पीपल के वृक्ष को क्यों माना जाता है इतना पवित्र, जानें वजह

0
76
पीपल

पीपल के वृक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि पीपल में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और इसकी पूजा करने से कई तरह के लाभ होते हैं और शनिदोष से भी मुक्ति मिलती है। इसलिए धार्मिक क्षेत्र में इसे देव वृक्ष की पदवी दी गई है। इसकी पूजा कई अवसरों पर की जाती है, चाहें फिर वह अमावस्या हो या पूर्णिमा। इस वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास माना गया है इसलिए इसकी पूजा करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। वैज्ञानिकों ने भी इस वृक्ष को अनूठा बताया है, जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, जो मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है। पीपल के नीचे महात्मा बुद्ध से लेकर कई अन्य ऋषि-मुनियों ने ज्ञानार्जन किया है। आइए जानते हैं किन कारणों से पीपल की पूजा की जाती है।

पूजा करने का कारण

पद्मपुराण में इस वृक्ष को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसी के चलते धर्म के क्षेत्र में इस वृक्ष को दैवीय पेड़ के रुप में मान्यता मिली और सभी विधि-विधानों के साथ इसकी पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में अनेक अवसरों पर पीपल वृक्ष की पूजा का विधान है और मान्यता यह भी है की सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तो में हरि आदि देव रहते हैं। ऐसे में पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी देव प्रसन्न होते हैं। पीपल में पितरों का निवास भी माना गया है। इसमें सब तीर्थों का निवास होता है इसलिए ज्यादातर संस्कार इसके नीचे कराए जाते हैं।

ज्‍योतिष विज्ञान के अनुसार अगर किसी जातक की शनि साढेसाती चल रही हो तो हर शनिवार को वृक्ष में जल अर्पित करके इसके सात चक्कर लगाने से लाभ होता है। इसके साथ-साथ शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में दीपक जलाना भी फायदेमंद होता है। हिंदु धर्म मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव की स्थापना करके नित्य नियम से पूजा आराधना करता हो तो उसके समस्‍त कष्‍ट दूर हो जाते हैं। पीपल के वृक्ष की महत्‍ता का पुराणों और अन्‍य धार्मिक ग्रंथों में खूब वर्णन किया गया है। इस वृक्ष की सकारात्मक उर्जा को देखते हुए ऋषि-महात्माओं नें पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर तप किया और ज्ञान अर्जित किया। महात्मा बुद्ध नें भी पीपल के नीचे बैठकर ही जन्म-मृत्यु और संसार के रहस्यों को जाना था।पीपल के वृक्ष का सिर्फ धर्म और पुराणों में नहीं बल्कि विज्ञान में भी काफी महत्व है। प्रकृति विज्ञान के अनुसार पीपल का वृक्ष दिन-रात आक्सीजन छोड़ता है जो हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा इस पेड़ को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है क्योंकि ये पेड़ कभी भी पत्ते विहीन नही होता। मतलब इसमें एकसाथ पतझड़ नही होती। पत्ते झड़़ते रहते हैं और नए आते रहते हैं। इस वृक्ष की इस खूबी के कारण इसके जीवन-मृत्यु चक्र का घोतक बताया गया है।

disclaimer-विभिन्न माध्यमों से मिली जानकारी पर आधारित। indiavistar.com सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here