ममता बनर्जी ने वेस्ट बंगाल में लाया एंटी रेप विधेयक, विधेयक की सारी बातें जान लीजिए

ममता बनर्जी वेस्ट बंगाल में एंटी रेप विधेयक पास करवा दिया है। बंगाल सरकार ने इस विधेयक को अपराजिता वूमन एंड चाइल्ड बिल 2024 का नाम दिया है। आर जी कर मेडिकल कालेज में ट्रेनी डाक्टर रेप मर्डर के बाददेश भर में उठे बवाल के बाद वेस्ट बंगाल में लाया गया यह विधेयक चर्चा में है।

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ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने वेस्ट बंगाल में एंटी रेप विधेयक पास करवा दिया है। बंगाल सरकार ने इस विधेयक को अपराजिता वूमन एंड चाइल्ड बिल 2024 का नाम दिया है। आर जी कर मेडिकल कालेज में ट्रेनी डाक्टर रेप मर्डर के बाददेश भर में उठे बवाल के बाद वेस्ट बंगाल में लाया गया यह विधेयक चर्चा में है। बेटियों के गुनाहगारों को सजा दिलाने में ये विॆधेयक कितना मददगार होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन हम यहां इस विधेयक की अहम बातें आपको बताने जा रहे हैं।

ममता बनर्जी के विधेयक में ये हैं अहम बातें

विधेयक का मकसद वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंट बिल में बदलाव कर दुष्कर्म और यौन शोषण के मामलो में महिलाओं बच्चों की सुरक्षा को बढ़ाना है। यदि दुष्कर्म के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है तो इस स्थिति में दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान है। विधेयक में कहा गया है कि दुष्कर्म के दोषी को उम्र कैद की सजा दी जाए। उसे सारी उम्र जेल में रखा जाए।

इस दौरान उसे पैरोल भी ना दी जाए। मौजूदा कानून के तहत उम्र कैद की कम से कम सजा 14 साल है। सजा सुनाए जाने के बाद माफी हो सकती है, पैरोल भी दी जा सकती है। सजा कम भी की जा सकती है। लेकिन जेल में 14 साल बिताने होंगे। विधेयक के मुताबिक कोर्ट की कार्यवाही को प्रकाशित करने से पहले कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया गया तो जुर्माने के साथ तीन से पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।

विधेयक के मसौदे के मुताबिक दुष्कर्म के मामले की जांच 21 दिन के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। इस जांच को 15 दिन बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह सुपरिंटेडेंट ऑफ पुलिस और इसके बराबर की रैंक वाले अधिकारी ही करेंगे। इसके पहले उन्हें लिखित में इसका कारण केस डायरी में बताना होगा।

अब क्योंकि आपराधिक कानून समवर्ती सूची के तहत आता है। इसलिए इसे राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी। संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गई समवर्ती सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों का अधिकार होता है। समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों कानून बना सकते हैं। लेकिन अगर दोनों के कानून में टकराव होगा तो केंद्र का कानून सर्वोपरि माना जाएगा।

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