आतंक और अपराध में दिमाग कैसे काम करता है जाने माने मनोवैज्ञानिक ने बताई दिलचस्प तथ्य

आतंक और अपराध में दिमाग कैसे काम करता है। खास विषय़ के लोग आतंकियों को क्यों पसंद हैं, 72 हुर्रों की बात कितनी सच है, फिल्मी गाने से कैसे आतंक प्रभावित होता है, कविता क्यों है आतंकियों को पसंद, आतंक और अपराध की राह पर चलने वालों के गुस्से में क्या फर्क है, फेक वीडियो से क्या करते हैं आतंकी,आतंकवादी अपना चेहरा क्यों ढके रखते हैं।

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आतंक और अपराध
आतंक और अपराध

आतंक और अपराध में दिमाग कैसे काम करता है। खास विषय़ के लोग आतंकियों को क्यों पसंद हैं, 72 हुर्रों की बात कितनी सच है, फिल्मी गाने से कैसे आतंक प्रभावित होता है, कविता क्यों है आतंकियों को पसंद, आतंक और अपराध की राह पर चलने वालों के गुस्से में क्या फर्क है, फेक वीडियो से क्या करते हैं आतंकी,आतंकवादी अपना चेहरा क्यों ढके रखते हैं। इस तरह के कई दिलचस्प बातों को विस्तार से जानने के लिए हमारे संपादक आलोक वर्मा ने जाने माने मनोवैज्ञानिक डॉक्टर रजत मित्र से लंबी बात की।

आतंक और अपराध की दुनिया का सच बताने वाले कौन

लेख के बीच में डॉक्टर रजत मित्र के की गई बातचीत के वीडियो का लिंक दिया हुआ है। आप लिंक को क्लिक कर उनकी बातचीत को विस्तार से सुन सकते हैं। हमने रजत मित्र को इस बातचीत के लिए खास कारण से चुना है। रजत मित्रा ने मनोविज्ञान में पीएचडी की है। वह तीन दशक से भी ज्यादा समय से दुनिया के कई देशों में आतंकवाद औऱ अपराध से प्रभावित लोगों की मानसिकता सरकारी और गैरसरकारी आधार पर पढ़ते रहे हैं।

अपने तीस साल के करियर के दौरान, उन्होंने गंभीर भावनात्मक अशांति से पीड़ित व्यक्तियों, आतंकवाद के लिए जेल में बंद लोगों और लंबी सजा काट रहे युवाओं के साथ काम किया है। पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए उन्होंने वर्षों तक कानून प्रवर्तन एजेंसियों और आपराधिक न्याय प्रणालियों के साथ काम किया रजत मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर काम करते हैं।

उन्होंने सामूहिक हिंसा, जातीय हिंसा और नरसंहार से बचे लोगों के साथ काम किया है। उन्होंने पूरे एशिया में मानवाधिकार रक्षकों के साथ काम किया है। रजत वर्तमान में युवाओं के लिए एक कट्टरपंथ उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ नई दिल्ली, भारत में रहते हैं। द इन्फिडेल नेक्स्ट डोर उनकी पहली किताब है। उन्होंने कई सरकारी और गैरसरकारी अभियानो में हिस्सा लिया है। नवयुवकों को वापस शांति की राह पर लाने में उनके मनोविज्ञान ने भी काफी मदद की है।

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