मक्का और शहद का उत्पादन करने वाले बिहार के उत्पादकों को नया बाजार मिलने जा रहा है। राज्य में ही खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के अलावा पशु आहार और स्टार्च उत्पादन करने वाले कारखाने लगाए जाने हैं। अगले पांच साल में 50 पशु आहार इकाइयां लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह दस स्टार्च उत्पादन इकाइयां भी लगाई जाएंगी।
दैनिक हिंदुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मक्का उत्पादन में बिहार अग्रणी राज्यो में है। यहां से मक्का खरीदकर दूसरे राज्यों के व्यापारी ले जाते हैं। वहां से पशु आहार, कार्नफ्लैक्स अन्य उत्पाद के रूप में यह बिहार पहुंचता है। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिलता है। स्थानीय लोगों को भी मक्का से बने उत्पाद महंगे दामों में मिलते हैं। इसीलिए चौथे कृषि रोड मैप में पशु आहार और स्टार्च उत्पादन इकाइयां लगाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए मक्का आधारित पोल्ट्री, खाद्य आहार, मछली चारा, पशु आहार इकाइयों में वृद्धि की जाएगी। हरेक साल दस पशु आहार इकाई लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इस तरह अगले पांच साल में पचास इकाइयां लगेंगी। इन इकाइयों में ढाई मीट्रिक टन मक्का प्रसंस्करण का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा मक्का से स्टार्च उत्पादन के लिए दस इकाइयां लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अनुसार प्रति वर्ष तीन लाख मीट्रिक टन प्रसंस्करण क्षमता विकसित की जाएगी। सरकार की इस कवायद से मक्का उत्पादन जिलो में रोजगार बढ़ेंगे।
शहद प्रसंस्करण के लिण दस सुविधा केंद्र की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसकी प्रसंस्करण क्षमता तीन मीट्रिक टन रोजाना होगी। प्रसंस्करण क्षमता विकसित होने से शहद उत्पादकों को फायदा होगा।