Crime story-दिल्ली की कातिल मेड जो आजीवन कारावास की सजा होते हुए भी चार साल तक पुलिस को देती रही चकमा

Crime story-यह सत्य कथा दिल्ली के एक कातिल मेड की है। उस कातिल मेड की जिसे कत्ल के आरोप में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी, मगर वह चार साल से पुलिस को चकमा दे रही थी।

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Crime story-यह सत्य कथा दिल्ली के एक कातिल मेड की है। उस कातिल मेड की जिसे कत्ल के आरोप में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी, मगर वह चार साल से पुलिस को चकमा दे रही थी। दिल्ली क्राइम ब्रांच की खास टीम ने इस कातिल मेड को गिरफ्तार कर लिया है। कोविड की आड़ में साल 2020 में मिले पैरोल के बाद कातिल मेड फरार थी।

Crime story-यह है पूरा मामल, वीडियो भी देखें

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक गिरफ्तार कातिल मेड की पहचान 53 साल की रूबी बेगम उर्फ समीना के रूप में हुई है। वह पहले तिलक नगर में रहती थी लेकिन पुलिस से बचने के लिए आजकल उसने असम के कोकराझार में ठिकाना बना लिया था। पुलिस कई दिन से उसके पीछे थी। जब वह दिल्ली में रह रही अपनी बेटी से मिलने पहुंची तो पुलिस ने उसे दबोच लिया।

ये था मामला

पुलिस के मुताबिक 17 जुलाई 2010 को राजोरी गार्डन में एक वरिष्ठ महिला नागरिक की हत्या हुई थी। कातिलों ने कत्ल के बाद घर में जमकर लूटपाट की थी। जांच में पता लगा कि दो दिन पहले रखी गई मेड लापता है। जांच के दौरान पुलिस ने मेड रूबी बेगम उर्फ रीना उर्फ समीना और उसके पति राकेश मेहरा को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने 20 जुलाई 2016 को दोनों को जुर्माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

27 मार्च 2020 को रूबी बेगम कोवि़-19 के चलते 8 सप्ताह के पैरोल पर रिहा हो गई। उसे 20 फरवरी 2021 को सरेंडर करना था। मगर वह फरार हो गई। उसे गिरफ्तार करने के लिए एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख और इंस्पेक्टर सतेन्द्र मोहन के नेतृत्व में एसआई राकेश, एएसआई सुरेश, हेडकांस्टेबल ललित, ब्रिजेश, सुरेन्द्र और महिला कांस्टेबल मनीषा की खास टीम बनाई गई।

पुलिस ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी की मगर उसका कुछ पता न लगा। काफी कोशिशों के बाद पुलिस को पता लगा कि रूबी सुभाष नगर में रहने वाली अपनी बेटी के संपर्क में है। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया। एक वेंडर को भी इसमें शामिल किया गया। आखिरकार पुलिस को पता लगा कि वह इस समय अपनी बेटी के घर में है।

पुलिस ने छापा मारकर उसे दबोच लिया। पूछताछ में उसने बताया कि सारा जीवन जेल में ना कटे इसलिए वह पैरोल के बाद फरार हो गई। तीन दिन पहले ही वह अपनी बेटी से मिलने दिल्ली आई थी। पुलिस से बचने के लिए वह अपने भाई के घर कोकराझार में ठिकाना बना कर रह रही थी।

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