रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)का जन्म दिन जानिए उनके बारे में चर्चित ये दिलचस्प किस्से

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Rajnath singh

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नई दिल्ली,इंडिया विस्तार। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)के राजनीतिक कद के बारे में वैसे तो बताने की जरूरत नहीं। लेकिन यह बताना जरूरी है कि राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) के राजनीतिक जीवन के कई किस्से बड़े दिलचस्प हैं। इनमें सबसे चर्चित है साल 1976 में यूपी के जेल की एक घटना। यह इमरजेंसी के दौर का समय था। दो राजनीतिक कैदियों में बातचीत हो रही थी। एक जवान था तो दूसरा बुजुर्ग। बुजुर्ग कैदी युवा कैदी का हाथ देख रहा था। हाथ देखने वाला बुजुर्ग बोला तुम एक दिन बहुत बड़े नेता बनोगे। हाथ जिस जवान का था वो बोला कितना बड़ा गुप्ता जी। बुजुर्ग ने कहा यूपी के सीएम जितना बड़ा। नौजवान हंस दिया। 24 साल का था। उसकी पार्टी तीसरे चौथे नंबर पर रहती थी। ऐसे में सीएम बनना बहुत ज्यादा दूर की कौड़ी थी। कहते हैं कि हाथ देखने वाले वो बुजुर्ग थे, जनसंघी दौर के नेता रामप्रकाश गुप्त। राम प्रकाश गुप्त इमरजेंसी के दौर में यूपी के सबड़े बड़े जनसंघी नेता थे। 1967 में जब यूपी में चौधरी चरण सिंह की सरकार बनी थी, तब वह डिप्टी सीएम थे। 1977 में जनता पार्टी के जीतने के बाद भी वह यूपी में काबीना मंत्री बने। 1989 में बीजेपी नए सिरे से मजबूत होकर उभरी। 1991 में कल्याण सिंह की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी। राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) भी मंत्री बने। माध्यमिक शिक्षा के। उसके पहले राजनाथ संगठन की राजनीति कर रहे थे। युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। फिर विधान परिषद पहुंच गए थे। शुरुआत तो 77 में ही हो गई थी जनता लहर में वह भी मिर्जापुर से विधायक बन गए थे।


1991 में राजनाथ(Rajnath Singh) नकल अध्यादेश के चलते मशहूर हुए। इसमें नकलची विद्यार्थियों को एग्जाम हॉल से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत कोर्ट से मिलती थी। पूरे प्रदेश में सनाका खिंच गया था। नकल का नामोनिशान नहीं। नतीजतन, पास का पर्सेंट बुरी तरह गिरा।


बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को इस्तीफा दे दिया। 1993 में यूपी में चुनाव हुए। सपा-बसपा गठबंधन ने बीजेपी को 213 के बहुमत आंकड़े से बहुत पीछे 177 पर रोक दिया। खुद राजनाथ सिंह भी लखनऊ के पास की महोना सीट से चुनाव हार गए। सब बोले कि राजनाथ (Rajnath Singh)को शिक्षकों और बच्चों की हाय लगी है।

राजनाथ(Rajnath Singh)के सियासी कद पर इस हार से फर्क नहीं पड़ा। कुछ ही महीनों में अटल ने उन्हें अपनी कैबिनेट में ले लिया। कृषि मंत्री बना दिए गए राजनाथ। 1999 में कल्याण के जाने के बाद रामप्रकाश गुप्त को यूपी की गद्दी सौंपी गई और 11 महीने बाद राजनाथ सिंह सीएम बनाए गए। इस तरह जेल की वह भविष्यवाणी सत्य साबित हुई। 2005 में आडवाणी पाकिस्तान गए. जिन्ना की तारीफ की वहां. यहां संघ के लोग नाराज हो गए। आडवाणी लौटे, इस्तीफा दिया और नए सिरे से पार्टी अध्यक्ष की तलाश शुरू हुई। और रुकी राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) पर। 2009 तक अध्यक्ष रहे दो टर्म। राष्ट्रीय नेता बन गए। 2009 में गाजियाबाद से चुनकर लोकसभा भी पहुंच गए।

2013 में जब अगले लोकसभा चुनावों की हलचल जोरों पर थी। सब मान चुके थे कि संघ के आशीर्वाद से गडकरी दोबारा अध्यक्ष बन जाएंगे। मगर एक बार फिर राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)अध्यक्ष बन गए।

2014 में मोदी सरकार बनी राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)गृहमंत्री बनाए गए। 2019 में उन्हें रक्षा मंत्री की कुर्सी सौंपी गई।

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