मनरेगा से रोजगार को लेकर होने वाले पलायन पर रोक लगाने में भी मदद मिल रही है। राज्य सभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि मंत्रालय ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के तहत 50 दिन के लिए अतिरिक्त अकुशल रोजगार उपलब्ध कराने जैसे कदम उठाए हैं। 2016-17 के दौरान मनरेगा के अंतर्गत सात सूखा प्रभावित राज्यों को 150 दिन के काम की अनुमति दी गई। वर्तमान वर्ष में इस प्रावधान के तहत केरल और पुद्दुचेरी को काम दिया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ग्रामीण और शहरी अंतर को पाटने तथा ग्रामीण इलाकों से शहरी क्षेत्रों में होने वाले पलायन को रोकने के उद्देश्य से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण केंद्रों का भी निर्माण कर रहा है।
श्री यादव ने यह भी जानकारी दी कि स्वतंत्र आकलनकर्ताओं के जरिये मंत्रालय द्वारा कराए गए अध्ययन में पाया गया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के परिणामस्वरूप विशेष मौसम में होने वाले पलायन में कमी आई है। अन्य अध्ययनों में भी दर्शाया गया कि घर के नजदीक काम देने और कार्यस्थल पर उचित माहौल उपलब्ध कराने से पलायन कम करने में मनरेगा का प्रत्यक्ष और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा ऐसे अध्ययनों का सार ‘मनरेगा समीक्षा’ नामक प्रकाशन में दिया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान ने पलायन की समस्या पर दो अध्ययन करवाए हैं। इनके नाम हैं – कठिन समय में होने वाले पलायन पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का प्रभाव : भारत के चयनित राज्यों का एक अध्ययन और जनजातीय लोगों के पलायन पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम का प्रभाव : पश्चिम बंगाल के जंगलमहल जिले में एक मामले का अध्ययन।