आलोक वर्मा
यह है मसूद अजहर
मोहम्मद मसूद अजहर अल्वी जिसे हम सब आतंकी मसूद अजहर के नाम से जानते हैं का जन्म 10 जुलाई, 1968 को बहावलपुर में हुआ जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। इस आतंकी की राष्ट्रीयता पाकिस्तानी है। हालांकि इसके राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है। माता-पिता का तीसरा बच्चे मसूद के 4 भाई और 6 बहनें हैं। अजहर के पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे। अजहर 8वीं क्लास के बाद वह मुख्यधारा की शिक्षा से अलग हो गया और जामिया उलूम इस्लामिक स्कूल में शामिल हो गया, जहां से उसने 1989 में एक आलिम के रूप में स्नातक किया और जल्द ही एक शिक्षक के रूप में नियुक्त हो गया। बाद में वो हरकत-उल-अंसार का मुख्य सचिव बना और नई भर्तियां करने, चंदा इकट्ठा करने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने के लिए देश-विदेश की यात्राएं करने लगा। 1994 में वह नकली पहचान से श्रीनगर में आया और वहीं उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
परिवार जुड़ा है आतंक से
आतंकी हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन की तरह मसूद अजहर कश्मीरी नहीं है, लेकिन परिवार व्यावहारिक रूप से जिहाद से जुड़ा हुआ है। मसूद अजहर के परिवार के कई लोग आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। भारतीय अधिकारियों ने मसूद अजहर के छोटे भाई अब्दुल रऊफ असगर और करीबी रिश्तेदार यूसुफ अजहर और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है।
मसूद अजहर के चार भाई मौलाना इब्राहिम, अब्दुल रऊफ असगर और तीसरे नंबर पर खुद मसूद अजहर है चौथे नंबर पर तल्हा सैफ और सबसे छोटा भाई हम्माद अजहर है। पिछले साल अक्टूबर में भारतीय फौज ने दावा किया था कि मौलाना मसूद के सबसे बड़े भाई के बेटा मोहम्मद उस्मान एनकाउंटर में मारा गया। वहीं मसूद का करीबी रिश्देतार तल्हा रशीद भी एंकाउंटर में मारा गया था। भारत मसूद अजहर और उसके भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर के प्रत्यपण की मांग करता रहा है। पुलवामा हमले के बाद यह मांग फिर से दोहराई गई। लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि मसूद अजहर इतना बीमार है कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकता।
मसूद अजहर और जैश-ए-मौहम्मद
1999 IC-814 हाईजैक: 24 दिसंबर को काठमांडू से 176 यात्रियों को लेकर जा रही एक इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को पाकिस्तान के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। ये आतंकी मसूद अजहर के रिश्तेदार थे। आतंकियों ने अपहरण किए गए विमान को तालिबान प्रशासित अफगानिस्तान के कांधार ले गई थी। यात्रियों को छोड़ने के लिए आतंकियों ने मसूद अजहर की रिहाई की मांग की बाद में तत्कालीन वाजपेयी सरकार को आतंकी मसूद अजहर को छोड़ना पड़ा।
2001 जम्मू और कश्मीर विधानसभा पर हमला: पाकिस्तान पहुंचने के बाद मसूद अजहर ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया। इसके बाद 1 अक्टूबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक IED वाहन से हमला किया. इस विस्फोट से 38 लोग मारे गए।
2001 संसद हमला: जैश के पांच आतंकियों ने भारत के संसद पर साल 2001 में बड़ा हमला किया. जैश समूह के पांच आतंकवादियों ने 13 दिसंबर 2001 को गृह मंत्रालय के लेबल वाली एक कार में बैठकर संसद भवन में दाखिल हुए और अंधाधुंन फायरिंग शुरू कर दिया। जिस वक्त जैश के आतंकियों ने हमला किया उस वक्त संसद के अंदर 100 से ज्यादा सांसद मौजूद थे। आतंकियों को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया लेकिन इस हमले में एक सिक्योरिटी गार्ड समेत सात लोगों की मौत हुई थी।
2014-15 के दौरान कश्मीर में हमला: संसद हमले में पकड़े गए जैश के आतंकी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद यह आतंकी संगठन काफी समय तक सुस्त रहा लेकिन फिर साल 2014-15 में लंबे समय तक सुस्त रहने के बाद जेआईएम फिर से कश्मीर में सक्रिय हो गया। इस आतंकी संगटन ने कश्मीर में ‘अफजल गुरु शहीद दस्ता’ का गठन किया. इस दस्ते ने कठुआ, सांबा, हंदवाड़ा और पुलवामा में पुलिस स्टेशनों और सेना के शिविरों पर कई हमलों को अंजाम दिया, जिससे एक दर्जन से अधिक सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई।
2016 पठानकोट हमला: ‘अफजल गुरु शहीद दस्ता’ के चार आतंकी भारी हथियारों से लैस होकर 2 जनवरी 2016 को पठानकोट में भारतीय वायु सेना के बेस कैंप के उच्च सुरक्षा परिसर में प्रवेश किया और हमला कर दिया. इस हमले में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई।
2016 नगरोटा हमला: 29 नवंबर की सुबह लगभग 5.30 बजे भारतीय पुलिस की वर्दी में तीन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने जम्मू शहर के पास नगरोटा शहर में सेना की 166 फील्ड रेजिमेंट की एक इकाई पर हमला किया. इस हमले में एक अधिकारी सहित सेना के चार सैनिक शहीद हो गए।
2016 का उरी हमला: 18 सितंबर को चार JeM आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा के पास उरी में एक भारतीय सेना मुख्यालय पर हमला कर दिया. इस हमले में उन्होंने तीन मिनट में 17 ग्रेनेड दागे थे. इस हमले के दौरान सेना के 17 जवान शहीद हो गए थे।
2019 पुलवामा हमला: 14 फरवरी को दोपहर 3.30 बजे पुलवामा के लेथपोरा में एक जैश-ए-मोहम्मद का आत्मघाती हमलावर ने IED से लदे वाहन से सीआरपीएफ के 2,500 से अधिक परिवहन करने वाले 78 वाहनों के काफिले पर हमला हुआ. इस हमले में 40 से अधिक सीआरपीएफ के जवान शहीद हो थे।