climate of India: देश का क्लाइमेट अब बहुत कुछ तय करने वाला है। इसके तहत अब सरकारी विभागों की कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। घने जंगलों वाले प्रदेश झारखंड से इसकी तैयारी हो रही है। रांची झारखंड के 10 सरकारी विभागों की कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव होने वाला है।
climate of India: इस तरह बदलेगी कार्य संस्कृति
झारखंड में स्टेट एक्शन प्लान फोर क्लाइमेंट चेंज के तहत ही विभाग काम करेंगे। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तैयारी में जुट गया है। इसके लिए जल्द ही गाइडलाइन जारी करने की तैयारी है। इसके तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, जल संसाधन, परिवहन, कृषि, उद्योग, खनन, डिजास्टर मैनेजमेंट, भवन निर्माण, ग्रामीण विकास और पेयजल विभाग की कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव होगा।
विभिन्न सरकारी विभागों में जो भी योजनाएं भविष्य के लिए बनाई जाएंगी, उसमें क्लाइमेंट चेंज गाइड लाइन का पालन करना होगा।मतलब साफ है कि भविष्य में होने वाले क्लाइमेट चेंज को देखते हुए ही नई योजनाओं से संबंधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने स्टेट एक्शन प्लान फौर क्लाइमेट चेंज प्रपोजल तैयार किया।
तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए, विस्तृत कार्य योजना प्रपोजल में शामिल है। प्रपोजल को वन, विभाग द्वारा स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजा गया था। मंत्रालय से प्रपोजल को हरी झंडी मिलने की पूरी संभावना है। केंद्र के नेशनल मिशन आफ स्ट्रेटजिक नालेज आफ क्लाइमेट चेंज (एनएमएसकेसीसी) प्रोजेक्ट के तहत क्लाइमेंट चेंज प्रपोजल तैयार किया गया है।
climate of India: पर्यावरण अनुकूल योजनाएं सर्वे के बाद होंगे लागू
प्रदेश में चल रही योजनाओं से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभावों को कम करने की दिशा में कैसे काम होंगे, इसके लिए प्रपोजल में कार्ययोजनाओं के लिए गाइडलान दिए गए हैं। शहर से गांव तक के इको सिस्टम को अनुकूल बनाने के लिए अब भविष्य के लिए एक्शन प्लान तैयार होंगे।
जिन गांवों में खनन, कम बारिश या जंगल कटने से सबसे अधिक असर हुआ है, वहां सर्वे करके पर्यावरण अनुकूल योजनाएं लागू होंगी। जलश्रोतों या भूगर्भ जल से अधिक दोहन से हो रहे नुकसान को कम करने की योजनाओं पर काम होगा। मिट्टी की प्रकृति में हो रहे बदलाव को पुनर्जीवित करने के लिए एक्शन प्लान के तहत योजनाएं बनेंगी।” बढ़ते प्रदूषण को कम किया जाएगा। नए उद्योग लगाने से पहले प्रदूरुण का सर्वे होगा।

संजीव कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक
इसलिए हो रहा है कार्य संस्कृति में बदलाव
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जलवायु परिवर्तन को लेकर 195 देशों में शोभ करवाया था। शोष से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए दुनिया को 2030 तक अपने उत्सर्जन में आधी कटौती करने और सदी के मध्य तक शुद्ध-शून्य तक पहुंचने की जरूरत है। फिर भी इस तात्कालिकता और जलवायु कार्रवाई करने के आर्थिक और स्वास्थ्य लाभों के बावजूद, अधिकांश देशों, व्यवसायी, राज्यों द शहरों ने बेहतर भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक आर्थिक व सामाजिक बदलाव नहीं किए है।
Climate of india पर हो रहा यह असर
गर्मी की लहरें, भारी बारिश और समुद्र का जलस्तर बढ़ना जीवन के कई पहलुओं के लिए चुनौतियों के रूप में सामने आया है। बुनियादी ढांचा, कृषि, मत्स्य पालन और पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से कमजोर होते जा रहे है, जिसे बचाना भविष्य के लिए चुनौति के रूप में सामने आ रहा है। इसके अलावा वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी, पाला-मुक्त मौसम (और उगने का मौसम) लंबा हो जाएगा, वर्षा पैटर्न मै परिवर्तन, जंगल में आग लगने का मौसम लंबा, तूफान अधिक शक्तिशाली और तीव्र हो जाएंगे, स्वास्थ्य पर प्रभाव आदि देखने का मिलेगा।
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