तीन ठग तीन सौ शिकार

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एटीएम से पैसे निकलते है तो जरा सावधान हो जाय।आपके पीछे जो शख्स खड़ा है हो सकता है उसकी नज़र आपके कार्ड के पिन नंबर पर हो। और आप की मदद करने के बहाने आपका एटीएम कार्ड बदल ले।जी हां हम बात कर रहे है एक ऐसे गिरोह की जो इसी तर्ज पर अब तक 300 लोगो को अपना शिकार बना चुका है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले तीन आरोपी को ग्रिफ्तार किया है। पकडे गए शख्स का नाम विकास झा, आसिफ और गोपाल को पकड़ा है।

atm cheats arrested by south west ops cell
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डीसीपी सुरेंद्र कुमार ने बताया की ऑपरेशन सेल के एसीपी राजेन्द्र सिंह, एएटीएस के इन्स्पेक्टर राज कुमार, सब इंस्पकेटर धर्मेंद्र, सहायक सब इंस्पकेटर रणधीर, शिव कुमार, राजेन्द्र, श्याम, हेड कांस्टेबल प्रताप और कांस्टेबल अनिल की टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया है. अभी तक की पूछताछ में इस गिरोह ने दिल्ली एनसीआर में 300 वारदातेों को अंजाम देने का बात मानी है।
पूछताछ में इन्होंने खुलासा किया की ये एटीएम के आसपास घूमते रहते थे. कोई बुज़ुर्ग दिखा तो उनकी मदद के बहाने उनके कार्ड को बदल कर उन्ही के जैसा दूसरा कार्ड थमाकर फिर बाद में बदले गए कार्ड से कैश निकाल लेते थे. जिस जगह एक ही केबिन में कई एटीएम लगे होते हैं वहां नजर बचाकर उनका पिन नम्बर देख लेते और और फिर कैश ट्रांजेक्शन कर लेते थे. इसके अलावा एटीएम के की पेड़ में भी छेड़छाड़ कर लोगों से चीटिंग की वारदात को इन्होंने अंजाम दिया है. डीसीपी सुरेंद्र कुमार ने लोगों से कहा की वे जब भी बैंक के किसी भी एटीएम में जाएँ तो सतर्क होकर ट्रांजेक्शन करें। अनजान सख्श से मदद न लें. कोई दिक्कत हो टी एटीएम में मौजूद गार्ड से हेल्प ले सकते हैं.
यह गिरोह कई महीनों से दिल्ली और एनसीआर में वारदात को अंजाम दे रहा था. विकास और गोपाल पहले भी गिरफ्तार हो चूका है. विकास ने 5 साल पहले अपने एक दोस्त से यह चीटिंग का धंधा सीखा था और उसके चले जाने के बाद इसने अपना गिरोह बनाकर वारदात को अंजाम देने लगा. पुलिस को यह भी पता चला है की गिरोह का मास्टर माइंड विकास और जमील चीटिंग के धंधे से अपना बिजिनेस शुरू कर चूका है.
पुलिस के मुताबिक तीनो ने दिल्ली ,रोहतक सोनीपत फरीदाबाद, सहारनपुर में 300 से भी ज्यादा लोगो को अपना शिकार बना चुके है।करीब दो साल से इस धंधे से जुड़े है। पुलिस का कहना है कि ये ज्यादातर पिक ऑवर में चीटिंग की वारदात को अंजाम देते थे। बुजुर्गो या फिर वैसे लोगो को टारगेट करते थे जो जल्दी में होते थे। और अपने पास कई बैंको के फेक कार्ड भी रखते थे।ताकि कार्ड बदलने में परेशानी ना हो।

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