भारतीय न्याय संहिता BNS के इस धारा में अफवाह फैलाना है अपराध जानिए कैसे और रहिए सावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अफवाह फैलाना अपराध है। अफवाह या रिपोर्ट इलेक्ट्रानिक माध्यमों सहित प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। इसके लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अच्छे तरीके से बताया गया है।

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भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अफवाह फैलाना अपराध है। अफवाह या रिपोर्ट इलेक्ट्रानिक माध्यमों सहित प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। इसके लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अच्छे तरीके से बताया गया है। आज के माहौल में इसे हरेक शख्स को जानना चाहिए। इस पोस्ट में भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अफवाह के बारे में किस तरह बताया गया है या जानिए और इस जानकारी को जानने वालों को भी साझा कीजिए।

BNS की धारा बताती है अफवाह के बारे में सबकुछ

भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 में अफवाह के बारे में चर्चा है। धारा 353 के तहत झूठी जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। जो कोई झूठा बयान, जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित करता है, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित: ऐसी मंशा से या ऐसी स्थिति में जिससे भारतीय सेना, नौसेना या वायु सेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को विद्रोह या कर्तव्य की उपेक्षा करने के लिए प्रेरित किया जाए।

जनता या किसी वर्ग में भय या अफवाह फैलाकर किसी व्यक्ति को राज्य या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाया जाए। किसी जाति या समुदाय को अन्य जाति या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाया जाए। ऐसी स्थिति में दंड: तीन वर्ष तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।

शत्रुता बढ़ाने के लिए झूठी जानकारी प्रसारित करना
जो कोई झूठी जानकारी, अफवाह या भड़काऊ समाचार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित प्रकाशित या प्रसारित करता है यानि धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, समुदाय या किसी अन्य आधार पर दुश्मनी, घृणा या द्वेष उत्पन्न करने या बढ़ाने के इरादे से। इसके लिए दंड: तीन वर्ष तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।

धार्मिक स्थल पर किया गया अपराध
यदि उपधारा (2) के तहत उल्लिखित अपराध किसी पूजा स्थल या धार्मिक अनुष्ठान में शामिल सभा में किया जाता है, तो दंड कठोर होगा।
इसके लिए दंड: पाँच वर्ष तक की कैद और जुर्माना का प्रावधान है।
अपवाद (Exception)
यह अपराध नहीं माना जाएगा यदि कोई व्यक्ति यथार्थ विश्वास और सद्भावना के आधार पर झूठी जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित करता है, और उसका दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं होता। WhatsApp या अन्य सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट पोस्ट करने से बचें, क्योंकि यह अपराध है।

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