खास seminar में सीनियर फॉरेस्ट अफसर के इस पुस्तक की क्यों हुई चर्चा

खास seminar यूं तो पर्यावरण से जुड़े अहम मुद्दों के लिए ही रखा गया था। मगर इस seminar में जब झारखंड के वरिष्ठ वन अधिकारी ने अपनी पुस्तक प्रस्तुत की तो सभी सराहना करने लगे।

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खास seminar यूं तो पर्यावरण से जुड़े अहम मुद्दों के लिए ही रखा गया था। मगर इस seminar में जब झारखंड के वरिष्ठ वन अधिकारी ने अपनी पुस्तक प्रस्तुत की तो सभी सराहना करने लगे। पुस्तक की सराहना की वजह भी खास थी। संभवतः यह अपनी तरह की पहली ऐसी पुस्तक है जिसमें पारंपरिक ज्ञान और औषधीय पौधों के संरक्षण पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

कोलकाता में आयोजित seminar में इन बातों पर चर्चा

seminar कोलकाता में आयोजित किया गया था। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के 136वें स्थापना दिवस समारोह और तृतीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें पादप वर्गिकी, लोक वनस्पति विज्ञान, वनस्पति उद्यान और जैव विविधता संरक्षण पर चर्चा की गई।


इस कार्यक्रम में प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह झारखंड जैव विविधता परिषद के सदस्य सचिव संजीव कुमार ने भारत आधारित पारंपरिक ज्ञान पर अपनी पुस्तक प्रस्तुत की। पुस्तक में पारंपरिक ज्ञान और औषधीय पौधों के संरक्षण पर विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसे उपस्थित वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने सराहा।


संजीव कुमार ने जैव विविधता के पैनल डिस्कशन में झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में जैव विविधता अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और संरक्षण के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, चेन्नई के सदस्य सचिव श्री बालाजी भी उपस्थित थे। उन्होंने संजीव कुमार द्वारा झारखंड में जैव विविधता संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे अभियानों की सराहना की ।

श्रीबालाजी ने संजीव कुमार द्वारा झारखंड में जैव विविधता संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे अभियानों की सराहना की। मौके पर भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, कोलकाता के निदेशक एए माओ ने मुख्य वन संरक्षक संजीव कुमार को शॉल से सम्मानित किया। संगोष्ठी में भारतीय जंतु सर्वेक्षण के निदेशक बाला जी, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकार के सदस्य सचिव, कई राज्यों के प्रधान मुख्य वन संरक्षक व सदस्य सचिव जैव विविधता परिषद, कई राज्यों से वनस्पति के विशेषज्ञ, पर्यावरण् विद्, के अलावा स्पेन, डेनमार्क, बेल्जियम आदि देश से लगभग एक हजार से अधिक वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञ शामिल हुए।

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