नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। यह सत्य कथा एक पांच दिन के शिशु की है। सिर्फ पांच दिन के इस शिशु को मां बाप ने बेच दिया। महज तीन लाख साठ हजार रु में। खरीदार ने शिशु को खरीदने के लिए अपनी जमीन बेच दी। सौदा हो गया। पांच दिन का मासूम बच्चा अपने खरीदार की गोद में दिल्ली से चला गया। मगर कुदरत को कुछ और मंजूर था। बच्चा बेचने वाले मां बाप को लगा कि उनके साथ ठगी हो गई है। लेकिन बच्चा वापस पाने का कोई उपाय समझ नहीं आ रहा था।
बच्चे के पिता ने तब दिल्ली पुलिस में बच्चे के किडनैप किए जाने की शिकायत कर दी। शिकायत करते वक्त पिता गोविंद को उस घर का पता भी नहीं मालूम था जहां वह अपनी पत्नी को छोडकर गया था। खैर दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी में दर्ज इस शिकायत की जांच के लिए एसीपी रणवीर सिंह की देखरेख में फतेपुर बेरी एसएचओ इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एसआई लक्ष्मण कुमार, सत्येन्द्र गुलिया, एएसआई ब्र्हमेश्वर कांस्टेबल सोनू, निरंजन, जयवीर, सीताराम, धर्मवीर जगदेव और प्रवीण की टीम बनाई गई। पुलिस टीम ने सबसे पहले तो आया नगर में उस मकान को तलाशा जहां से बच्चे के लापता होने की बात गोविंद कह रहा था। गोविंद और उसकी पत्नी पूजा ने बताया कि उसकी पत्नी पूजा ने 8 जून को बेटा जन्मा था। यह दोनो का दूसरा बेटा था पहले बेटे की उम्र 5 साल है। उनहोंने बताया कि आया नगर के हरिपाल सिंह ने उन्हें बच्चा जन्म देने के बाद अपने घर में रख लिया। गोविंद औऱ पूजा के किराए के घर में जगह कम थी इसलिए वह हरिपाल की बातो में आ गए। रात में जब दोनो सो रहे थे तो हरिपाल ने बाहर से दरवाजा बंद कर बच्चे को अगवा कर लिया।
पति पत्नी के इस बयान के बाद पुलिस ने अगवा करने का मामला दर्ज कर लिया। इस मामले ने तब दूसरा टर्न ले लिया जब पुलिस ने हरिपाल से पूछताछ की। हरिपाल ने पुलिस को बताया कि गोविंद और पूजा ने अपने पांच दिन के बच्चे को खुद की मर्जी से हरिपाल के रिश्तेदार रमन को दिया था। पुलिस रमन के पास पहुंची। रमन ने पुलिस को बताया कि बच्चा उसे पास नहीं बल्कि उसके रिश्तेदार विद्यानंद और रामपरी को दिया है। रमन ने यह भी बताया कि विद्यानंद और रामपरी बच्चे को लेकर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से मधुबनी के लिए रवाना हो गए हैं। रमन ने ईटिकट भी दिखाया। पुलिस ने तत्काल ट्रेन की लाइव लोकेशन ली तो पता लगा कि ट्रेन कानपुर सेंट्रल ढाई बजे सुबह पहुंचेगी। इसके बाद पुलिस ने कानपुर सेंट्रल के नजदीकी पुलिस स्टेशन हरबंस मोहल के एसएचओ सत्येदव शर्मा को संपर्क किया। सत्यदेव शर्मा ने तत्काल ट्रेन से विद्यानंद औऱ रामपरी को उतार लिया। पुलिस टीम के एएसआई ब्रह्मेशवर और कांस्टेबल धर्मवीर, महिला सिपाही निशा कानपुर भेजे गए। पुलिस रामपरी और विद्यानंद के साथ उस बच्चे को लेकर दिल्ली पहुंची तो कहानी कुछ यूं खुली।
विद्यानंद औऱ रामपरी को शादी के 25 साल बाद भी बच्चा नहीं था जिसके लेकर लोग ताने देते थे। बच्चे के लिए उन्होंने अपने रिश्तेदार रमन से संपर्क किया। रमन ने हरिपाल से बात की तो हरिपाल ने कहा कि गरीब गोविंद और पूजा अपना होने वाला बच्चा दे सकते हैं। गोविंद और पूजा ने बच्चे के बदले में पहले चार लाख रुपये की मांग रखी। रमन ने कुछ कम करने के लिए कहा। उधर बच्चा मिलने की सूचना मिलते ही विद्यानंद ने अपनी जमीन बेच कर पैसा जुटा लिया। 8 जून को पूजा ने बेटे को जन्म दिया। 10 को वह वापस आ गई। 12-13 जून की रात हरिपाल, रमन के माध्यम से विद्यानंद औऱ रामपरी को बच्चा मिल गया। इसके बदले गोविंद और पूजा को 2 लाख रु नकद, 40 हजार रु के चार चैक दिए गए। उनके बीच बकायदा एग्रीमेंट आदि भी बने। लेकिन बाद में पूजा औऱ गोविंद को लगने लगा कि उनसे ठगी हुई है। इस बीच उनके फोन से तंग आकर हरिपाल और रमन ने अपना फोन भी बंद कर लिया। बच्चा वापसी के सारे रास्ते बंद देख गोविंद और पूजा ने पुलिस में बच्चा अगवा किए जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस ने सभी 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।