदलावों की खास बात ये है कि इसका मकसद पुलिस की कार्य प्रणाली को दुरूस्त करने के साथ साथ आम लोगों को फायदा पहुंचाना भी है। दिल्ली सीपी एस एन श्रीवास्तव ने ये भी ध्यान रखा है कि आधुनिकीकरण का लाभ हरेक स्तर यानि शिकायत सुनने, दर्ज करने से लेकर कोर्ट में साबित करने तक मिल सके।

एडवांस क्राइम टीम लाएगी ये बदलाव

ऑनलाइन हो रही दिल्ली ही नही देश की किसी भी पुलिस की मूल जरूरत क्राइम सीन होता है। इसी क्राइम सीन से जांच शुरू होती है सबूत मिलते हैं औऱ कोर्ट तक मामले को पहुंचाया जाता है। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव का भी मानना है कि किसी भी मामले की जांच ही उसका परिणाम तय करती है। गुनाहगार को सजा मिले इसके लिए जरूरी है कि पुलिस की जांच पुख्ता हो।

स्टोरी नायक
पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव

दिल्ली में सजा की दर में सुधार के लिए मूलभूत बदलाव किए जा रहे हैं। इस बदलाव में सबसे पहले फोकस जांच पर है। सजा की दर में सुधार के लिए वैज्ञानिक जांच की तरफ ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए सभी जिलो में दो तरह की विशेष टीम का गठन हो रहा है। पहले टीम को क्राइम टीम के नाम से जानते हैं। इसमें एक सबइंस्पेक्टर, एक फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट औऱ एक फोटोग्राफर होता है। फिलहाल यह टीम दिल्ली के 10 पुलिस जिलो में है। क्राइम टीम सभी 15 जिलो में तैनात किया जा रहा है। इस क्राइम टीम का मुख्य काम चोरी, सेंधमारी और लूट जैसे मामलो में सबूतों को एकत्रित करना है।

कत्ल औऱ रेप औऱ ड्रग जैसे मामलो में अलग तरह के सबूत चाहिए होते हैं। ऐसे मामलो के लिए दिल्ली में पहली बार एडवांस क्राइम टीम का गठन हो रहा है। इस टीम में बायोटेक्नॉलिजिस्ट, बैलिस्टिक एक्सपर्ट और ड्रग एनालिस्ट शामिल किए जा रहे हैं। फिलहाल ऐसे तीन टीम के लिए कहा गया है। ये टीमें दिल्ली के दो जोन औऱ एक क्राइम ब्रांच के लिए काम करेंगी। इस काम में दिल्ली पुलिस पर बजट का अतिरिक्त बोझ ना पड़े इसका खास ख्याल रखा जा रहा है। टीम के लिए सलाहकार रखे जाएंगे। इस टीम में युवा अनुभवी फारेंसिक एक्सपर्ट सलाहकार के रूप में रखे जाएंगे। गृह मंत्रालय के पास इस आशय की सिफारिश भेज दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि गृमंत्रालय से जल्द ही इस बदलाव की स्वीकृति मिल जाएगी।
ऑनलाइन हो रही दिल्ली पुलिस फाइलों से मिल रहा है छुटकारा 

कोरोना काल औऱ उसके बाद भी न्यू नार्मल अब आवश्यक शर्त है। न्यू नार्मल में बदलाव को पुलिस भी तेजी से अपना रही है। ऑनलाइन हो रही दिल्ली पुलिस की कार्य शैली में अभूतपूर्व बदलाव आया है।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव की पहल पर चार्जशीट दाखिल करने में अहम बदलाव किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के थानो में अब आपको केस फाइलो की मोटी मोटी ढेरें नहीं दिखाई पड़ेंगी। ना ही इन फाइलो को ढोने के लिए अलग से पुलिसकर्मी लगाने पड़ेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पुलिस ने अब सीसीटीएन चार्जशीट दाखिल करना शुरू कर दिया है। आम बोलचाल की भाषा में आप इसे ऑनलाइन चार्जशीट भी कह सकते हैं। इतना ही नहीं चार्जशीट के अलावा अनट्रैस रिपोर्ट आदि भी ऑनलाइन हो चुकी हैं। इसके तहत 1 जुलाई से 12 सितंबर तक 17318 चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। इसी अवधि में 642 कैंसीलेसन और 3190 अनट्रैस रिपोर्ट भी फाइल की गई।

संक्षेप में कहें तो ऑनलाइन हो रही दिल्ली पुलिस में करीब करीब सारा काम पेपर लेस हो चला है। पेपरलेस काम के लिए दिल्ली के पुलिस थानो मे कंप्यूटरों की संख्या 5 से बढ़ाकर 11 कर दी गई है। इसके लिए रिक्तियों के अनुसार कांस्टेबल स्तर के डाटा एंट्री आपरेटर रखे जाएंगे। यह काम भी बिना किसी अतिरिक्त बजट के हो रहा है।

इसके परिणाम स्वरूप फाइलों के ढेर के साथ साथ उनके ट्रांसपोर्टेशन के लिए भारी इंतजामों के बोझ से भी मुक्ति मिलेगी।
ऑन लाइन हो रही पुलिस के लिए साइबर क्राइम महत्वपूर्ण 

साइबर क्राइम आजकल पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। आने वाले दिनो में ये चुनौती और बड़ी होती जाएगी। इसके लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने हर जिले में साइबर फारेंसिक यानि आईटी का ज्ञान रखने वाले लोगों को रखने का निर्देश दिया है। यह भर्ती भी सलाहकार के तौर पर ही होगी। इनका स्तर सबइंस्पेक्टर का होगा। दिल्ली के हरेक जिले में इनकी संख्या 3 होगी।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का मानना है कि तकनीक में निरंतर बदलाव हो रहे हैं। इस बदलाव को अपनाने के लिए एक्सपर्ट भी वैसे ही होने चाहिए।
ऑनलाइन के जरिए बदलाव के साथ साथ यह भी जरूरी

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने आर्थिक अपराध की जांच पर गहन ध्यान दिया है। उनका मानना है कि दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा में लंबित जांच की बड़ी वजह आर्थिक मामलो की जानकारी का अभाव है। उनका मानना है कि पुलिस के आम जांच अधिकारी के पास अकाउंटिंग जैसे कई मामलो में जानकारी  का अभाव होता है। इसके चलते आर्थिक अपराध के मामलो की जांच में लंबा समय भी लगता है। ऐसे मामले में अपराधी को सजा दिलाना भी मुश्किल होता है। इसीलिए आर्थिक अपराध के लिए फाइनेंसियल एक्सपर्ट, अकाउंटिंग एक्सपर्ट आदि रखे जाएंगे।

पूछताछ में ली जाएगी इनकी मदद

दिल्ली पुलिस में हो रही ऑनलाइन बदलाव के अलावादिल्ली पुलिस कमिश्वर एस एन श्रीवास्तव ने पूछताछ की कार्रवाई में भी एक ठोस आयाम देने जा रहे हैं। बात सही भी है थर्ड डिग्री की बात अब पुरानी हो चली है। खासकर हाई प्रोफाइस क्रिमिनल से कुछ उगलवाना तो टेढ़ी खीर ही है।  दिल्ली पुलिस इस काम में मनोवैज्ञानिकों यानि साइकॉलाजिस्ट की मदद लेने जा रही है। सब इंसप्केटर लेबल के पद पर इन वैज्ञानिकों कि नियुक्ति होगी। ये सभी सलाहकार स्तर के होंगे। इनका काम पूछताछ के दौरान आरोपी के मनोविज्ञान को पढ़ना होगा। या यूं कहें कि हुमेन लाइ डिटेक्टर की तरह ये काम करेंगे।

 जिसका सामान उसके पास

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के निर्देश पर केस प्रोपर्टी को उसके वास्तविक मालिकों को लौटाने का काम शुरू हो चुका है। दिल्ली पुलिस इस तरह के मेले के जरिए लोगों का सामान उनको वापस भेज रही है। केवन 14 दिनो में ही 1108 गाड़ियां लौटाईं गईं। इसके अलावा 600 से ज्यादा मोबाइल और लैपटाप आदि लौटाए गए।

पुलिस की छवि के लिए ये बदलाव

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के निर्देश पर सोशल मीडिया सेल का गठन किया गया है। इसके लिए करीब 40-50 वालिंटियर रखे गए हैं। दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी के अधीन काम करने वाले ये सोशल मीडिया वालिंटियर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निगरानी रख रहे हैं। पुलिस की छवि के बारे में चलने वाली हरके पोस्ट को ना केवल ध्यान से पढ़ा जाता है बल्कि उस पर कार्रवाई भी होती है। अगर पुलिस के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है तो यही सोशल मीडिया सेल उसका जवाब भी देता है। मकसद पोस्ट के वास्तविक मकसद तक पहुंचना और उसी के मुताबिक कार्रवाई कर पुलिस की छवि को आम जनमानस में बेहतर बनाना है।

 

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