kachnar: कचनार को कौन नहीं जानता। कचनार (Kachnar) के पौधे और फूल के नाम से हर व्यक्ति शाद परीचित है। मगर वन विभाग की पहल और सहयोग से एम्स (AIIMS) दिल्ली की शोध ने जो परिणाम दिए हैं, उसने कचनार के कई और गुणों का राज खोल दिया है। इस शोध परिणाम ने अचानक कचनार को राष्ट्रीय अहमियत वाला अहम पौधा बना दिया है। इसकी बहुत ही खास वजह है इस लेख में आप जानिए वह वजह और शोध की पूरी कहानी।

“शोध 24 सदस्यीय टीम ने किया था। शोध से साफ है कि कचनार में कई औषधीय गुण है जिनकी वजह से यह काफी उपयोगी है। “
संजीव कुमार , भा० व ० से०,
प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह सदस्य सचिव , जैव विविधता पर्षद , झारखण्ड, राँची
kachnar: मुख्य वन संरक्षक संजीव कुमार के मार्गदर्शन में ऐसे शुरू हुई शोध
हजारीबाग के तत्कालीन क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक संजीव कुमार के मार्गदर्शन में यह शोध साल 2020 में शुरू किया गया था। शोध हजारीबाग में आदिवासी जनजातियों के बीच कचनार के उपयोग से पोषण और स्वास्थ्य संबंधी महत्व पर शुरू किया गया था। कचनार जिसे बौहिनिया बैरिएगाटा के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण एशिया खासकर भारत और पाकिस्तान का फूलदार पेड़ है। विशेष रूप से इसे सजावटी और विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में कचनार के विभिन्न भागों का उपयोग संभावित स्वास्थय लाभों के लिए किया जाता है। यह आदिवासी समुदायों को पोषक तत्व भी प्रदान करता है विशेषकर उन स्थानों में जहां खाद्य संसाधनों की कमी होती है। झारखंड की अधिकांश आदिवासी जनसंख्या वन पारिस्थितिकी तंत्र में रहती हैं। इनकी अपनी परंपराएं, गाथाएं और खाद्य प्रथाएं हैं। पारंपरिक सब्जियां और औषधीय पौधे इन स्थानीय समुदाय की प्राथमिक स्वास्थय देखभाल में अहम भूमिका निभाते हैं।
तत्कालीम क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक के मार्गदर्शन में शुरू किया गया शोध कचनार के पोषण महता और सूक्ष्म पोषक तत्वों का विश्लेषण करने और मानवों के साथ उनके आणविक और आहारिक अंतःक्रियाओं के बारे में नया ज्ञान पाने के लिए था। इससे कचनार के उपभोक्ताओं में विश्वसनीय परिसंचारी बायोमर्कर की पहचान संभव था।
शोध से Kachnar के कई और औषधीय गुणों का खुला राज
कचनार का उपयोग करने से आदिवासियों में सूचन संंबंधी साइटोकाइन का स्तर कम पाया गया। इसके उपयोग से रक्त प्लाज्मा में भी वृद्धि देखी गई। कचनार में पॉलीफेनॉल और टैनिन एंटीऑक्सीडेंट जैसे सूजनरोधी गुण पाए गए हैं। इसमें प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक पाया गया है। झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और जैव विविधता पर्षद के सह सदस्य सचिव के मुताबिक शोध 24 सदस्यीय टीम ने किया था। शोध से साफ है कि कचनार में कई औषधीय गुण है जिनकी वजह से यह काफी उपयोगी है।
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