हर पार्सल तोहफा नहीं होता — सावधान रहें COD पार्सल स्कैम से!

क्या आपने कोई पार्सल मंगाया नहीं, फिर भी दरवाज़े पर डिलीवरी आई? COD पार्सल स्कैम का यही तरीका है। जानिए कैसे यह धोखा चलता है, लोग कैसे फंसते हैं, और आप कैसे बच सकते हैं।

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COD पार्सल स्कैम
COD पार्सल स्कैम
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ऑनलाइन खरीदारी के इस दौर में घर-घर पार्सल आना आम बात है। लेकिन हाल के महीनों में एक नया धोखाधड़ी का तरीका तेजी से फैल रहा है — COD पार्सल स्कैम।
इसमें ठग नकली पार्सल असली कूरियर सेवाओं के जरिए भेजते हैं और लोगों से पैसे वसूलते हैं।

COD पार्सल स्कैम कैसे काम करता है:

अनचाहे पार्सल पहुंचते हैं:
पीड़ितों को ऐसे पार्सल मिलते हैं जो उन्होंने कभी ऑर्डर नहीं किए। अक्सर यह किसी परिवारजन के नाम पर आते हैं ताकि भरोसा बढ़े।

COD भुगतान की मांग:
डिलीवरी करने वाला व्यक्ति ₹500–₹1000 की नकद मांग करता है और कहता है कि यह “ऑनलाइन ऑर्डर” का बकाया है।

 अंदर निकले नकली या बेकार सामान:
खोलने पर पैकेट में सस्ते या बेकार आइटम मिलते हैं — जैसे पील-ऑफ मास्क, प्लास्टिक एक्सेसरीज़ या खाली बॉक्स।

डेटा का दुरुपयोग:
स्कैमर्स नाम, पता और मोबाइल नंबर सोशल मीडिया या डेटा लीक साइटों से जुटाते हैं।

संबंधित स्कैम वेरिएंट: फर्जी इंडिया पोस्ट SMS

  • फिशिंग मैसेज: ऐसे मैसेज आते हैं जिनमें लिखा होता है कि “आपका पार्सल रुका है, लिंक पर क्लिक कर पता अपडेट करें।”
  • डेटा चोरी: उस लिंक पर क्लिक करते ही आपकी व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी चोरी हो सकती है।
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स्कैम के पीछे की मंशा

  1. तुरंत पैसे वसूलना:
    कम राशि के COD पार्सल पर लोग सोचते हैं — “इतना तो कुछ मंगाया होगा” और बिना जांचे भुगतान कर देते हैं।
  2. कूरियर पर भरोसे का फायदा:
    ठग असली कूरियर यूनिफॉर्म और ब्रांडेड पैकेजिंग का इस्तेमाल करते हैं ताकि कोई शक न हो।
  3. डेटा का व्यापार:
    सफल डिलीवरी से स्कैमर्स को यह पता चल जाता है कि पता और नाम असली हैं — जिन्हें आगे अन्य फ्रॉड्स में इस्तेमाल किया जाता है।
  4. फिशिंग और पहचान की चोरी:
    फर्जी इंडिया पोस्ट लिंक के जरिए आधार, पैन या बैंक डिटेल चुराए जा सकते हैं।
  5. कानूनी जोखिम कम:
    यह लेन-देन एक सामान्य “डिलीवरी” जैसा लगता है, जिससे इसे ट्रेस करना मुश्किल होता है।
मनोवैज्ञानिक हथकंडे
  • तत्कालता: COD डिलीवरी में तुरंत भुगतान का दबाव बनाया जाता है।
  • भ्रम: परिवारजन के नाम पर पार्सल आने से लोग मना नहीं करते।
  • भरोसा: ब्रांडेड कूरियर यूनिफॉर्म और पैकिंग से शक कम होता है।
  • भौतिक डिलीवरी का फायदा: असली पैकेट मिलने से स्कैम और भी विश्वसनीय लगता है।
  • परिवार में जोखिम: बुजुर्ग या घरेलू स्टाफ बिना जांचे पार्सल ले सकते हैं।
कैसे सुरक्षित रहें

भुगतान से पहले पुष्टि करें: अगर कोई पार्सल आया है तो परिवार के सदस्यों से पूछें कि उन्होंने कुछ मंगाया है या नहीं।
अनजान पार्सल स्वीकार न करें: यदि आपने ऑर्डर नहीं किया, तो न लें, न भुगतान करें।
शिकायत दर्ज करें: किसी संदिग्ध डिलीवरी या ऑनलाइन फ्रॉड की रिपोर्ट करें cybercrime.gov.in पर।
लिंक पर क्लिक न करें: इंडिया पोस्ट या कूरियर के नाम से आए SMS या WhatsApp लिंक से दूर रहें।

निष्कर्ष

COD पार्सल स्कैम दिखने में साधारण लगता है, लेकिन यह कई स्तरों पर डेटा चोरी, फिशिंग और पहचान की ठगी से जुड़ा है।
सिर्फ एक बार सतर्क रहकर आप अपने पैसे और निजी जानकारी दोनों की सुरक्षा कर सकते हैं।

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