मेट्रो का बढ़ता दायरा आसान बनता सफ़र

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आलोक वर्मा 

नई दिल्ली।
तेज गति से बढ़ते शहरीकरण के साथ, देश के सभी नगरों और शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है। मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, एमआरटीएस श्रेणी-I एवं श्रेणी-II शहरों में रहने वाले लोगों के लिए गतिशीलता के सबसे प्रभावी माध्यमों में से एक के रूप में उभरा है और मेट्रो एक प्रमुख माध्यम बन गया है।

मेट्रो की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में 585 किलोमीटर मेट्रो लाइन परिचालनगत है। अहमदाबाद, लखनऊ, नागपुर एवं गाजियाबाद नगरों में अगले एक महीने में लगभग 60 किलोमीटर मेट्रो लाइन के और आरम्भ किए जाने की संभावना है।

2002 में 8 किलोमीटर की मामूली शुरूआत से लेकर आधुनिक मेट्रो रेल ने देश में ऐतिहासिक वृद्धि प्रदर्शित की है।

चालू वित्त वर्ष (2018-19) में लोगों के लिए 140 किलोमीटर मेट्रो लाइन (10 फरवरी, 2019 तक) आरम्भ की जा चुकी है।

10 फरवरी 2019 तक परिचालनगत 585 किलोमीटर मेट्रो लाइन में से 326 किलोमीटर मई 2014 के बाद परिचालनगत हुई है।

मई 2014 से भारत सरकार द्वारा 258 किलोमीटर मेट्रो लाइन की मंजूरी दी गई है।

वर्तमान में लगभग 600 किलोमीटर मेट्रो लाइन निर्माणाधीन हैं जो अगले पांच वर्षों में परिचालनगत होंगी।

लगभग 1000 किलोमीटर मेट्रो लाइन प्रस्ताव योजना निर्माण के अधीन है।

भारत सरकार ने भारत में मेट्रो रेल के मानकीकरण एवं विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत सरकार की मेट्रो रेल नीति 2017 देश में मेट्रो रेल के त्वरित एवं टिकाऊ विकास को सक्षम बनाती है।

भारत में मेट्रो प्रगति (10.02.2019 तक)

परिचालनगतः 585 किलोमीटर

दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (327 किलोमीटर)

नोएडा-ग्रेटर नोएडा- 29.7 किलोमीटर

बेंगलुरू (42.3 किलोमीटर)

हैदराबाद (46 किलोमीटर)$

कोलकाता मेट्रो (27.3 किलोमीटर)

चेन्नई (45 किलोमीटर)

जयपुर (9.6 किलोमीटर)@

कोच्चि (18.2 किलोमीटर)

लखनऊ (8.5 किलोमीटर)

मुम्बई मेट्रो लाइन (11.4 किलोमीटर)*

रैपिड मेट्रो गुरुग्राम (12 किलोमीटर)**

मुम्बई मोनो रेल चरण-I (9 किलोमीटर)

निर्माणाधीन मेट्रो / एमआरटीएस परियोजनाएं 622 किलोमीटर

विस्तार सहित दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (23 किलोमीटर)

कोलकाता (108 किलोमीटर)

बंगलुरू (72 किलोमीटर)

चेन्नई (10 किलोमीटर)

कोच्चि (7.5 किलोमीटर)

जयपुर (2.5 किलोमीटर)

मुम्बई (171 किलोमीटर)

हैदराबाद (26 किलोमीटर)

नागपुर (38 किलोमीटर)

अहमदाबाद (36 किलोमीटर)

लखनऊ (14 किलोमीटर)

पुणे (54 किलोमीटर)

भोपाल (28 किलोमीटर)

इन्दौर (32 किलोमीटर)

क्षेत्रीय रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस): 373.15 किलोमीटर- योजना के अधीन

दिल्ली-मेरठ (82.15 किलोमीटर)

दिल्ली-पानीपत (111 किलोमीटर)

दिल्ली-अलवर (180 किलोमीटर)

$तेलंगाना सरकार की पीपीपी परियोजना

@राजस्थान सरकार के पूर्ण स्वामित्व द्वारा

*मुम्बई मेट्रोपोलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) की पीपीपी परियोजना

**निजी पहल

#मुम्बई मोनो रेल चरण-II के 11 किलोमीटर एवं महाराष्ट्र की राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत एमएमआरडीए की अन्य मेट्रो परियोजनाएं

##रेल मंत्रालय द्वारा स्वीकृत कोलकाता मेट्रो के विस्तार सहित

मेट्रो परियोजनाओं ने न केवल संपर्क में वृद्धि की है, इससे यात्रा समय में भी कमी आई है और इस प्रकार शहरी क्षेत्रों में जीवन की सुगमता में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसरों का भी सृजन हुआ है। ऐसी उम्मीद है कि नगरों में मेट्रों के विस्तार से स्थानीय एवं शहरों के बीच की यात्रा सरल हो जाएगी, गतिशीलता एवं संपर्क में भी वृद्धि होगी जिससे स्थानीय व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा।

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