
नई दिल्ली। ऑक्सीजन की कमी हो या अंतिम संस्कार की समस्या, कोरोना के दवाओं की कालाबाजारी की बात हो या कुछ और दिल्ली पुलिस हर जगह खड़ी नजर आती है, तो क्या दिल्ली पुलिस का काम बदल गया है, दिल्ली पुलिस सबकी मददगार नजर कैसे आ रही है। जाहिर है किसी फोर्स के कार्यप्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह उसका मुखिया होता है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव पुलिस के मानवीय कार्यप्रदर्शन के पक्षधर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने दिल की पुलिस का नारा दिया था। इस बार दिल्ली पुलिस ना केवल बाहरी बल्कि आंतरिक रूप भी काफी मजबूत नजर आ रही है। दिल्ली पुलिस में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट उसके आंतरिक मजबूती को ही दर्शाता है। पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव की माने तो पुलिस ने व्यवहार नहीं बदला बल्कि लोगों ने उन्हें बेवजह नहीं उलझाया। इस तरह उन्हें इस प्रकार के काम के लिए मौका मिला और पुलिस मददगार बनी।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर वैसे तो दिल्ली पुलिस के लिए कुछ नया नहीं लेकर आई है, मगर पिछले अनुभवों से सबक ले दिल्ली पुलिस ने इस बार काम करने का तरीका बदला है। यानि संक्षेप में दिल्ली पुलिस व्यवहार बदलकर कोरोना महामारी से जंग कर रही है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली पुलिस में फौरी तौर पर आए परिवर्तन को मैं महसूस कर रहा था , इसीलिए कई सवालों को दिल में लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के पास पहुंचा। मेरा सवाल था दिल्ली पुलिस कोरोना महामारी के दूसरी लहर को कैसे ले रही है। उन्होंने विस्तार से बात करने से पहले इस सवाल का जवाब एक लाइन में यह कह कर दिया कि बदलकर अपना व्यवहार हम कोरोना महामारी पर वार कर रहे हैं।
पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के मुताबिक इस बार सबसे पहले पुलिस बल में कोरोना महामारी के रफ्तार पर काबू पाने के लिए वृहद् स्तर पर काम हुए है। समय रहते महामारी का प्रकोप बढ़ने का अंदाजा हो गया था इसलिए शुरूआत में ही वीडियो संदेश, बल्क मैसेज औऱ वेबिनार के सहारे दिल्ली पुलिस में जागरूकता फैलाने की कोशिश की गई है।
दिल्ली पुलिस चपेट में
मगर दिल्ली पुलिस में भी रोगियों की संख्या बढ़ने लगी। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के मुताबिक जैसे ही ग्राफ बढ़ा, उन सारे उपायों को अमल में लाया जाने लगा जो पिछले साल अपनाए गए थे। लेकिन कानून और व्यवस्था का मामला हो चाहे अपराध की जांच का एक्सपोजर के चलते पुलिस बल को रोग से दूर रखना नामुमकिन सा हो रहा था।
विश्वास की रणनीति
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के मुताबिक विश्वास की रणनीति अपनानी जरूरी था। पुलिस बल में येयकीन पैदा करना जरूरी था कि उनकी परवाह की जा रही है। इसी के लिए वीडियो संदेश और दूसरे माध्यमों का सहारा लिया गया। पुलिस बल में महामारी इस बार घर से दफ्तर पहुंच रही थी यानि कार्यस्थल पर तो सावधानियां बरती जा रही थीं मगर संभवतः पुलिसकर्मियों के परिवार में उतनी सावधानी नहीं बरती जा रही थी। इसलिए देखा गया कि इस लहर में पुलिसकर्मियों के परिजन ज्यादा संक्रमित हुए। उनकी वजह से पुलिसकर्मी भी संक्रमित हो रहे थे।
रणनीति से काबू

परिवार से ऑफिस तक पहुंच रहे संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस में इस बार ठोस रणनीति बनाई गई। इस रणनीति का सबसे बड़ा बिंदु थी जागरूकता। पुलिसकर्मियों के परिवार तक महामारी से लड़ाई की रणनीति के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कई कदम उठाए गए। हरेक मंगलवार और शुक्रवार को वेबिनार शुरू किए गए हैं जिसमें कोई भी जुड़ सकता था। इस वेबिनार में अच्छे डाक्टर, योग शिक्षक, मनोचिकित्सक और स्पेशल सीपी देवेश श्रीवास्तव और नुजहत हसन भी जुड़ते हैं ताकि पुलिसकर्मी औऱ उनके परिवार वालों को महामारी से सुरक्षा के ठोस उपायों के बारे में ठीक से बताया जा सके।
कामयाबी
कोरोना महामारी के दूसरे लहर में पुलिस को अपनी रणनीतियों का लाभ भी मिल रहा है। पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के मुताबिक इस बार संक्रमण की रफ्तार को पीछे धकेलने में कामयाबी मिली है। पहले मरीजों की संख्या 271 हुई जो बाद में घटकर 171 रह गई। हमने व्यवहार बदलकर महामारी के रफ्तार को थामने की कोशिश की है।
काम में भी झलका बदला व्यवहार
दिल्ली पुलिस ने केवल आंतरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि कार्य प्रदर्शन में भी व्यवहार बदला। बेशक इसकी औपचारिक पुष्टि ना हुई हो मगर पुलिस में इस समय क्राइम के बड़े मामलो पर से ध्यान हटाकर महामारी से संबंधित मामलो पर ध्यान दिया जाने लगा। महामारी के खिलाफ सरकार औऱ आम आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए पुलिस ने मुख्य रूप से लॉकडाउन पालन, मूवमेंट पास, जागरूकता आदि मुद्दों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसीलिए पुलिस कभी अस्पतालों को ऑक्सीजन पहुंचाती नजर आई तो कभी किसी आइसोलेट घर में रह रहे बुजुर्ग को इलाज कराते। कभी कालाबाजारियों के खिलाफ पुलिस ने बड़ी-बड़ी कार्रवाईयां कीं तो कभी लोगों के अंतिम संस्कार भी करवाए। यही नहीं कार्रवाई के दौरान जब्त कोरोना के इलाज के सामान कोर्ट की इजाजत लेकर अस्पतालो में भिजवाए गए।
कोविड केयर सेंटर
दिल्ली पुलिस ने इस बार कोविड केयर सेंटर भी स्थापित किए एक नहीं दो दो। शाहरदा में खुले कोविड केयर में 17-18 तो रोहिणी में खुले कोविड केयर में 20 के करीब रोगी दाखिल हैं। दिल्ली पुलिस का तीसरा कोविड केयर सेंटर भी लगभग तैयार है, दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव के मुताबिक अभी उसकी जरूरत नहीं पड़ने वाली। दिल्ली पुलिस ने इस बार आम जनता की भागीदारी से कोविड केयर सेंटर बनाने की भी कोशिश शुरू की है। इसके तहत उत्तरी दिल्ली में एक कोविड केयर सेंटर खुल चुका है। प्लाज्मा डोनेशन के लिए इस बार हमने जीवन रक्षक एप्प बनाया गया है पिछली बार दिल्ली पुलिस अस्पतालों को प्लाज्मा दे देती थी, इस बार जो लोग इलाज कराके आ रहे हैं वो इस एप्प पर डोनर के रूप में पंजीकृत कर सकता है। इस बार डोनेशन सबके लिए ओपन कर दिया गया है डोनेशन लेने वाले भी खुद को राजिस्टर्ड कर सकते हैं।
पुलिस कमिश्नर से संपर्क
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एऩ श्रीवास्तव कोरोना से संक्रमित पुलिसकर्मी के परिजनों से खुद बात करते हैं। इसके अलावा हर य़ूनिट और जिले में कोविड सेल की स्थापना की गई है। इस सेल के डयूटी अफसर भी हरेक मरीज का हालचाल रखते हैं। पुलिसफोर्स और उनके परिवार का ख्याल रखने के इस अभियान से सीनियर अफसर भी जोड़े गए हैं, ताकि देखभाल बेहतर तरीके से किया जा सके। स्पेशल सीपी मुख्यालय के तहत कोरोना मरीज मॉनिटरिंग हेल्प लाइन खोला गया है । इसका इस्तेमाल पुलिस मुख्यालय तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कोई भी पुलिसकर्मी कर सकता है। इसके अलावा ऐसे कई व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाए गए हैं जिसमें महामारी और उससे लड़ने से जुड़ी चीजें भेजी जाती हैं ताकि लोग जागरूक औऱ शिक्षित हो सकें। इसके बाद भी कोई कमी ना रह जाए इसके लिए हेल्प लाइन में पुलिस कमिश्नर का व्हाट्सएप्प नंबर दिया गया है। इसके माध्यम से कोई भी अपनी परेशानी पुलिस आयुक्त तक पहुंचा सकता है। इस व्हाट्स एप्प पर मिली शिकायतें हर 12 घंटे में पुलिस कमिश्नर तक पहुंचाई जाती हैं।