बिहार में साइबर अपराध की दर चार साल में करीब ढाई गुणा बढ़ गई है। पूरे राज्य में 2019 के दौरान 1050 मामले दर्ज किए गए, 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 2400 हो गई । इन चार वर्षो में 6375 मामले दर्ज किए गए। इतने मामलो में हजारो अभियुक्त बनाए गए लेकिन अब तक महज दो अपराधियों को ही सजा मिल सकी है। दैनिक हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक सभी स्तर की अदालतो में 1924 मामले लंबित हैं।
पुलिस के स्तर से साइबर अपराध के मामलो में चार्जशीट दायर करने की रफ्तार भी 50 फीसदी से कम है। कोरोना काल की बात करें तो साइबर अपराध के मामलो में तेजी से बढ़ोतरी हो गई। 2021 में 1413 मामले और 2022 में 2400 मामले दर्ज किए गए।
बिहार में दर्ज हो रहे साइबर अपराध के मामलो में सर्वाधिक 70 फीसदी मामले वित्तीय फ्राड से जुड़े हुए हैं। सिर्फ 2021 में वित्तीय फ्राड के 1100 से अधिक मामले दर्ज किए गए। वित्तीय फ्राड में एटीएम के जरिए ठगी के सर्वाधिक 75 फीसदी मामले दर्ज होते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन बैंकिंग फ्राड, ओटीपी फ्राड, वेबसाइट पर फर्जी लिंक या साफ्टवेयर के जरिए ठगी समेत अन्य़ कई माधय्मों से वित्तीय धोखेबाजी के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। इसके बाद नंबर आता है सेक्सटार्शन का।
बिहार पुलिस के लिए साइबर अपराधियों को पकड़ने सजा दिलाने औऱ लोगों के डूबे पैसे वापस कराना अब भी सबसे बड़ी चुनौती है। साइबर अपराध से जुड़े 40 फीसदी से अधिक मामलो में थाना स्तर पर आईटी कानून के सुसंगत धाराओं को जोड़ा ही नहीं जाता।