फांसी प्राप्त सोनू सरदार पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

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सुप्रीम कोर्ट ने सोनू सरदार की याचिका का निपटारा दो महीने के अंदर करने का आदेश दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट करे।

 दिल्ली हाई कोर्ट के लिए जारी यह आदेश उस सोनू सरदार के मामले में है जिसने पांच लोगों के साथ मिलकर 26 नवंबर 2004 को छतीसगढ़ के बैकुंठपुर में स्कै्रप कारोबारी शमीम अख्तर, उनकी पत्नी रुखसाना, बेटी रानो (5), बेटा याकूब (3) और पांच माह की एक बेटी की हत्या की थी।
 हत्या के कुछ दिनों बाद चार आरोपी पकड़े गए, लेकिन एक आरोपी अभी भी फरार है। इस मामले में 2008 में निचली अदालत ने सभी को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद 2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी की फांसी की सजा को बरकरार रखा। बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी।
 पिछली सुनवाई में जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि यह मामला छत्तीसगढ़ का है ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट इस पर कैसे सुनवाई कर सकता है। सोनू सरदार की तरफ से जब ये कहा गया कि राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका को ख़ारिज किया है ऐसे में हाई कोर्ट ने पास ये अधिकार है कि वो मामले की सुनवाई कर सकता है।
इस पर जस्टिस दीपक मिश्रा ने फटकार लगाते हुए कहा था कल को उत्तर प्रदेश, बंगाल और दूसरे राज्यो के दोषियों की याचिका अगर राष्ट्रपति ठुकरा देते है तो क्या सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट करेगी। ऐसे में तो देश के सभी हाई कोर्ट के पास कोई याचिका ही नहीं आएगी। सब मामलों को दिल्ली हाई कोर्ट ही सुनेगा।
कोर्ट ने AG मुकुल रोहतगी को कहा कि वो इस मामले में कोर्ट को असिस्ट करे और बताये की क्या राष्ट्रपति अगर किसी दया याचिका को ख़ारिज करते है तो हाई कोर्ट के पास ये अधिकार है कि एओ इस मामले की सुनवाई कर सकता है या नही।
 कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनोती दे जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इससे पहले कोर्ट ने सोनू को फांसी की सज़ा सुनाई थी।
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