Haridwar-क्या आप जानते हैं हरिद्वार का प्राचीन नाम ?

Haridwar-गंगा किनारे उतराखंड में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार। यहां दुनिया भर से हर साल लाखों लोग तीर्थयात्री के रूप में पहुंचते हैं। यहां हर की पैड़ी समेत कई घाट और मंदिर हैं जहां के दर्श करने के लिए श्रद्धालु लालायित रहते हैं।

2
181
Haridwar
Haridwar
👁️ 115 Views

Haridwar-गंगा किनारे उतराखंड में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार। यहां दुनिया भर से हर साल लाखों लोग तीर्थयात्री के रूप में पहुंचते हैं। यहां हर की पैड़ी समेत कई घाट और मंदिर हैं जहां के दर्श करने के लिए श्रद्धालु लालायित रहते हैं। लेकिन हरिद्वार को प्राचीन में किन्हीं और नामों से जाना जाता था। क्या आप जानते हैं हरिद्वार को किन किन नामों से जाना जाता था। आइए आज हम आपको उसके प्राचीन नामों के बारे में बताते हैं।

Haridwar-हरि का द्वार

हरिद्वार का अर्थ होता है हरि का द्वार। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को हरि कहा जाता है। उत्तराखंड के चार धामो में एक बद्रीनाथ भी भगवान विष्णु का मंदिर है इसलिए हरिद्वार को भगवान विष्णु तक पहुंचने का एक द्वार भी कहा जाता है। हरिद्वार के सबसे खास घाट हर की पैड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन से निकला अमृत भी यहां गिरा था।

देवभूमि उत्तराखंड में चारो धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री मौजूद हैं। इसके अलावा यहां सैकड़ो अन्य प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं। इन सभी मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित इन मंदिरों में प्रवेश के लिए हरिद्वार होकर आना पड़ता है। इसलिए हरिद्वार को गेटवे ट गॉड्स भी कहा जाता है।

वैसे हरिद्वार का सबसे प्राचीन नाम मायापुरी है। इस जगह की सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती है। इसे प्राचीन समय में गंगाद्वार भी कहा गया है। क्योंकि पहाड़ो से निकलकर गंगा हरिद्वार होकर ही मैदानी इलाको में आती है। हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध घाट हर की पैड़ी का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भृतहरि की याद में बनवाया था।

इसी घाट पर राजा श्वेत ने तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो राजा श्वेत ने कहा कि इस स्थान का नाम भगवान के नाम पर होना चाहिए। कहा जाता है कि उसी समय से हर की पैड़ी के जल को ब्रह्मा कुंड कहा जाता है। हर की पैड़ी के पीछे बलवा पर्वत पर मनसा देवी का मंदिर है। वहीं गंगा नदी के दूसरी तरफ नील पर्वत पर चंडी देवी मंदिर बना हुआ है।

चंडी देवी मंदिर को काश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 में बनवाया गया था। हरिद्वार में भारत के प्रमुख 51 शक्ति पीठों में से एक माया देवी का मंदिर है। इस मंदिर में माता सति का ह्रदय और नाभि गिरा था।

पढ़ने योग्य

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now