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नई दिल्ली,इंडिया विस्तार। क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरुआत 1975 में हुई थी। वनडे क्रिकेट तब नया था और क्रिकेटर टेस्ट खेलने के लिए जाने जाते थे। तब 60 ओवरों का वनडे मैच हुआ करता था। पहले वर्ल्ड कप का पहला मैच भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया और इस मैच में भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर(Sunil Gavaskar) ने जो बैटिंग की उसे आज भी वनडे क्रिकेट की सबसे विवादास्पद पारी के रूप में याद किया जाता है।
लॉर्ड्स में खेला गया मुकाबला
7 जून 1975 को यह मैच क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में खेला गया। तब गर्मी का मौसम चल रहा था और पहले खेलते हुए इंग्लैंड ने 60 ओवरों में चार विकेट पर 334 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया। यह उस समय वनडे क्रिकेट का सबसे बड़ा स्कोर भी था। इंग्लैंड की पारी में डेनिस एमिस (137) ने शतकीय और कीथ फ्लेचर (68) ने अर्धशतकीय योगदान दिया। इसके बाद क्रिस ओल्ड ने केवल 30 गेदों पर शानदार पचासा जड़ा।
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टूर्नामेंट में तब आठ टीमें थीं जिन्हें दो ग्रुप में रखा गया था, यानी एक हार अगले दौर की संभावनाओं को और क्षीण कर देती। ये तो सभी मान कर चल रहे थे कि भारत पहला मैच हार चुका है लेकिन तब टूर्नामेंट का फॉर्मेट ये था कि अगले दौर (सेमीफाइनल) में जाने के लिए अगर किसी दो टीमों के अंक बराबर रहेंगे तो जिस टीम का नेट रन रेट अच्छा होगा वो आगे जाएगी। यानी भारत को हार के बावजूद अधिक से अधिक रन बनाने की कोशिश करनी होगी।
Sunil Gavaskar ने खेली ऐसी पारी, फील्ड पर दौड़ते हुए आए फैंस
भारतीय पारी की शुरुआत करने वाले Sunil Gavaskar तो उस दिन बस अपनी ही धुन में थे। वो वनडे को टेस्ट की भांति खेलने लगे। भारतीय दर्शकों में निराशा फैलने लगी। वो लगातार धीमी गति से खेले जा रहे थे और उधर भारतीय दर्शकों की नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उनमें से कुछ तो फील्ड पर दौड़ते हुए उनके पास तक चले आए और उनका विरोध किया। उधर पवेलियन में बैठे गावस्कर(Sunil Gavaskar) की टीम के साथियों के चेहरे पर भी निराशा साफ झलक रही थी।
मजेदार तो यह रहा कि गावस्कर ने इस पारी में 174 बॉल खेले और बगैर आउट हुए 36 रन ही बना सके। उनका स्ट्राइक रेट 20।69 रहा। उनकी इस पारी की बदौलत टीम इंडिया ने 3 विकेट के नुकसान पर केवल 132 रन ही बना सकी और 202 रनों से मैच गंवा दिया। इतने बड़े अंतर से मैच हारने का यह वर्ल्ड कप रिकॉर्ड बन गया जो अगले 27 सालों तक बना रहा।
Sunil Gavaskar की इस पारी के पीछे क्या था कारण
उस समय टीम इंडिया के मैनेजर जीएस रामचंद ने डेली एक्सप्रेस न्यूजपेपर से कहा, ‘मैंने आज तक जितने भी मैच देखे उनमें से यह सबसे शर्मनाक प्रदर्शन है। उसका कहना था कि विकेट शॉट लगाने के लिए बहुत स्लो थी। लेकिन इंग्लैंड ने इसी पिच पर 334 रन बनाए तो ऐसा कहना बेवकूफी है। टीम में निराशा है। देश की प्रतिष्ठा बहुत महत्वपूर्ण है जिसे इस तरह नहीं गंवाया जा सकता।’
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कुछ लोगों की समझ में यह आया कि भारतीय टीम इंग्लैंड की पारी के बाद यह मान चुकी थी कि वो जीत नहीं सकती और लॉर्ड्स में इससे पहले खेले गए अंतिम मैच में पूरी टीम 42 रनों पर आउट हो गई थी तो संभवतः टीम सस्ते में ऑल आउट होने से बचना चाहती थी।
Sunil Gavaskar की इस पारी के बाद गर्म हो गया था अफवाहों का बाजार
वहीं इस पारी के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया कि Sunil Gavaskar टीम के चयन से नाखुश थे। वर्ल्ड कप के लिए चयन समिति ने तेज गेंदबाजों की तुलना में स्पिनरों को तरजीह दी और यही Sunil Gavaskar की नाराजगी की वजह थी क्योंकि पिछले इंग्लैंड दौरे में स्पिनर्स बुरी तरह नाकाम रहे थे। एक और अफवाह यह भी थी कि वो वेंकटराघवन के कप्तान चुने जाने से नाखुश थे।
Sunil Gavaskar ने उस समय तो इस पारी के बारे में कुछ भी सार्वजनिक रूप से नहीं कहा लेकिन कई सालों के बाद उन्होंने भी यह माना कि वो उनके जीवन की सबसे घटिया पारी थी लेकिन साथ ही उन्होंने इसका कारण ‘आउट ऑफ फॉर्म’ होना बताया। गावस्कर ने कहा कि मैच के दौरान उन्होंने आउट होने की कोशिश भी की लेकिन आउट नहीं हो सके।
टीम के अन्य साथियों ने भी गावस्कर की इस पारी पर आश्चर्य व्यक्त किया और जब मैच के बाद Sunil Gavaskar ड्रेसिंग रूम में पहुंचे तो उनसे किसी साथी खिलाड़ी ने बात तक नहीं की।
Sunil Gavaskar सच में आउट ऑफ फॉर्म थे?
इंग्लैंड के खिलाफ इस प्रदर्शन के बावजूद Sunil Gavaskar को अगला मैच खेलने का मौका दिया गया। यह मैच खेला गया इंग्लैंड के खिलाफ मैच के ठीक चार दिन बाद ईस्ट अफ्रीका से और इसमें गावस्कर ने 86 गेंदों में 65 रन और फिर इसके बाद अंतिम लीग मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ 14 गेंदों पर 12 रन बनाए।
जब टीम लौट कर भारत आई तो मैनेजर ने भी इस पारी की रिपोर्ट बोर्ड से की लेकिन बोर्ड ने Sunil Gavaskar को आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा। इसी के साथ पूरा मामला खत्म हो गया।
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