चेक कर लें कहीं आपने #फर्जी डिग्री तो नहीं बनवा ली-दिल्ली पुलिस ने किया फर्जी डिग्री रैकेट का खुलासा

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अगर आप या आपके किसी करीबी ने हाल फिलहाल में किसी तरह की डिग्री कहीं से भी ली या बनवाई है तो अच्छी तरह जांच लेें कि कहीं वह डिग्री फर्जी तो नहीं। जी जनाब राजस्थान के एक शख्स को अपनी ़डिग्री के फर्जी होने की जानकारी तब मिली जब उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। इस शख्स ने यह डिग्री मोटी कीमत देकर दिल्ली के हरी नगर में मौजूद एसआरकेएम एजूकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी से ली थी पुलिस की मानें तो ऐसी करीब 40 हजार डिग्रीयां देश भर में घूम रही हैं।

यह गैंग 10 हज़ार में 10वी, 20 हज़ार में 12वी, 50 हज़ार में ग्रेजुएशन और 1 लाख में डॉक्टर और इंजीनियर की डिग्री बनाकर देता था।  दिल्ली के हरी नगर थाना पुलिस ने गैंग के तीन लोगों को गिरफ्तार कर फर्जी डिग्री के रैकेट का खुलासा किया है।  यह गैंग डिग्री के बदले 10 हज़ार से लेकर 1लाख रुपये तक की रकम लेता था।

पश्चिमी दिल्ली पुलिस उपायुक्त विजय कुमार के मुताबिक राजस्थान के सीकर निवासी की शिकायत पर पुलिस ने हरी नगर के फ्लैट से चलने वाले सोसायटी की जांच शुरू की और पंकज नाम के शख्स को हिरासत में लिया।  पंकज ने पूछताछ बताया कि वो अकेला इस फर्जीवाड़े में शामिल नही है बल्कि उसके गैंग में और भी मेंबर है, पंकज ने बताया कि ये काम यह गैंग पिछले 3 साल से कर रहा है और तकरीबन 40 हज़ार फर्जी डिग्रियां बेच चुका है। जाहिर है जिन 40 हजार लोग इनसे बनवाई गई डिग्री के साथ हैं उन्हें बड़ा झटका कभी भी लग सकता है।
पंकज से पूछताछ में खुलासा किया कि ये फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट पंजाब में छापी जाती है, और पवित्र सिंह ये काम करता है इसके बाद पवित्र की तलाश शुरू की गई, और उसे भी धरदबोचा गया। पवित्र से पूछताछ की गई इसने पुलिस को बताया कि गोपाल कृष्ण नाम के एक शख्स की प्रिंटिंग प्रेस में ये मार्कशीट और डिग्री छापी जाती है पुलिस ने अब गोपाल के लिए जाल बिछाया और इसे भी गिरफ्तार कर लिया।
जब इन तीनो से सख्ती से पूछताछ की गई तो बहुत से चौकाने वाले खुलासे हुए, पुलिस को 27 फर्जी यूनिवर्सिटी, स्कूल और कॉलेज की वेबसाइट के बारे में पता चला, ये गैंग इतना शातिर है कि जिस भी शख्स को डिग्री दिया जाता था उसे फ़र्ज़ी वेबसाइट पर अपलोड भी कर देते थे, जब वो शख्स उसे वेबसाइट पर चेक करता था उसे लगता था कि ये डिग्री सही है।
जांच में ये भी बात सामने आई कि इस गैंग के 30 से ज्यादा एकाउंट अलग अलग बैंको में है और ये गैंग इन तीन सालों में करोड़ों रुपए इस फर्जीवाड़े से कमा चुके है। दरसअल यह गैंग अपने शिकार को फ़साने के लिए अखबार में अपना विज्ञापन भी देता है, यही से लोग इनके झांसे में फंस जाते थे, अब पुलिस इस गैंग के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है।

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