आलोक वर्मा
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानि सीआरपीएफ का नाम लेते ही आमतौर पर किसी शहर या इलाके की सुरक्षा में तैनाती की तस्वीर उभरती है। मगर बिहार में सीआरपीएफ ने इस अवधारणा के विपरीत काम कर कई मुकाम हासिल किए हैं। खास बात ये कि युवाओं को रोजगार के लिए ड्राइविंग से लेकर क्ंप्यूटर तक की शिक्षा उपलब्ध कराने का काम भी सीआरपीएफ ने शुरू कर दिया है। शायद इसकी वजह सीआरपीएफ के बिहार आईजी एमएस भाटिया हैं। चंडीगढ़ के रहने वाले भाटिया ने एमबीए औऱ पुलिस प्रबंधन की उच्च शिक्षा ली है। शायद यही वजह है कि सीआरपीएफ की बिहार इकाई लीक से हटकर काम कर रही है।
आतंकवाद निरोधक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि लीक से हटकर काम करने वालों में नक्सलियों के लिए गठित कोबरा बटालियन भी है। सीविक एक्शन प्रोग्राम के तहत सीआरपीएफ ने पिछड़े ग्रानीण इलाकों में कंप्यूटर प्रशिक्षण, ड्राइविंग और मरम्मत के प्रशिक्षण जैसे कई कार्यक्रंम चलाया हुआ है जिसमें युवाओं को रोजगार की तरफ मुड़ने की प्रेरणा मिल रही है। यही नहीं इव इलाकों में सीआरपीएफ चिकित्सा शिविर के अलावा बुनियादी चीजों को बांटने का कार्यक्रम भी करती रहती है। एक दो गांव तो ऐसे भी हैं जहां सीआरपीएफ ने सोलर लाइट के जरिए बिजली पहुंचाई औऱ पाल्ट्री फार्म भी खुलवाए। इसके अलावा स्कूलों में किताब औऱ खेल के सामान भी बांटे गए। सीआरपीएफ के इन सामाजिक कार्यक्रमों की वजह से दर्जनों युवा रोजगार तो पा ही रहे हैं ग्रामीण जीवल शैली भी बेहतर हो रही है।
बिहार में सीआरपीएफ की 29 कंपनियां काम कर रही है जिनके जिम्मे 17 वीआईपी की सुरक्षा के अलावा नक्सलियों पर काबू पाना है। गौरतलब है कि पिछले साल बिहार में 12 नक्सली सीआरपीएफ के हाथों मारे गए थे जबकि 216 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और भारी संख्या में गोला बारूद बरामद किया गया था इस साल भी अब तक 5 लाख के इनामी नक्सली शिवनारायण यादव उर्फ बच्चा यादव सहित 48 नक्सलियों कोे गिरफ्तार किया जा चुका है औऱ दुर्दांत नक्सली अनिल सहित 5 को मारा जा चुका है।