Student vision-11वीं के इस छात्र ने पीएम मोदी के विजन से प्रेरित हो शुरू किया अनोखा अभियान

Student vision- 11 वीं के एक खास छात्र के बारे में आपको बताने जा रहा हूं। पीएम मोदी के विजन से प्रेरित इस छात्र ने बेहद कम उम्र में भारतीय बच्चों की एक ऐसी समस्या का पता लगाया जिससे उनके माता पिता भी अंजान रहते हैं।

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Student vision- 11 वीं के एक खास छात्र के बारे में आपको बताने जा रहा हूं। पीएम मोदी के विजन से प्रेरित इस छात्र ने बेहद कम उम्र में भारतीय बच्चों की एक ऐसी समस्या का पता लगाया जिससे उनके माता पिता भी अंजान रहते हैं। लेकिन इस समस्या की वजह से इन बच्चों को अपने स्कूली जीवन में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों की समस्या को दूर करने का अभियान शुरू करने वाला यह छात्र गुड़गांव के श्रीराम स्कूल में पढ़ता है।

Student vision-8 साल की उम्र से ही बच्चों का बन गया था मददगार

11 वीं के जिस छात्र के बारे में चर्चा हो रही है उसका नाम है ऋदान शर्मा। 8 साल की उम्न से ही युवाओं से बुराइयां दूर करने में जुटे ऋदान की कहानी काफी दिलचस्शाप है। नशा मुक्ति अभियान चलाने वाली एनजीओ के साथ ऋदान ने 8 साल की उम्र में नशे के आदी बने लड़कों की दुर्दशा देखी। उससे रहा ना गया और 8 साल की आयु में ही वह नशा मुक्ति अभियान से जुड़ गया।

बात यहीं खत्म नहीं हुई। पेशे से टीचर मां के साथ ऋदान ने प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की एक बड़ी समस्या देखी। यह बच्चे ब्लैक बोर्ड पर लिखे हुए को ना ठीक से पढ़ पाते थे और ना ही उसकी पहचान कर पाते थे। समस्या की जड़ में जाने पर ऋदान को पता लगा कि बच्चे नेत्र विकार के शिकार हैं। तभी से ऋदान नेत्र विकार की समस्या से जूझ रहे बच्चों के इलाज का बड़ा अभियान चला रहा है।

Student vision-ऋदान का विजन 2045

ऋदान ने 11 साल की उम्र में प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र में कौशल प्रशिक्षण व अब “विज़न टू विज़न” – “विज़न फ़ॉर ऑल बाय द ईयर 2045” ( वर्दृष 2045 तक सबके लिए दृष्टि) के माध्यम से दिल्ली के 9 हजार से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों में अध्ययन में कमजोर वर्ग के छात्रों की आंखों की जांच कर नई रोशनी देने का काम कर रहा है।  

ऋदान का वर्ष 2045 तक भारत में प्रत्येक वंचित बच्चे की दृष्टि में सुधार लाने का ऋदान का दृष्टिकोण भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित है। इन सेवा कार्य के साथ वह पढ़ाई में भी बहुत अच्छे हैं। ऋदान हमेशा अपनी कक्षा के अव्वल बच्चो में रहे है व मात्र 13 वर्ष की आयु में बहुराष्ट्रीय संस्थान मैं इंटर्नशिप कर चुके हैं व अब तक 25 से ज्यादा विभिन्न मानव कल्याण कार्यक्रमों के लिए उन्हें विभिन्न संगठनों की ओर से प्रमाण पत्र दिया गया। शिक्षा निदेशालय की तरफ से उसके उत्कृष्ट कार्य के लिए समर्थन पत्र, प्रशंसा पत्र और आभार पत्र  मिल चुक है।

विजन टू विजन (Vision to Vision) के फाउंडर ऋदान शर्मा  का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के अनुरूप किसी भी काम में ईमानदारी और कड़ी मेहनत से सफलता जरूर मिलती है। देर होने से निराश नहीं होना चाहिए, आगे बढ़ते रहना चाहिए। ऋदान शर्मा विभिन्न स्कूलों में नेत्र शिविर के जरिए 9,296 बच्चों के लिए नेत्र परीक्षण प्रदान कर चुका है। इसके तहत 906 बच्चों को चश्मे वितरित किए गए हैं। इस पहल में कमजोर आय वर्ग के दूर दराज के इलाकों से आनेवाले छात्रों के आंखों की स्क्रीनिंग, नेत्र परीक्षण करने के बाद उन्हें हर संभव चिकित्सीय सेवाओं के लिए भी कोशिश की जाती है।

ऋदान का विजन बन गया है Student Vision

ऋदान का लक्ष्य है कि विजन 2045 के तहत दिल्ली शहर के अलावा देश के अन्य राज्यों के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों की पहचान की जाए जिन्हें कम दिखाई देता है। अज्ञानता की वजह से ऐसे बच्चों  के माता-पिता भी उनके इस रोग से अंजान रहते हैं। ऐसी बीमारी से त्रस्त बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को पढ़ने, देखने, पहचानने आदि में दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। ऋदान के प्रयासों का परिणाम है कि पश्चिमी दिल्ली जिला के शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक शिक्षा डा. राजवीर यादव की निगरानी में बच्चों के आंखों की जांच की जा रही है। यही नहीं शिक्षा निदेशालय ने उन्हें 30 और स्कूलों में शिविर आयोजित करने की अनुमति प्रदान की है।

जरूरी है आंखों की देखभाल

ऋदान का मानना है कि यह आत्म निर्भर भारत के लिए जरूरी कदम प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश व मां से मिली प्रेरणा से संभव हो पा रहा है। ऋदान शर्मा का मानना है कि आंखों की देखभाल के प्रति किसी का ध्यान नहीं गया है। अत्यंत गरीब घरों से आने वाले बच्चों को देखने में काफी दिक्कते होती थी जिसकी वजह से वे न तो ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को अपनी कापी पर उतार पाते थे न ही वे प्रश्नों का सही उत्तर दे पाते थे। जिससे उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि कम होती जा रही थी ।

 उनकी समस्या के बारे में मां से बात किया, फिर ऋदान के माता पिता ने ही उसे खाली समय में मदद करने के बारे में समझाया। इस बारे में जानकारी दी । निजी बैंक से टाईअप होने के साथ ही शिक्षा विभाग ने विजन टू विजन प्रोजेक्ट नेत्र शिविरों के जरिए स्थिति का आकलन करने की अनुमति दी। मेहनत रंग लाई।

ऋदान को छोटी उम्र होने की वजह से बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।  बच्चों को उनकी समस्या का पता लगाने के लिए पहले काउंसिलिंग की गई। फिर आई टेस्ट जिसके सकारात्मक परिणाम मिले। ऋदान शर्मा में कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छाशक्ति है। इस गंभीर समस्या पर सबका ध्यान आकर्षित करने के उपरांत विषम परिस्थितियों में सभी छात्रों को उनकी आंखों की देखभाल व उसके लाभों के बारे बताया। छात्रों को परामर्श देकर ऋदान शर्मा न केवल उनकी शैक्षिक संभावनाओं में सुधार कर रहे हैं बल्कि उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

नेत्र विजन एप तैयार

ज्यादा से ज्यादा तेजी से बच्चों की आंखों की स्थिति का पता लगाने के लिए ऋदान शर्मा ने एप विकसित कर ली है। जिसकी खासियत यह है कि इस एप को डाउनलोड करने के बाद कुछ प्रश्न पूछे जाएंगे। जिसका उत्तर मरीज को देना होगा। यह प्रक्रिया कुछ सेकंड्स की है। सही जवाब के मिलने के बाद मरीज की आंखों के विजन के बारे में पता लग जाएगा। जरूरत मंद मरीजों के नेत्र विकृति को रोकने के लिए चश्मा व अन्य ट्रीटमेंट संबंधी सेवाएं दी जा सकेंगी ।

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