ह कहानी किसी अनपढ़ जेबकतरे की नहीं है। यह कहानी है एक पोस्ट ग्रेजुएट अपराधी की,जिसने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की,
दिल्ली यूनिवर्सिटी से डिग्री ली,और फिर उसी समझ का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज, चोरी की लग्ज़री कारें और अंतरराज्यीय अपराध नेटवर्क खड़ा करने में किया। नाम है — आलोक श्रीवास्तव।
पढ़ाई-लिखाई और शुरुआती जिंदगी
आलोक श्रीवास्तव का जन्म 1969 में दिल्ली के शाहदरा इलाके में हुआ।
उसने:
- विवेक विहार, दिल्ली से स्कूलिंग की
- दिल्ली यूनिवर्सिटी से B.Com किया
- 1994–96 के बीच कानपुर यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया
शुरुआत में उसने कश्मीरी गेट, दिल्ली में स्पेयर पार्ट्स की दुकान भी चलाई। सब कुछ सामान्य लग रहा था।
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जब पढ़ा-लिखा दिमाग गलत रास्ते पर चला गया
यहीं से कहानी बदलती है। गाड़ियों, दस्तावेजों और नंबरिंग सिस्टम की जानकारी धीरे-धीरे अपराध का टूल बन गई।आलोक श्रीवास्तव एक ऐसे गिरोह का हिस्सा बना, जो चोरी की गाड़ियों को कानूनी दिखाने का खेल खेलता था।
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चोरी की Fortuner और फर्जी पहचान
दिल्ली के मॉडल टाउन थाना क्षेत्र में दर्ज
FIR No. 33946/22 इस नेटवर्क की पोल खोलती है।
जांच में सामने आया कि:
- चोरी की गई Fortuner खरीदी गई
- नंबर प्लेट बदली गई
- इंजन और चेसिस नंबर टैंपर किए गए
- टोटल लॉस घोषित गाड़ी के दस्तावेज लगाए गए
- नई RC और इंश्योरेंस तैयार की गई
यानि चोरी की कार को पूरी तरह “वैध” बना दिया गया।
प्रोफेशनल मोडस ऑपरेंडी
यह कोई सड़कछाप चोरी नहीं थी।
गिरोह पूरी तरह प्रोफेशनल तरीके से काम करता था।
- ग्राहक की डिमांड ली जाती
- उसी मॉडल की गाड़ी चोरी कराई जाती
- फर्जी कागजात तैयार होते
- टोटल लॉस गाड़ियों के नंबर इस्तेमाल होते
- ऊंचे दामों पर गाड़ी बेची जाती
आलोक श्रीवास्तव इस नेटवर्क का दिमाग था।
घोषित भगोड़ा, लेकिन गिरफ्त से बाहर
जब उसके साथी
अभय सिंह, मोहम्मद अशरफ और रिज़वान
गिरफ्तार हुए,
आलोक श्रीवास्तव फरार हो गया।
17 मई 2023 को
रोहिणी कोर्ट ने उसे Proclaimed Offender घोषित किया।
इसके बावजूद वह लगातार गिरफ्त से बचता रहा।
आख़िरकार गिरफ्तारी
डीसीपी हर्ष इंदौरा के मुताबिक 13 दिसंबर 2025 को दिल्ली क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि
आलोक श्रीवास्तव यूपी के लखीमपुर खीरी के मेला ग्राउंड में आने वाला है। एसीपी राजपाल डबास की निगरानी में इंस्पेक्टर सतीश मलिक के नेतृत्व में एसआई अनुज छिकारा, हेडकांस्टेबल रविन्द्र सिंह और अशोक की टीम बनाई गई। तकनीकी सर्विलांस लगाया गया। लोकेशन ट्रैक की गई। जाल बिछाया गया।और पोस्ट ग्रेजुएट अपराधी आखिरकार पकड़ लिया गया।
लंबा आपराधिक इतिहास
आलोक श्रीवास्तव के खिलाफ:
- दिल्ली
- उत्तर प्रदेश
दोनों जगह वाहन चोरी, धोखाधड़ी और जालसाजी के कई केस दर्ज हैं।
यह दिखाता है कि अपराध उसके लिए अपवाद नहीं, बल्कि पेशा बन चुका था।










