Jharkhand news-झारखंड में आए दिन हाथियों के गुस्से से होने वाले जान माल के नुकसान की खबरें आम हैं। झारखंड वन विभाग ने गजराज के गुस्से पर काबू पाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं। वन विभाग की कोशिशों में केंद्र-राज्य सरकार की कैंपा परियोजना की मदद मिल रही है। प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण यानि कैंपा फंड की मदद से झारखंड वन विभाग ने कुछ ऐसे उपाय किए हैं जिनका असर देखने को मिल रहा है।
Jharkhand news in Hindi-झारखंड वन विभाग के आंकड़े
ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए हमने झारखंड वन विभाग के धनबाद प्रमंडल का दौरा किया। वन विभाग के आंकड़ो के मुताबिक झारखंड के अकेले धनबाद प्रमंडल में हीं जहां 2018-19 में गजराज के गुस्से से 3 लोगों की जानें गईं थीं वहीं यह संख्या अब केवल 1या 2 पर रह गई है। इसी तरह फसल और संपत्ति को होने वाले नुकसानों में भी काफी कमी बताई जा रही है।
हाथी के कारीडोर में बन गई सड़क
वन और गजराजों के बारे में जानकारी रखने वाले बताते हैं कि हाथियों का जीपीएस काफी मजबूत होता है। उनका पुश्तैनी मार्ग निर्धारित होता है। यानि जिस मार्ग से उनके पूर्वज गुजरते थे वर्तमान हाथियों के वंशज उसी मार्ग को अपनाते हैं। जैसे कि धनबाद का टुण्डी इलाका-पहाड़ और जंगल से भरे इस इलाके से अक्सर हाथियों का झुंड गुजरता है । आप इसे कह सकते हैं हाथियों का कॉरीडोर भी कह सकते हैं।
लेकिन इस कॉरीडोर के बीच में ही सड़क बन चुकी है जो शहर के लोगों के लिए अब जरूरत बन गई है। खूबसूरत वादियों के बीच विकास के इन्हीं पैमानो ने गजराज के गुस्से को बेकाबू बना दिया है। इस बात को धनबाद के एसीएफ बड़ी सुंदरता से बताते हैं। उन्होंने इस पर एक कविता भी रची है। (देखें वीडियो) दरअसल हाथि भोजन और पानी की तलाश में ही निकलते हैं। फिर रास्ते में अगर कोई खेत या घर पड़ा तो वह उसे रौंद देते हैं।
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हाथियों को उनकी जगह पर ही पानी और भोजन मिल जाए इसके लिए वन विभाग प्रयास कर रहा है। कैंपा फंड की मदद से वन विभाग ने धनबाद के ऋषिविष्टा और दूसरी जगहों पर करीब 40 चेक डैम बना दिए हैं। हाथियों का झुंड यहां काफी दिनों तक ठहर जाता है। इसी तरह कुछ बांस जैसे पौधारोपण उनको उनकी जगह पर ही भोजन देने की कोशिश है।
जान माल का नुकसान ना हो इसके लिए वन विभाग कैंपा फंड से ही कुछ विशेषज्ञ को बुलाकर लोगों को ट्रेनिंग देता है ताकि गजराज के आने पर लोग बचाव कर सकें। कई जगहों पर अलार्म लगाकर हाथी के आने पर उसे बजाया जाता है ताकि लोग सावधान हो जाएं। यही नहीं कैंपा के फंड से ही पिछले पांच सालो में दो दर्जन से अधिक ड्रैगन टार्च खरीदे गए, सौ से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइट लगवाए गए तो दो सौ के करीब सोलर लैंप, वाकी टाकी आदि की खरीदारी हुई।
इन सबका असर पड़ा। धनबाद के डीएफओ विकास पालीवाल बताते हैं कि इससे गजराज के हमले वाले मामलों की संख्या में काफी कमी आई। विकास पालीवाल की बात आप लिंक को क्लिक कर देख सकते हैं।
इसके अलावा गजराज के आने पर वन विभाग लोगों को अलर्ट करने की कोशिश करता है। इसके लिए अनाउंसमेंट की जाती है।
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