आयकर विभाग ने 8 नवम्बर, 2016 को उच्च मूल्य वाले करेंसी नोटों का चलन बंद करने की सरकारी घोषणा के बाद 400 से भी अधिक मामलों में काफी तेजी से जांच-पड़ताल की है। 130 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की नकदी एवं गहने जब्त किये गये हैं और करदाताओं ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय होने की बात स्वीकार की है।
आयकर अधिनियम से परे गंभीर अनियमितताओं का पता लगने के बाद सीबीडीटी ने इस तरह के मामलों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है। ऐसे में वे तत्काल आवश्यक कार्रवाई के लिये आपराधिक गतिविधियों की जांच कर सकते हैं। इस तरह के 30 से भी अधिक मामले पहले ही ईडी को सौंपे जा चुके हैं और अब इन्हें सीबीआई के हवाले भी किया जा रहा है।
आयकर विभाग की बेंगलुरू जांच इकाई ने अधिकतम मामले (18) ईडी को सौंपे हैं। ये ऐसे मामले हैं जिनमें उच्च मूल्य के नये नोटों वाली अघोषित नकदी विभाग द्वारा जब्त की गई है। मुम्बई इकाई ने एक ऐसा मामला सौंपा है, जिसमें 80 लाख रुपये के उच्च मूल्य वाले नये नोट जब्त किये गये हैं। लुधियाना इकाई ने ऐसे दो मामले सौंपे हैं जिनमें 14,000 अमेरिकी डॉलर एवं 72 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई है। हैदराबाद इकाई ने एक ऐसा मामला साझा किया है जिसमें टाटा इंडिका में सवार पांच लोगों से 95 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई है। पुणे इकाई ने जो मामला सौंपा है उसमें शहरी सहकारी बैंक के एक गैर-आवंटित लॉकर से 20 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई है, जिसमें 10 लाख रुपये के नये करेंसी नोट भी शामिल हैं। इस लॉकर की चाबी इस बैंक के सीईओ के पास थी। भोपाल इकाई द्वारा सौंपे गये दो मामले जौहरियों से जुड़े हुए हैं, जिनके खिलाफ बड़ी संख्या में बिलों पर पिछली तिथि दर्शाने और पैन की जानकारी देने संबंधी नियमों का उल्लंघन किये जाने के साक्ष्यों का पता चला है। यह जानकारी उनके यहां तलाशियों के दौरान सामने आई। दिल्ली इकाई द्वारा सौंपे गये मामलों में एक्सिस बैंक, कश्मीरी गेट का मामला भी शामिल है जिसमें हुई कालेधन की हेराफेरी में बैंक के अधिकारियों के लिप्त होने का पता चला है।
आयकर विभाग, ईडी और सीबीआई द्वारा आपसी तालमेल के साथ कालेधन की हेराफेरी के मामलों का पता लगाने और फिर उस दिशा में तेजी से कार्रवाई करने का क्रम आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।