हरियाली अमावस्या-जानें महत्व और सब कुछ

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नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) की तिथि का प्रारंभ इस साल 7 अगस्त 2021 शनिवार की शाम 7 बजकर 11 मिनट से रविवार यानि 8 अगस्त को शाम 7 बजकर 19 मिनट तक है।

हरियाली अमावस्या का महत्व (Importance of Hariyali Amavasya)

हरियाली अमावस्या हमारे जीवन में पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है। वर्षा ऋतु के कारण आसपास हरियाली छा जाती है जो आंखो और दिल को शांति प्रदान करती है। वृक्ष, पौधे पर्यावरण को बेहतर और सुंदर बनाते हैं। हरे भरे पेड़ पौधे हमारे जीवन के अहम अंग हैं। पर्यावरण हमारे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

हरियाली अमावस्या पर पीपल और तुलसी की पूजा की जाती है। इस दिन पौधा लगाना चाहिए। हरियाली अमावस्या के दिन आम, आंवला, पीपल, बरगद और नीम आदि के पौधे लगाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

हरियाली अमावस्या पितृ पूजा, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए उत्तम माना गया है। वहीं इस दिन नए पौधों को रोप सकते हैं। इस दिन पौधों को लगाना अच्छा माना गया है।

सावन मास का महत्व(Importance of Sawan Month)

सावन का महीना चातुर्मास का पहला महीना है। चातुर्मास में भगवान विष्णु शयन करते हैं और संपूर्ण सृष्टि की बागडोर भगवान शिव के हाथों में होती है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव, माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसीलिए शिवभक्त सावन महीने में हर दिन शिव की विशेष पूजा करते हैं।  पवित्र कांवड यात्रा सावन के महीने में ही निकाली जाती है। इसके साथ ही सावन में सोमवार और शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इसके साथ प्रदोष व्रत को भी विशेष माना गया है। ये सभी पर्व भगवान शिव को समर्पित हैं।

हिंदू धर्म में श्रावण यानि सावन के महीने का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। सावन का महीना बीते 25 जुलाई से आरंभ हो चुका है। सावन का महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है। इस पूरे महीने भगवान शिव की विशेष पूजा, उपासना की जाती है।

 

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