नई दिल्ली, इंडिया विस्तार डेस्क। भारत के युवा इंजीनियर को संयुक्त राष्ट्र ने यंग चैंपियन ऑफ द अर्थ सम्मान से नवाजा है। दिल्ली के इस युवा इंजिनियर ने एक ऐसी मशीन ईजाद की जिससे पराली जलाने की समस्या से निजात मिल जाएगी।
भारत के युवा इंजीनियर विद्युत मोहन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ((UNEP) का-यंग चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ 2020 चुना गया है। विद्युत मोहन ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसके ज़रिये, खेतीबाड़ी के कूड़े-करकट को पर्यावरण अनुकूल ईंधन में तब्दील किया जा सकता है।

इससे ना केवल प्रदूषण को रोकने में मदद मिलती है, बल्कि उससे आमदनी भी होती है। विद्युत मोहन दिल्ली में ही पले पढ़े और बढ़े हैं।
विद्युत मोहन ने एक ऐसी सचल मशीन बनाई है जो खेतीबाड़ी के कूड़े-कचरे को इस तरह जलाती है कि उससे वातावरण में हानिकारक ग्रीनहाउस गैसें नहीं फैलती हैं। बल्कि वो ऐसे चारकोल और खाद में तब्दील हो जाता है जिसे किसान बाद में इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत में, किसान, आमतौर पर अपने खेतों में फ़सलों की उपज लेने के बाद बचे कूड़े, मसलन धान और गेहूँ की उपज के बाद बची पुआल को वहीं पर जलाते रहे हैं। पराली की समस्या राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का मुद्दा बनी हुई है। दिल्ली के लिए तो खासकर यह बड़ी समस्या है।
इससे ना केवल वातावरण में ख़तरनाक प्रदूषण फैलता है, जिससे अस्थमा और दिल की बीमारियाँ जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होती हैं, बल्कि उस आग से वातावरण में काले कार्बन के छोटे-छोटे कण भी फैलते हैं जिनसे अन्ततः जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।
पराली के कारण दिल्ली में सर्दियों में गहरा और विषैला कोहरा छा जाने से आबादी को बहुत सी स्वास्थ्य परेशानियाँ होती रही हैं।
भारत के विद्युत मोहन, विश्व भर से उन 7 अन्वेषकों में से एक हैं जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में असाधारण काम करने के लिये चैम्पियन के रूप में सम्मानित किया गया है।
यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के – यंग चैंपीयन ऑफ दू अर्थ (Young Champions of the Earth for 2020) में, संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण चैम्पियनों के रूप में ये मान्यता या पुरस्कार घोषित किये गए।
टकाचार
विद्युत मोहन टाकाचार सामाजिक उद्यम के सह-संस्थापक हैं जिसका मक़सद किसानों को अपनी फ़सलों के अपशिष्टों और पुआल जैसे बचे-खुचे हिस्से को वहीं जला देने के बजाय, उन्हें फ़ायदे वाले उत्पादों में तब्दील करना है।