तो इसलिए नहीं मिलती कंफर्म ई रेल टिकट ?

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आलोक वर्मा

देश के किसी हिस्से में जाने के लिए जब आप रेलवे की टिकट रिजर्व करने की कोशिश करते हैं तो आआरटीसी की साईट पर क्य़ा जवाब मिलता है। बिल्कुल सही कह रहे हैं आप हर बार टिकट उपलब्ध ना होने का ही जवाब मिलता है और नतीजा ये होता है कि आप फ्लाइट की तरफ मुड़ते हैं या फिर कोई और रास्ता निकालते हैं। फ्लाइट की टिकट ले लें तो ठीक मगर दूसरा रास्ता कौन सा है जाहिर है हममें से कई अपनी मंजिल तक रेल छोडकर सड़क मार्ग तो नहीं अपना सकते। फिर क्या रास्ता है जी हां जनाब फिर हम ऐसे लोगों को तलाश करते हैं जिनके लिए कंफर्म रेल टिकट बुक करना या दिलाना दाएं बांएं हाथ का खेल है। इस सुविधा के लिए बस कुछ अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

हाल के दिनों मे इस तरह की टिकट लेने की प्रवृति जितनी तेजी से बढ़ी है उतनी ही तेजी से इस तरह के टिकटों को बेचने के तरीके भी बढ़े हैं। टिकट के दलालों ने साइबर कैफे की आड़ में टिकट की कालाबाजारी शुरू कर दी है। रेलवे सुरक्षा बल की कार्ररवाईयां इस बात का संकेत देने लिए काफी है कि किस तरह साईबर कैफे ई रेल टिकट को अवैध तरीके से बुक कर बेच रहे हैं। हाल की दो कार्रवाईयों को लीजिए 8 नवंबर को छपरा में आरपीएफ मुकेश कुमार सिंह, प्रियांबुप्रिय, अनिल कुमार, प्रिय रंजन और दिनेश कुमार ने सूचना के आधार पर छपरा से 15 किमी दूर मौजूद शिवम् साइबर कम्यूनिकेशन पर छापा मारा और ईरेल टिकट की कालाबाजारी के रैकेट का भांडाफोड़ करते हुए 5 आरक्षित टिकट के साथ कंप्यूटर औऱ कई सामान जब्त किए। 

इस सिलसिले में  त्रिपुरारी उपाध्याय और कमलेश नाम के दो शख्स गिरफ्तार किए गए।  उनसे बरामद टिकट की कीमत करीब 5490 रूपये थी। पता चला कि कई दिन से वो ई टिकटों की कालाबाजारी कर रहे थे। इसके दूसरे ही दिन यानि 9 नवंबर को बलिया रेलवे पुलिस बल के संजय कुमार पांडे ने टीम सहित बलिया के सुखपुरा इलाके में मौजूद जय संतोषी साइबर कैफे पर छापा मारा तो पता लगा की लैपटाप पर ई टिकटों की कालाबाजारी चल रही है। आरपीएफ ने इस सिलसिले में कैफे संचालक चंचल कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर कई टिकट लैपटाप और अन्य सामान के साथ नकदी भी बरामद की।

सिर्फ यही नहीं इस साल अक्टूबर तक चंचल कुमार गुप्ता जैसे 1231 लोगों को ई-रेल टिकटों की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया जा चुका है। इनसे आरपीएफ ने 7150 ईरेल टिकट बरामद किए जो 1.39 करोड़ रूपये मूल्य के थे। साइबर कैफे पर गैरकानूनी तरीके से चलने वाली इस कालाबाजारी के .ये आंकडे वो हैं जो रिकार्ड पर हैं सैकड़ों मामलों में तो गुपचुप तरीके से कालाबाजारी हो ही रही है शायद ये भी एक बड़ी वजह है कि हमें आपको आनलाइन कंफर्म टिकट नहीं मिलते।

 

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