सारी महामारियों को पीछे छोड़ता कोरोना कई बीमारियों की वजह भी बन सकता है जानिए इनसे बचने के उपाय

0
543
corona make depression

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”Listen to Post”]

वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 संक्रमण से जूझ रहा है, इससे पहले भी कई तरह की महामारी ने विश्व की बहुत बड़ी आबादी को अपनी चपेट में लिया है किंतु, कोविड 19 उन सबको पीछे छोड़ता दिख रहा है। कोविड 19 के रोकथाम में भारत की सराहना विश्व स्वास्थ संगठन ने भी की थी।

शेखर शुक्ला

कोरोना को रोकने के लिए भारत में लॉक डाउन की प्रक्रिया तब शुरू हुई जब पूरे देश में विभिन्न कक्षाओं की कुछ परीक्षाएँ या तो शेष रह गयी थी या होने वाली थी। ऐसे में छात्रों के मन में उनके भविष्य के प्रति संशय होना स्वाभाविक था। कुछ छात्र इसी संशय में या तो पढ़ाई छोड़ कर बाक़ी कामों में व्यस्त हो गए और कुछ अपनी आगे की पढ़ाई को सुचारू बनाये रखने में व्यस्त है।

3 महीने के लॉक डाउन में एक बात सब को पता चल गयी है कि अब आने वाले समय में शिक्षा क्लासरूम तक सीमित नहीं रहने वाली। ऑनलाइन शिक्षा के दौर में हमें घण्टों कंप्यूटर के सामने बैठने से अनेकों बीमारियाँ जकड़ सकती हैं, मसलन पीठ में दर्द, आंखों में जलन या देर तक स्क्रीन के सामने रहने से दृष्टि दोष आदि। इन सब परेशानियों को दरकिनार कर पूरे भारत में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

आधा साल बीत चुका है और यह हम सब के जीवन का सबसे कठिन साल है, कठिन समय प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी न कभी आता अवश्य है और, यही कठिन समय हमारे साहस और धैर्य का परीक्षण करता है। हम कितने परिपक्व और विवेकपूर्ण निर्णय ले पाने में समर्थ है इसी विपरीत समय में हम जान पाते हैं।

हम सब अपने जन्म के बाद से ही सीखना प्रारंभ कर देते हैं, हम चलना सीखते हैं, बोलना सीखते हैं, और फिर हम शिक्षा प्राप्त करना आरंभ करते हैं। शिक्षा प्राप्त करने का एक मात्र लक्ष्य नौकरी पाने तक सीमित नहीं है। शिक्षा हमें विवेक, साहस, धैर्य देने के साथ साथ सद आचरण भी सिखाती है।

तीन महीने लंबे लॉक डाउन में जब प्रत्येक भारतीय अपने घरों में क़ैद हो कर रह गया था तब ही बहुत सारे विद्यार्थी, अवसाद की चपेट में आ गए। कई विद्यार्थियों को भविष्य की चिंताओं ने घेर लिया। अवसाद एक ऐसी बीमारी है जिसके कोई सटीक इलाज़ नहीं है, दवाओं के सहारे ज़िन्दगी जीना और दुर्भर हो जाता है। ऐसे में अवसाद के शुरुआती दौर में ही इसकी पहचान कर इससे बचने के उपाय कर लेना चाहिए।

अवसाद के बुनियादी लक्षण में शामिल है, अचानक से परिवार के सदस्यों से दूरी बनाना, डरे सहमे रहना, कम बोलना, अधिक सोचना, चिंतित बने रहना, अधिक खाने लगना, या कोई भी ऐसा कार्य एकाएक करना जो असामान्य हो।

अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने मन की बात खुल के नहीं कह पाता जिससे उसमें स्वयं के प्रति नफ़रत का भाव आने लगता है और यह उलझन बहुत घातक परिणाम में बदल जाती है जैसे- आत्महत्या।

विद्यार्थी जीवन में अवसाद का होना उनके सुनहरे भविष्य की बुनियाद को कमज़ोर करता है।

अवसाद से बचने के उपाय-
1- अधिक से अधिक परिवार के साथ रहें,
2- अगर आपका कोई क़रीबी दोस्त है तो उससे अपने मन की बात करते रहें।
3- सुबह जल्दी उठ कर प्राणायाम और व्यायाम करें।
4- संगीत सुने, अथवा जिस कार्य में आपकी रुचि है जैसे पेंटिंग, खाना बनाना, इत्यादि करते रहें।
5- ध्यान साधना एक अचूक उपाय है अवसाद से बचने का।
6- हल्का सात्विक भोजन लें।
7- बागवानी करें, पेड़ पौधों को पर्याप्त समय दें।
8- डायरी मेंटेन करें, प्रत्येक पेज पर एक सकारात्मक विचार लिखें, और अपने लक्ष्यों के बारे में लिखें।
9- स्वयं से प्रेम करें, यह दोहराएं की आप ईश्वर की संतान है और एक स्वस्थ व्यक्ति हैं।
10- ईश्वर के प्रति सदैव कृतज्ञ रहें, ईश्वर ही सकारात्मक ऊर्जा के दिव्य स्रोत है। आप अपने जीवन में नकारात्मक विचारों से दूर तभी रह सकते जब आप अधिक से अधिक सकरात्मक ऊर्जा के प्रति कृतज्ञ होंगे।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now