नक्सल-पीड़ित दिल्ली क्यों पहुंचे आप भी जान लीजिए क्या गंवा दिया और क्या चाहते हैं

नक्सल पीड़ितों का एक दल दिल्ली पहुंचा है। इसमें छत्तीसगढ़ के बस्तर से 50 नक्सल पीड़ित शामिल हैं। इस दल ने जंतर-मंतर पर मौन धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की शुरुआत कर्तव्य पथ से हुई और बाद में यह सभी लोग जंतर मंतर पहुंचे।

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नक्सल
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नक्सल पीड़ितों का एक दल दिल्ली पहुंचा है। इसमें छत्तीसगढ़ के बस्तर से 50 नक्सल पीड़ित शामिल हैं। इस दल ने जंतर-मंतर पर मौन धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की शुरुआत कर्तव्य पथ से हुई और बाद में यह सभी लोग जंतर मंतर पहुंचे। बस्तर शांति समिति के बैनर तले दिल्ली पहुंचे इन लोगों के समूह में कई ऐसे पीड़ित भी हैं जो नक्सली हिंसा में अपने शरीर के अंगों को गंवा चुके हैं। दरअसल ये सभी वे लोग नक्सली हिंसा का शिकार हैं जो न्याय और बस्तर संभाग में शांति स्थापित करने की मांग को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं।

नक्सल पीड़ितों की मांगे, वीडियो देखिए

इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रही संस्था बस्तर शांति समिति के संयोजक मांगूराम कावडे ने कहा “हम कई दशकों से नक्सली हिंसा की मार झेल रहे हैं। हमारे इलाके के कई गांव इस हिंसा से प्रभावित हैं और नक्सलवाद की वजह से पूरा बस्तर इलाका विकास से कोसों दूर है, हमारी मांग है कि बस्तर की आवाज को सुना जाए और वहां के लोगों को इस नक्सली हिंसा से मुक्ति दिलाई जाए।”

इस दल के साथ बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के कचीलवार गांव से गुड्डूराम लेकाम भी आए हैं उन्होंने मीडिया  को बताया कि “11 मार्च 2024 को मैं खेतों से मिर्च तोड़कर अपने घर लौट रहा था, वहां जंगल के भीतर नक्सलियों ने बम बिछाया हुआ था जिस पर मेरा पैर पड़ गया और वो बम फट गया। इस घटना मे मुझे अपना एक पैर गंवाना पड़ा। मैं चाहता हूँ कि आगे किसी के साथ ऐसा ना हो इसलिए हमारे इलाके से नक्सलवाद का खात्मा बहुत जरूरी है। इसी मुद्दे को लेकर आज हम यहां प्रदर्शन करने पहुंचे हैं।”

इस धरना प्रदर्शन में नक्सली हिंसा से पीड़ित सभी लोग हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर शामिल हुए। उन तख्तियों पर ‘मैं खामोश बस्तर, लेकिन आज बोल रहा हूँ!’ जैसे कई जोशीले नारे लिखे नजर आए।

बस्तर शांति समिति के अनुसार दिल्ली पहुंचे ये लोग अलग-अलग मंचों के माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुंचाएंगे ताकि दिल्ली जैसे महानगरों और देश के बारी राज्यों के लोगों तक भी उनका दर्द और उनकी आवाज पहुंच सके।

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