cyber fraud news: ग्रामीण मजदूरों के बैंक खातों का इस्तेमाल कर साइबर ठगी की रकम को छिपाने का खुलासा

cyber fraud news: साइबर ठग अब ग्रामीण मजदूरों के बैंक खातों का इस्तेमाल करने लगे हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक रियल टाइम आपरेशन में गिरफ्तारी के बाद इसका खुलासा किया है।

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cyber fraud news: साइबर ठग अब ग्रामीण मजदूरों के बैंक खातों का इस्तेमाल करने लगे हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक रियल टाइम आपरेशन में गिरफ्तारी के बाद इसका खुलासा किया है। क्राइम ब्रांच ने हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के बीच स्थित सरचू के सुदूर ऊंचाई वाले क्षेत्र से दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है।

cyber fraud news: ऐसे खुला मामला

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी हर्ष इंदौरा के मुताबिक एक महिला की शिकायत पर एसीपी अनिल शर्मा की निगरानी में इंस्पेक्टर अरविंद की देखरेख में एसआई राकेश मलिक, डब्लूएसआई भाग्यश्री, एएसआई संदीप त्यागी, संजय, हेडकांस्टेबल सचिन, कपिल, अक्षय सोलंकी, विकास धनखड़, भूपेंद्र और मोहित तोमर की टीम गठित की गई।

जांच के दौरान, विस्तृत तकनीकी निगरानी और वित्तीय निशान विश्लेषण से पता चला कि ठगी की गई राशि झारखंड के दुमका और गोड्डा जिलों के दूरदराज के गांवों में स्थित कई बैंक खातों में वितरित की गई थी। ये खाते दिहाड़ी मजदूरों के नाम पर पंजीकृत पाए गए। क्षेत्र-स्तरीय जांच से पता चला कि ये मजदूर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में लगे हुए थे, जिसके दौरान साइट ठेकेदारों की देखरेख में उनके बैंक खाते खोले गए थे।

एटीएम कार्ड और पासबुक सहित खाता क्रेडेंशियल्स को संदिग्धों ने साइबर धोखाधड़ी में अवैध उपयोग के लिए अपने पास रख लिया था। यह सबूत एक संगठित आपराधिक गठजोड़ की ओर इशारा करता है जो गरीब और अशिक्षित ग्रामीणों को निशाना बनाता है, उनकी पहचान का उपयोग करके साइबर अपराध की आय को लूटने के लिए बैंक खाते खोलता और नियंत्रित करता है।

पुलिस टीम ने गोड्डा के मुफस्सिल थाना के कुर्मीचक गांव में, रामजीत को पकड़ा, जिसके खाते में ₹20,005/- आए थे, पूछताछ करने पर खुलासा किया कि उसका खाता उसके ठेकेदार मंसूर अंसारी ने खोला था, जब वह राजस्थान में एक निर्माण स्थल पर काम कर रहा था। इसके बाद पुजारीडीह गांव, थाना गोपीकांदर में बद्री राय नामक व्यक्ति को पकड़ा गया, जिसने बताया कि उसका एक्सिस बैंक खाता, जिसमें 30/04/24 को 69,953 रुपए की ठगी की राशि प्राप्त हुई थी, पाकुड़ जिले के इमरान अंसारी द्वारा खोला गया था।

800 किलोमीटर पीछा

गहन जांच से पता चला कि मंसूर अंसारी और इमरान अंसारी दोनों झारखंड से हिमाचल प्रदेश भाग गए थे और गिरफ्तारी से बचने के लिए लद्दाख की ओर बढ़ रहे थे। तत्काल पीछा करने के लिए हेडकांस्टेबल विकास धनकड़ और अक्षय सोलंकी की एक समानांतर टीम को एक निजी वाहन में तैनात किया गया था। इस मनाली-रोहतांग-केलांग के रास्ते लगातार 800+ किलोमीटर तक पीछा करने के बाद मंसूर औऱ इमरान को गिरफ्तार कर लिया।

लगातार पूछताछ करने पर, इमरान और मंसूर दोनों ने रैकेट में शामिल होने की बात कबूल की। ​​उन्होंने झारखंड में अशिक्षित मजदूरों को निशाना बनाने, झूठे बहाने से उनके बैंक खाते खुलवाने और उन खातों का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी की आय को रूट करने और निकालने के लिए करना स्वीकार किया। उन्होंने झारखंड के दो और मास्टरमाइंड के नामों का भी खुलासा किया। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

गिरफ्तार जालसाजों को झारखंड के स्थानीय क्षेत्रों से विभिन्न साइटों पर मज़दूरी के काम के लिए आस-पास के गाँवों में लाया गया था। पहुँचने पर, उन्हें वेतन भुगतान प्राप्त करने के बहाने बैंक खाते खोलने और अपने एटीएम कार्ड सरेंडर करने का निर्देश दिया गया। बाद में इन बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के लेन-देन को अंजाम देने के लिए किया गया। पकड़े जाने से बचने के लिए, धोखेबाज़ अक्सर लेन-देन पूरा करने के बाद लद्दाख जैसे दूरदराज के इलाकों में चले जाते थे।

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