महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। दैनिक हिंदुस्तान ने अपने 9 सितंबर के अंक में द इकोनोमिक और पॉलिटिकल बीकली में हाल ही में प्रकाशित शोधपत्र के हवाले से कहा है कि भारत में महिलाओं पर शारीरिक और यौन हिंसा दोनों में वृद्धि हुई है। शोध में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं, रिपोर्टिंग के स्तर और प्रवृत्तियों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) व राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा का उपयोग किया गया। है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर क्या कहता है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक सोध में रिपोर्ट किए गए वर्षवार आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। सरकार की ओर से तमाम प्रयासों के बावजूद महिला अपराध में कमी नहीं आई है। इस लेख में आप जाने माने मनोवैज्ञानिक डाक्टर रजत मित्र का वीडियो इंटरन्यू देख सकते हैं जिसमें उन्होंने http://indiavistar.com के संपादक आलोक वर्मा से बातचीत की है। रेप के बारे में उनकी स्टडी क्या कहती है।
दैनिक हिंदुस्तान मुताबिक एनएफएचएस के अलग-अलग साल में हुए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद उन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया पति और अन्य के शारीरिक हिंसा तथा पति और अन्य लोगों द्वारा यौन हिंसा। एनएफएचएस 2018-21 के डाटा में अन्य लोगों द्वारा शारीरिक व यौन हिंसा 2004-06 की तुलना में अधिक थी।
शोध के अनुसार दूसरों द्वारा यौन हिमा की रिपोर्टिंग 2004-06 और 2014-16 के बीच तथा 2014-16 और 2018-21 के बीच कम हुई है। वहीं शारीरिक हिंसा की रिपोटिंग में वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन यह बेहद कम है। इन घटनाओं के 1 प्रतिशत से भी कम मामले पुलिस को रिपोर्ट किए गए हैं। पतियों द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा के खिलाफ हिंसा का सबसे आम रूप है, जिसकी रिपोर्ट सबसे कम की जाती है।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा की पुलिस में रिपोर्टिन का ट्रेंड राज्यों में अलग है। एनएफएचएस डाटा के अनुसार केरल और हिमाचल प्रदेश में अपराध की कम घटनाएं और दूसरों द्वारा शारीरिक हिंसा की श्रेणी में अधिक मामले रिपोर्ट किए गए है, जबकि बिहार, तमिलनाड्डू और कर्नाटक जैसे राज्यों में ट्रेड इसके उलट है। जब पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा की बात आती है. तो केरल में सबसे अधिकार मामते रिपोर्ट किए गए है यही बिहार और कर्नाटक सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में से हैं।
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