Ancient Bihar-सत्ता पर कब्जे के लिए पुत्र द्वारा पिता की हत्या भी प्राचीन बिहार के इतिहास का अंग , स्थापना दिवस विशेष 3

सत्ता पर कब्जे के लिए पुत्र द्वारा पिता की हत्या करने की सत्य कथा भी प्राचीन बिहार के इतिहास का एक भाग है। मगध के राजवंश में दो पुत्र ऐसे हुए जिन्होंने अपने पिता की हत्या की और सत्ता हथिया लिया।

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सत्ता पर कब्जे के लिए पुत्र द्वारा पिता की हत्या करने की सत्य कथा भी प्राचीन बिहार के इतिहास का एक भाग है। मगध के राजवंश में दो पुत्र ऐसे हुए जिन्होंने अपने पिता की हत्या की और सत्ता हथिया लिया।

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Ancient Bihar Details in Hindi

पिछली श्रृंखला में हमने आपको मगध वंश के बारे में बताया था। इस बार की शुरूआत प्राचीन बिहार के हर्षक वंश से। हर्षक वंश की स्थापना विम्बिसार ने 544 ईंपू. में किया था। विम्बिसार को मगध का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। विमि्बिसार ने विवाह नीति द्वारा साम्राज्य विस्तार को प्रश्रय दिया। उसकी पहली पत्नी कोशल देवी कोशल की राजकुमारी थी। इस विवाह से उसे काशी का क्षेत्र प्राप्त हुआ। उसकी दूसरी पत्नी चेल्हना थी। वह लिच्छवी के राजा चेटक की बेटी थी।

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उसकी तीसरी पत्नी क्षेमा पंजाब के मद्र की राजकुमारी थी। विम्बिसार ने अवन्ति के शासक चंड प्रद्योत के साथ मैत्री संबंध बनाया। उसके इलाज के लिए उसने अपने राजवैद्य जीवक को भेजा था। विम्बिसार की हत्या 492 ई. पू. में उसके पुत्र अजात शत्रु ने कर दी। अजात शत्रु विम्बिसार के बाद हर्षक वंश का शासक बना। उसका वास्तविक नाम कुणिक था। विम्बिसार एवं कोशल देवी की मौत के बाद कोशल के राजा प्रसेनजीत ने काशी वापस ले लिया। जिस कारण प्रसेनजीत का संघर्ष अजात शत्रु से हुआ। अंततः अजात शत्रु ने प्रसेनजीत को हराकर काशी पर अधिकार कर लिया।

बाद में अजात शत्रु का विवाह प्रसेनजीत की पुत्री वाजिरा से हो गया। अजात शत्रु ने वज्जि संघ एवं मल्लों को पराजित किया। अजात शत्रु प्रारंभ में जैन धर्म को मानता था बाद में उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया। अजात शत्रु ने 483 ई. पू. में राजगृह की सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया। सिंहल अनुश्रुति के अनुसार 460 ई. पू. में उदयन ने अपने पिता अजात शत्रु की हत्या कर दी। उदयन ने अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया। उदयन के तीन पुत्र अनिरूद्ध, मुंडक एवं नागदशक थे। नागदशक इस वंश का अंतिम शासक था।

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