आलोक वर्मा
नमामि गंगे परियोजनाओं को मंजूरी देने का काम काफी तेज कर दिया गया है। इस अभियान मे इस समय सबसे ज्यादा लाभ बिहार औऱ उतर प्रदेश को हो रहा है। इसे आप बदले राजनीतिक समीकरण के तहत दोनों राज्यों को मिल रहे उपहार के तौर पर देख सकते हैं। लेकिन फिलहाल इससे दोनों राज्यों की जनता को लाभ होने वाला है। पिछले 10 दिनों में हुई दो बैठकों में मजूर की गई परियोजनाओं में से ज्यादातर बिहार औऱ उतर प्रदेश में हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने ताजा बैठक में बिहार,पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में लगभग 2033 करोड़ रुपये लागत की 10 परियोजनाओ को मंजूरी दी है। इन 10 परियोजनाओं में से 8 परियोजनाएं जलमल बु़नियादी ढांचा और शोधन से संबंधित हैं। एक परियोजना घाट विकास और एक परियोजना गंगा ज्ञान केंद्र से संबंधित है। इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति की 5वीं बैठक में मंजूरी दी गई। इसके पहले 4 थी बैठक में 31 जुलाई को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति ने सीवेज से जुड़े बुनियादी ढांचे, घाटों के विकास और शोध के क्षेत्र में 425 करोड़ रुपये की लागत वाली सात परियोजनाओं को मंजूरी दी थी जो बिहार औऱ यूपी के थे। चौथी बैठक में उत्तर प्रदेश और बिहार में सीवेज (दूषित जल की निकासी) की तीन-तीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई। उत्तर प्रदेश में उन्नाव, शुक्लागंज और रामनगर के लिए जल अवरोधन यानी पानी का बहाव रोकने, बहाव में परिवर्तन और एसटीपी (सीवेज शोधन संयंत्र) से जुड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन तीनों परियोजनाओं का उद्देश्य 29 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की सीवेज शोधन क्षमता (उन्नाव में 13 एमएलडी, शुक्लागंज में 6 एमएलडी और रामनगर में 10 एमएलडी) सृजित करना है। इन परियोजनाओं पर कुल मिलाकर 238.64 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं, बिहार में सुल्तानगंज, नौगछिया और मोकामा में 175 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। इन परियोजनाओं से 27 एमएलडी की सीवेज शोधन क्षमता (सुल्तानगंज में 10 एमएलडी, मोकामा में 8 एमएलडी और नौगछिया में 9 एमएलडी) सृजित होगी। वहीं पांचवी बैठक में बिहार में बाढ़ और पटना में कंकड़बाग और दीघा में कुल 1461 करोड़़ रुपये की अनुमानित लागत वाली तीन प्रमुख जलमल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से 161 एमएलडी (दीघा में 100 एमएलडी, कंकरबाग में 50 एमएलडी और बाढ में 11 एमएलडी) की अतिरिक्त जलमल शोधन क्षमता का स़ृजन होगा। वर्तमान में पटना के कंकरबाग और दीघा जलमल क्षेत्रों में कोई एसटीपी नहीं है। उल्लेखनीय है कि नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत पटना के बेऊर, सैदपुर, करमालीचक और पहाड़ी जलमल क्षेत्रों में 200 एमएलडी जलमल शोधन क्षमताओं को जुटाने की पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। पश्चिम बंगाल में 495.47 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। इन तीन में से दो परियोजनाएं जलमल बुनियादी ढांचे से संबंधित हैं जबकि तीसरी परियोजना घाट विकास के लिए है। हावड़ा में गंगा नदी के लिए तथा कोलकाता में गंगा की सहायक नदी टॉली नाला (आदि गंगा नाम से प्रसिद्ध) के प्रदूषण उपशमन और पुनर्वास कार्यों के लिए 492.34 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इन दोनों परियोजनाओं से कोलकाता में 91एमएलडी की अतिरिक्त जलमल शोधन क्षमता का सृजन होगा। पश्चिम बंगाल के नवद्वीप शहर में बोरल फैरी और बोरल स्नान घाटों के नवीकरण के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की मंजूरी भी दी गई है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3.13 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में नदी के किनारे का संरक्षण कार्य, प्रतीक्षा कक्षों ,सीढि़यों और बैठने के स्थान आदि का निर्माण कार्य शामिल है। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के चुनार शहर में 27.98 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले जलमल बुनियादी ढांचे के कार्य की मंजूरी दी गई है, जिसके तहत नालों के अवरोधन और डाइवर्जन के अलावा 2 एमएलडी क्षमता के एक एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार में पटना में कंकड़बाग और दीघा तथा पश्चिम बंगाल में हावड़ा और पश्चिम बंगाल में हावड़ा और कोलकाता की परियोजनाओं का कार्य पीपीपी मॉडल के आधार पर हाइब्रिड एन्यूटी के तहत किया जाएगा। परियोजना 60 प्रतिशत पूंजी लागत का भुगतान 15 वर्ष की अवधि में उस ठेकेदार को किया जाएगा जिसने अपने कार्य प्रदर्शन के आधार पर अपशिष्ट जल शोधन के निर्धारित मानंदडो को हासिल किया हो। गंगा प्रवाह वाले पांच प्रमुख राज्यों में गंगा निगरानी केंद्रों की स्थापना करने से सबंधित एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है, जिसकी अनुमानित लागत 46.69 करोड़ रुपये हैंं। इस परियोजना के उद्देश्यों में प्रदूषण स्तर, बहाव स्तर, प्रदूषण के बिन्दु और गैर बिन्दु स्रोत, निगरानी के मानदंडों की एनएमसीजी/एसपीएमजी/जिला गंगा समिति को आवधिक रिपोर्ट भेजना और इसके आधार पर एनएमसीजी द्वारा उपचारात्मक कार्यवाही, डाटा सेटों का मिलान आदि सहित गंगा की संपूर्णता की कार्यकुशल निगरानी के लिए केंद्रों की पहचान करना और उन्हें स्थापित करना शामिल है। इसके अलावा जैवोपचारण विधि का उपयोग करके नालों के शोधन की दो परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। पटना में दानापुर नाला और इलाहाबाद में नेहरू नाले का इस प्रौद्योगिकी द्वारा 1.63 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से प्रशोधन किया जाएगा। सभी परियोजनाएं केंद्र सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित होंगी। |
|
|
|