Smoking in Parliament: संसद में ई-सिगरेट पीने पर क्या सांसद की सदस्यता जा सकती है? जानिए पूरा कानून

संसद परिसर में ई-सिगरेट पीने को लेकर उठे सवाल ने कानूनी और संसदीय बहस को जन्म दे दिया है। क्या भारत में बैन ई-सिगरेट संसद के अंदर भी अपराध है और क्या इसके चलते किसी सांसद की सदस्यता जा सकती है? पूरा मामला कानून के साथ समझिए।
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smoking in parliament: 11 दिसंबर को बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक लिखित शिकायत दी। शिकायत में बिना नाम लिए तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर संसद परिसर के अंदर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया गया।

भारत में ई-सिगरेट पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसलिए यह आरोप सिर्फ अनुशासन का नहीं बल्कि सीधे कानून के उल्लंघन का भी बन गया है।

भारत में ई-सिगरेट पीना क्यों अपराध है

भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 के तहत ई-सिगरेट पर पूरी तरह रोक है।
ई-सिगरेट को वेप या इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम भी कहा जाता है, जिसमें निकोटिन और फ्लेवर वाले लिक्विड को गर्म कर भाप बनाई जाती है।

इस कानून के तहत:

  • ई-सिगरेट पीना अपराध है
  • ई-सिगरेट रखना, बनाना, बेचना और स्टोर करना भी अपराध है

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सजा का प्रावधान

  • पहली बार अपराध:
    ₹1 लाख तक जुर्माना या 1 साल तक जेल या दोनों
  • दोबारा अपराध:
    ₹5 लाख तक जुर्माना और 3 साल तक जेल

क्या संसद परिसर में smoking in parliyament भी यह कानून लागू होता है

यह एक अहम सवाल है और जवाब बिल्कुल साफ है।
भारतीय कानून संसद के अंदर भी उसी तरह लागू होता है जैसे देश के किसी अन्य हिस्से में।

संसद कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां आपराधिक कानून लागू न हो।
अगर संसद परिसर के अंदर कोई ऐसा कार्य किया जाता है जो किसी केंद्रीय कानून का उल्लंघन करता है, तो वह कानूनी अपराध ही माना जाएगा।

इसलिए संसद के अंदर ई-सिगरेट पीना भी कानूनन गलत है।

क्या ई-सिगरेट पीने पर सांसद की सदस्यता जा सकती है

यही इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा सवाल है।

भारतीय कानून के मुताबिक:

  • किसी सांसद को तभी अयोग्य ठहराया जाता है
  • जब उसे किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाए
  • और सजा कम से कम 2 साल या उससे ज्यादा हो

ई-सिगरेट मामले में पहली बार अपराध पर अधिकतम सजा 1 साल है।
इसलिए केवल इस आरोप के आधार पर सांसद की सदस्यता जाना लगभग नामुमकिन है।

स्पीकर क्या कार्रवाई कर सकते हैं

अगर आरोप सही साबित होते हैं तो लोकसभा अध्यक्ष के पास संसदीय अधिकार होते हैं।

संभावित कार्रवाई:

  • कड़ी चेतावनी या फटकार
  • जुर्माना
  • सीमित समय के लिए संसद से निलंबन

लेकिन सदस्यता खत्म होना इस मामले में कानूनी रूप से बहुत कठिन है।

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