फिर चर्चा में है बिहार का भागलपुर

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आलोक वर्मा

बिहार के मैदानी इलाके का आखिरी सिरा और झारखंड बिहार के कैमूर पहाड़ी का मिलन स्थल भागलपुर फिर चर्चा में है। इस बार चर्चा का कारण ना तो साम्प्रादायिक दंगा है ना ही भागलपुरी सिल्क। बल्कि गंगा के तट पर बसा ये इलाका बिहार पुलिस की एस अनोखी पहल के कारण चर्चा में है और इसका श्रेय जा रहा है 1999 बैच के आईपीएस अफसर विकास वैभव को। विकास वैभव आजकल भागलपुर के डीआईजी हैं।

दरअसल जनता से दूरी रखने के लिए चर्चा में रहने वाली बिहार पुलिस के भागलपुर रेंज का हर थाना आजकल लोक संवाद में व्यस्त है। लोक संवाद यानि जनता से सिधी बातचीत।  विकास वैभव के निर्देश पर भागलपुर रेंज के हर थाने में लोक संवाद कार्यक्रंम की शुरूआत की गई है। हर महीने के पहले शनिवार को रेंज का हर थाना जनता के साथ मीटिंग करेगा।

कुछ इस अंदाज में हो रहा है लोक संवाद का कार्यक्रम
कुछ इस अंदाज में हो रहा है लोक संवाद का कार्यक्रम

दरअसल भागलपुर रेंज में बिहार के तीन जिले भागलपुर बांका और नौगछिया आते हैं। मंदार पर्वत से लेकर गंगा तक कई ऐतिहासिक और धार्मिक के आलावा सिल्क के लिए कारोबार की दुनिया में मशहूर भागलपुर डीआजी बनने के साथ ही विकास वैभव पुलिस औऱ जनता के बीच की दूरी को कम करने के लिए ठोस योजना पर काम कर रहे थे। लेकिन दिल्ली और चेन्नई जैसे महानगरों से उलट बिहार के भागलपुर रेंज में लोक संवाद शुरू करने में शुरूआती परेशानी जरूर आई होगी। मगर आखिरकार विकास वैभव लोक संवाद कार्यक्रम  को शुरू करने में कामयाब हो गए।  इसका मकसद है कि आम जनता पुलिस से सीधे जुड़ पाए और उनकी समस्या का त्वरित समाधान हो सके ! बता दें की, विकास वैभव ने अन्य कई जिलों में पदस्थापन के दौरान भी इस फोर्मुले को अपनाया था जो काफी सफल रहा है इसलिए विकास वैभव यह मानते हैं की इससे आमलोगों की समस्याएं काफी कम होंगी। लोक संवाद के लिए खुद विकास वैभव भी उपलब्ध रहते हैं। फिलहाल लोक संवाद जनता के बीच लोकप्रिय हो रहा है और लोक संवाद में भीड़ जुट रही है। इस भीड़ के चेहरे पर उम्मीद की किरण भी जगमगाने लगी है कि पुलिस अधिकारी सामने होंगे औऱ सामने ही उनकी समस्या का हल भी होगा।

गौरतलब है कि विकास वैभव अपनी सकारात्मक पुलिसिंग और दूसरी विशेषताओं के लिए चर्चा में रहते हैं। साइलेंट पेजेज के जरिए भारत के इतिहास को जन जन तक पहुंचाने के अलावा लोक संवाद जैसे कार्यक्रम के जरिए विकास वैभव पुलिस को आम आदमी के करीब लाने में कामयाब होंगे तो इसका दूरगामी परिणाम निकल सकता है।

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