आलोक वर्मा
भारत के गांवों में विकास की गति बढ़ी है। इस रफ्तार की सबसे बड़ी वजह सड़क है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत प्रतिदिन 130 किमी लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। 2013-2014 में इसका रफ्तार 69 किमी प्रतिदिन था।
पहली बार गांवों को जाने वाली सड़कों के निर्माण को रफ्तार दिया गया है। यही वजह है कि जहां साल 2011 से 2014 तक कुल 81095 सड़क बनी थी वहीं पिछले 3 साल में 1लाख 33 हजार 476 किमी सड़कों का निर्माण हुआ है। 2014-2015 में जहां 36337 किमी सड़कें बनीं वहीं 2016-2017 में 47447 किमी सड़कों का निर्माण हुआ। 2013-2014 में तो सिर्फ 25316 किमी सड़कों का निर्माण हुआ था। जाहिर है इसका सीधा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गांवों के प्रति सकारात्मक सोच को जाता है। ग्रामीण विकास मंत्री राम कृपाल यादव भी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं।
कहा जाता है कि देश का दिल गांवों में बसता है देश की कुल आबादी का 69 प्रतिशत इन्हीं गांवों में बसता है।देश का कोना कोना एक दूसरे से जुड़ सके इसी मकसद के साथ 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरूआत हुई थी। तब लक्ष्य था 1.67 लाख संपर्क विहीन आबादी स्थल को संपर्क प्रदान करना। इसके तहत 3.71 लाख किसी सड़क का निर्माण औऱ 3.68 लाख किमी सड़क को अपग्रेड करना है। वर्तमान में पहाड़ी और जनजातीय इलाकों में 250 और ऐसे 500 की आबादी वाले स्थल को सड़क प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
दुर्भाग्यवश 2014 तक तक ग्रामीण सड़क निर्माण की रफ्तार काफी धीमी थी। लेकिन पिछले 3 सालों में इसने रफ्तार पकड़ी है और इसका परिणाम सामने आने लगा है। ग्रामीण सड़कों के निर्माण से भारत के गांवों की तस्वीर बदलने लगी है। विकास की सरकारी ही नहीं निजी योजनाओं भी गांवों में पहुंचने लगी हैं। ग्रामीण भारत की तस्वीर पूरी तरह से बदलने में अभी समय तो लगेगा मगर वर्तमान रफ्तार कायम रहे तो कुछ ही सालों में बहुत कुछ बदल जाएगा।
मतलब साफ है सड़क का निर्माण होगा और इस सड़क के रास्ते स्वास्थय शिक्षा और विकास गांवों तक नियमित और विकसित रूप में पहुंचेगा औऱ तब गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर गये लोग फिर चल पड़ें ‘अपने गांवों की ओर’।