आलोक वर्मा
रोजमर्रा की जिंदगी में आप औऱ हम रेल की बात ना सोचें ऐसा शायद ही होता हो। कभी सफर के लिए, कभी रोजगार के लिए तो कभी रेल में आ गई बदहाली के लिए। रेलगाड़ी लोगों के मनो मस्तिष्क पर रहती है।
कभी सफर के आनंद के लिए तो कभी सफर में हुई परेशानी के लिए चर्चा में रहने वाली रेल की बदहाली के लिए राजनीति से लेकर आम गलियारे तक खूब गाली गलौच भी होती है। लेकिन इसका दुरूपयोग करने के लिए कौन जिम्मेवार है इसके बारे में कोई नहीं सोचता। शायद समाज के हर क्षेत्र के लिए तमाम गैरसरकारी संगठन भी काम कर रहे होते हैं मगर 160 सालों से लाखों लोगों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पहुंचाने वाली रेलवे की एक तस्वीर अंधेरी है। जिसमें रेलवे पुलिस बल रोशनी करने की कोशिश तो करती है मगर रेल का इस्तेमाल करने वालों की सोच बदले बिना इस पहलू में उजाला नहीं हो सकता।
हर माह 1 लाख
जी हां साल दर साल की तरह इस साल भी साल के पहले छह महीने में रेलवे पुलिस बल आरपीएफ ने 5.54 लाख लोगों को गिरफ्तार किया है। साल 2017 में 12 महीनों में आरपीएफ ने 12.10 लाख लोगों को गिरफ्तार किया। जी जनाब 12.10 लाख लोग आरपीएफ के हत्थे चढ़े यानि अगर आप एवरेज निकालें तो हर महीने 1 लाख लोग गिरफ्तार हुए।
गिरफ्तार हुए लोगों से आरपीएफ ने इस साल 16.37 करोड़ रूपये वसूले हैं। जरा अंदाजा लगाईए हर महीने करीब एक लाख लोग रेलवे कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं।
कैसे कैसे लोग
अब जरा कैसे कैसे लोग रेलवे का क्या क्या कर रहे हैं इस बारे में आपको बताते हैं। आरपीएफ ने पिछले साल रेलवे संपति के मामले मे 5242 मामले दर्ज कर 2.61 करोड़ की रेलवे संपति बरामद की औऱ 6363 लोगों को गिरफ्तार किया था इस साल मामला दर्ज करने की संख्या 2487 वसूली 1.73 करोड़ और गिरफ्तारी 3143 पर पहुंच चुकी है।
क्रिमिनल की बढ़ती संख्या
दिन पर दिन रेलवे में आईपीसी के तहत अपराध करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है।
पिछले छह माह में जहर खुरानी के मामले में 47 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि पिछले साल 12 महीने में यह संख्या 58 थी। इस साल पहले छह माह में यात्रियों के सामान पर हाथ साफ करने के मामले में 947 लोग पकड़े जा चुके हैं पिछले साल यह संख्य़ा 1462 थी। अवैध हथियार के साथ इस साल 40 पिछले साल 91, यात्रियों की जेब पर हाथ साफ करने वाले और झपटमारी करने वाले इस साल 683 पिछले साल 1130, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में इस साल 68 पिछले साल 115 और अन्य मामलों में इस साल 1083 और पिछले साल 2367 लोगों की गिरफ्तारी ये बताती है कि रेल में क्रिमिनल बढ़े रहे हैं इनकी संख्या कम नहीं हो रही।
इसके अलावा आरपीएफ ने 521 लोगों को 15.90 करोड़ की वर्जित वस्तुओं के साथ गिरफ्तार किया, दो महिलाओं सहित 8 लोगों को रेलवे में नोकरी दिलाने के फर्जीवाड़े में औऱ 9 को फर्जी टीटीई के मामले में गिरफ्तार किया।
तो जनाब एशिय़ा के इस सबसे बड़े रेल नेटवर्क को कोसने से पहले उपरोक्त आंकड़ो पर गौर से सोचिए। क्या सिस्टम सब कुछ कर सकता है या हमें भी कुछ करना चाहिए। आरपीएफ तो अपनी कार्रवाई करेगी ही लेकिन हम रेल की छत, बेटिकट यात्रा जैसी कई सारी बातों का विरोध कर आरपीएफ के इन दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ते आंकड़ो पर लगाम लगा सकते हैं। आखिरकार रेल हमारी है और हर पल हमसे जुड़ा कोई ना कोई शख्स इसमें सफर कर अपनी मंजिल तय कर रहा होता है।