दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 4 साल से फरार POCSO आरोपी को नोएडा से पकड़ा

दिल्ली क्राइम ब्रांच की इंटर-स्टेट सेल ने 4 साल से फरार सुमित कुमार को नोएडा से गिरफ्तार किया। आरोपी नाबालिग लड़की से ऑनलाइन फिशिंग के जरिए अश्लील तस्वीरें मांगता था और ब्लैकमेल करता था।

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दिल्ली क्राइम ब्रांच गिरफ्तारी
दिल्ली क्राइम ब्रांच गिरफ्तारी
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दिल्ली क्राइम ब्रांच की इंटर-स्टेट सेल ने एक ऐसे अपराधी को गिरफ्तार किया है जो करीब चार साल से पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। आरोपी का नाम सुमित कुमार है, जो एक POCSO और IT Act के मामले में वांछित था।

आरोप है कि सुमित कुमार ने फेसबुक पर फिशिंग लिंक भेजकर एक नाबालिग लड़की को फंसाया था और उससे अश्लील तस्वीरें साझा करने के लिए मजबूर किया था। पुलिस के अनुसार, यह मामला द्वारका साउथ थाने में दर्ज है।

कैसे किया अपराध

डीसीपी क्राइम ब्रांच के डीसीपी आदित्य गौतम के अनुसार, सुमित ने पीड़िता को उसके पुराने ट्यूटर के नाम से बनाए गए फेक फेसबुक अकाउंट से मैसेज भेजा। उसने झूठा दावा किया कि उसकी निजी तस्वीरें ऑनलाइन लीक हो चुकी हैं और एक लिंक भेजा, जिसमें लॉगिन करने पर पीड़िता का अकाउंट हैक हो गया। इसके बाद आरोपी ने ब्लैकमेल कर पैसे की मांग की और धमकी दी कि वह उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा।

जांच और गिरफ्तारी

सुमित को पहले गिरफ्तार किया गया था लेकिन जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया और अपने पैतृक गांव, मधुबनी (बिहार) में छिप गया। अदालत ने 26 मार्च 2024 को उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित कर दिया था।

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कई महीनों की कनीकी निगरानी और मैनुअल इंटेलिजेंस के बाद, पुलिस टीम ने उसकी लोकेशन सेक्टर-128, नोएडा में ट्रेस की।
1 नवंबर 2025 को पुलिस ने साहपुर गांव स्थित एक वाइन शॉप से उसे दबोच लिया।

पूछताछ में सुमित ने अपने अपराध को स्वीकार किया और बताया कि वह आसान पैसे कमाने के लिए ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग करता था।
वह हाल ही में नोएडा में हाउसकीपिंग सुपरवाइज़र के रूप में काम कर रहा था और सोचता था कि पुलिस उसे कभी नहीं पकड़ पाएगी। लेकिन क्राइम ब्रांच की लगातार कोशिशों और तकनीकी ट्रैकिंग से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

पहले भी कर चुका है साइबर अपराध

सुमित कुमार पहले भी दिल्ली के थाना मालवीय नगर में गिरफ्तार हो चुका है। वह महिलाओं को झूठा मैसेज भेजकर कहता था कि उनकी निजी तस्वीरें लीक हो गई हैं, और फिर फिशिंग लिंक से उनका अकाउंट हैक कर ब्लैकमेल और वसूली करता था।

यह कार्रवाई एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख में की गई, जिसमें इंस्पेक्टर पंकज मलिक, इंस्पेक्टर रोहित कुमार, एसआई देवेंद्र सिंह, एएसआई मुकेश कुमार, हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह और लेडी कांस्टेबल मंजू की टीम शामिल थी।

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