बिहार के सहरसा में स्थित गायत्री शक्तिपीठ में पाकिस्तान का सच बताया गया। पीठ में नियमित होने वाले व्यक्तित्व परिष्कार सत्र को संबोधित करते हुए डाक्टर अरुण कुमार जायसवाल ने पाकिस्तान का सच बताते हुए कहा कि पाकिस्तान पैदा कैसे हुआ? नफरत से। पाकिस्तान के जन्म के लिए, पहले 42 में और 47 में नरसंहार हुआ। जिन्ना ने पहले भी कॉम्युनल राइट्स कराए थे।
जिन्ना ने पाकिस्तान बने इसलिए करवाया था दंगा
अरूण कुमार जायसवाल ने कहा कि जिन्ना ने हिंदू मुसलमान का दंगा इसलिए कराया था कि मुसलमानों का अलग देश पाकिस्तान बने, अंग्रेजों ने भी इसको बहुत हवा दिया। सभी प्रयोजित दंगे हुए, ये बात ध्यान से समझने की है। जिन्ना एंड कंपनी ने अंग्रेजों का सहयोग लेकर के दंगे कराए थे ताकि भारत का विभाजन हो सके।
उन्होंने कहा कि जब 47 में विभाजन हुआ तब दंगे हुए। तो हत्या और हिंसा से जिनका निर्माण होता है, किसी बीज को रक्त से सींचा गया हो, वहाँ कभी शुभ फल नहीं होंगे। पाकिस्तान देश के रूप में कभी स्वस्थ और संतुलित नहीं रह पाएगा। कश्मीर में 47 में जो घुसपैठ हुई थी, कबायली बन करके पाकिस्तानी सेना ने हमला किया, विदेशी दबाव के बाद उनका झूठ पकड़ा गया।
1947, 1965, 1971, फिर कारगिल और फिर आज पहलगाम हमला, पाकिस्तान के सिपाही आतंकवादी बनकर हमला करते हैं। नफरत का आलम यह है कि एक पत्रकार से किसी ने पूछा कि आक्रमण होता है तो आप क्या करेंगे, जिसे हम लोग पढ़ा लिखा आदमी मानते हैं, वह बोल रहा है, हमारे मज़े हैं उनकी फ़िल्म की जितनी हीरोइनें हैं, उन्हें सेक्स स्लैब बनाऊंगा यानी सेक्स गुलाम बनाऊंगा।
श्री जायसवाल ने कहा कि देखिए उस पत्रकार की मानसिकता कैसी है? विकृत मानसिकता का शिकार पढ़ा लिखा व्यक्ति है। आज भी हिंदुस्तान से जो लोग पाकिस्तान में जाकर रहने लगे, चाहे वो हिंदू हों या मुसलमान हों, वहां बसे, उन्हें पाकिस्तानी नहीं मुजाहिर माना जाता है। मतलब वे दोयम दर्जे के नागरिक हैं। आपको लगता है ऐसा देश, ऐसा मुल्क कभी सुखी हो सकता है? नहीं हो सकता है।
आपको शायद मालूम है या नहीं, 47 के बाद ही ऐसी स्थिति बनी थी पाकिस्तान में कि जिन्ना ने, भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से रिक्वेस्ट किया था कि वो कश्मीर में आकर या हिंदुस्तान के किसी अन्य जगह आकर जीवन काटना चाहते हैं। उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उनकी रिक्वेस्ट को स्वीकार नहीं किया। आप वही रहो, आप से हमें कोई नहीं लेना देना।
उन्हें टी वी थी, और आश्चर्य की बात है घोर आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान के जनक को वहाँ कोई देखभाल करने वाला नहीं था, सोचा भारत में अच्छा इलाज हो जाएगा, आजादी के छह महीने में मर गए, तो बुरे काम का बुरा नतीजा।कल युद्धविराम भी हुआ और उसका उल्लंघन भी हुआ, 3 घंटे बाद पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़ दिया और एलओसी पर गोलाबारूद शुरू कर दी, मिसाइल श्रीनगर पर पर गिराने लगा, हालांकि एक भी मिसाइल कामयाब नहीं हुआ उसे डिफ्यूज कर दिया गया, फिर भारत ने भी रात में पेशावर एयर बेस पर और पाकिस्तान के कई शहरों में और पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर में हमला किया है, देखिए अंत कहाँ जाकर होता है?
शायद चीन के उकसाने पर पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़ा है क्योंकि खुलकर कल चीन ने कहा कि हम पाकिस्तान के साथ खड़े हैं, जो अभी तक उसने अपने बयान में नहीं कहा था। एक संयोग भी है अभी जो थल सेनाध्यक्ष हैं जनरल उपेंद्र द्विवेदी और जो नौसेनाध्यक्ष है जनरल दिनेश त्रिपाठी दोनों नाइन्थ क्लास के यानी स्कूल के सहपाठी हैं और एक बात ये भी कहने का मन हो रहा है कि एक समय पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी एक दूसरे के कट्टर दुश्मन थे, आज बर्लिन की दीवार जो दोनों जर्मनी को अलग करती थी, टूट चुकी है और दोनों जर्मनी एक हो गए हैं। ऐसा कैसे हो गया? क्योंकि वहाँ की जनता, दोनों देशों की जनता चाहती थी, इसलिए असंभव संभव हो गया। और शायद अभी अपने यहाँ ऐसा समय नहीं आया है या अभी समय लगेगा। कहा नहीं जा सकता।
इस अवसर पर लखनऊ से त्विशम पाण्डेय ,तथा मधुमति पाण्डेय जी उपस्थित थे।
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